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श्रीगंगानगर,वीरों की भूमि राजस्थान में एक से बढ़कर एक उदाहरण हैं। जवान बेटे की शहादत की बाद 80 वर्षीय पिता की चाहत है कि उनके बेटे के शहादत की गूंज पूरे जहां में सुनाई दे। बीकानेर जिले के श्रीडूंगरगढ़ उपखंड के गांव बिग्गा बास रामसरा निवासी डा. कन्हैया लाल सिहाग चाहते हैं कि युवा पीढ़ी देश सेवा का संकल्प ले। उनके पुत्र कैप्टेन चंद्र चौधरी नौ सितम्बर 2002

में कश्मीर में शहीद हो गए। उनका अंतिम संस्कार खुद की जमीन में करवाया। बाद में शहीद स्मारक बनाने के लिए चार बीघा जमीन दी। इसी परिसर में अंत्येष्टि स्थल, प्रतिमा स्थल के साथ विजयंत टैंक स्थापित है। प्रतिमा स्थापना, समाधि स्थल तथा चार दिवारी का आधा हिस्सा भी शहीद पिता ने बनाया है।

अब हो गई भारतीय सेना की सम्पत्ति

पिछले माह गांव में प्रशासन गांवों के संग शिविर लगा डा. कन्हैयालाल ने चार बीघा में बने शहीद स्मारक का पट्टा बनवाकर भारतीय सेना के नाम रजिस्ट्री करवा दी। अब यह स्मारक भारतीय सेना की संपत्ति है।

दो जगह हैं शहीद स्मारक

शहीद के भाई सीताराम सिहाग ने बताया कि शहीद की याद में दो जगह स्मारक बने हैं। एक तो गांव में अंत्येष्टि स्थल पर है। इसका उद्घाटन तत्कालीन मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने किया। जबकि, दूसरा बीकानेर में है। उसका उद्घाटन तत्कालीन मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे ने किया।

बीकानेर के म्यूजियम चौराहे के पास स्थित शहीद चंद्र चौधरी स्मारक में शहीद की प्रतिमा, टैंक और एयरक्राफ्ट लगे हैं। गांव में भी शहीद के नाम से स्कूल व स्टेडियम हैं।

बेटे पर रहेगा फख्र

शहीद राष्ट्र की धरोहर होते हैं। आने वाली पीढियां शहीदों से प्रेरणा ले, बस यही सोचकर लगा हूं। आज सेना के प्रति जो सोच और माहौल बना है, उसको देखकर बड़ी खुशी होती हैं। बेटे की शहादत पर सदा फख रहेगा।

डा. कन्हैयालाल सिहाग, शहीद पिता, बिगा बास रामसरा, श्रीडूंगरगढ़

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