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बीकानेर,शिक्षा-संस्कृति एवं ज्योतिष की महत्वपूर्ण विरासत की समृद्ध परम्परा में राजरंगा परिवार कुल के महान् संत खाकी बाबा जिनके लोकल्याणकारी एवं आध्यात्मिक पक्ष के अनेकानेक प्रसंग एवं दृष्टांत आज भी लोक में चर्चित हैं। ऐसे ही संत का निर्वाण दिवस ‘बरसी’ एक सदी से अधिक समच से नत्थूसर गेट बाहर बड़ा गणेश मंदिर के पास राजरंगा बगेची में उनके समाधि स्थल पर प्रतिवर्ष पौष माह शुक्ल पक्ष एकादशी को मनाई जाती है।

इस वर्ष भी खाकी बाबा की बरसी विधिवत पूजा अर्चना, पंचामृत अभिषेक एवं महाआरती के साथ धूमधाम से मनाई गई। इससे पूर्व खाकी बाबा रत्नेश्वर कमेटी द्वारा खाकी बाबा मंदिर परिसर एवं समाधि स्थल का सौन्दर्यकरण करवाया गया।
इस आध्यात्मिक एवं सामाजिक उत्सव मंे कमेटी के अध्यक्ष नारायणदास रंगा, शेरे, के सानिध्य में महाआरती एवं अभिषेक डूंगरदत्त रंगा के सानिघ्य में हुआ। जिसमें संरक्षक मंगलचंद रंगा, शिवकुमार रंगा, भैरूरतन ’शन्नू’ शक्तिरतन, बद्रीनारायण, राजेश, नंदकिशोर, अश्विनी, राहुल रंगा ‘राजस्थानी’, बिन्दुप्रसाद, शशिशेखर, विक्रमजीत, इंजि सुमित-आशीष, शुभम, गिरिराज, मोहित, राजा सेवग सूरज रतन, सुमेश कृष्णया, गोविन्द शर्मा,भवानी सिंह, तोलाराम सारण, कार्तिक मोदी, अशोक शर्मा, राम अग्रवाल, गंगाविश्नोई एवं कमल रंगा सहित सैकड़ों भक्तगणो में बाबाजी के धोक लगाई एवं दर्शन किए।
आयोजन कमेटी ने बताया कि बाबाजी की बरसी पर होने वाले महाप्रसाद की परंपरा को पं. शिवप्रताप रंगा ‘सेणा बाबा’ ने प्रारंभ किया था, परन्तु इस वर्ष महाप्रसाद सामाजिक दुखद स्थितियां एवं कोराना को देखते हुए स्थगित कर दिया गया है।
खाकी बाबा के संदर्भ में यह भी लोक मान्यता है कि आपने एक ही समय में तीन स्थानों बीकानेर, श्री कोलायत एवं हरिद्धार में एक साथ एक ही समय समाधि ली थी। जिसके ठोस साक्ष्य रहे है। बाबाजी की समाधि तीनों स्थानों पर है, खाकी बाबा रत्नेश्वर कमेटी शीघ्र ही इन समाधि स्थलों के संदर्भ में आगामी कार्य योजना बनाने जा रही है।

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