श्रीडूंगरगढ़ बीकानेर,मोतीलाल जी पुगलिया, पूरे शहर के मोती भाईजी नाम से प्रसिद्ध रहे। इनका 84 वर्ष की उम्र में निधन हो गया । निधन का समाचार सुनकर हर कोई दुःखी हो गया। सन 1955 में आपने श्रीडूंगरगढ़ से ही मैट्रिक की। उच्च शिक्षा के लिए बीकानेर, चूरू गए, बिहार के मुरलीगंज-त्रिवेणीगंज में आपके परिवार का पैतृक व्यवसाय था, वहां चले गए। जूट और गल्ले के व्यवसाय में 19 वर्ष की उम्र में जुट गए। आपकी धर्म पत्नी जतनदेवी श्रीडूंगरगढ़ के वार्ड नम्बर 7 की पार्षद भी रहीं। वे धर्म परायण महिला थीं।
मोतीलाल जी ने लगभग पैंतीस वर्षों से श्रीडूंगरगढ़ मे ही सामाजिक सेवाएं दे रहे थे। युवाकाल से कांग्रेस दल से जुड़ाव हो गया, जिसे जीवन पर्यंत निभाया। चंदनमल बैद सहित कांग्रेस के तत्कालीन बड़े नेताओं से नजदीकी संबंध रहे। 1985 से 2000 तक यहां नगर पार्षद रहे। 1990 से 2000 तक नगर कांग्रेस अध्यक्ष भी रहे। सामान्य जन के कार्य करवाने में बेहद रुचि रखते। अति सरल, और सज्जन व्यक्ति थे। हर व्यक्ति को बेहद इज्जत प्रदान करते। अपने घर की बाहरी चौकी पर रोज शाम को बैठकर आते जाते लोगों से बातचीत वे अपने अंतिम दिनों तक करते रहे। जैन श्वेताम्बर तेरापंथी सभा के अध्यक्ष रहे। संवत 2036 में ओसवाल पंचायत के भी अध्यक्ष रहे। नगर की सभी संस्थाओं के सदस्य रहे।
मोतीलाल जी जैसे सामाजिक कार्यकर्ता का जाना नगर की अपूर्णीय क्षति है।
। दुःखी मन से मोतीलाल जी के सुपुत्र अरुण पुगलिया ने बताया कि पिताजी हमेशा सभा संस्थानों में मितव्ययता पर ज्यादा ध्यान देते थे। और हर कार्यकर्ता की सहयोगी बनकर मदद करते थे। परिवार से पहले समाज और गांव को महत्व देते थे। जिसका हमें गर्व है
मोतीलाल जी की शव यात्रा में श्री डूंगरगढ़ की विभिन्न संस्थाओं के पदाधिकारी जनप्रतिनिधि और राजनेता सहित हर वर्ग के व्यक्ति शामिल हुए। हर किसी के मन मे एक ही दुःख था कि हमारा मार्गदर्शक सहयोगी रक्षक मोती लाल पुगलिया हमारे बीच नहीं है। जनजागृति मंच के अध्यक्ष तोलाराम मारू मंत्री बजरंग लाल भोजक वह उपाध्यक्ष शुभकरण पारीक ने संवेदना व्यक्त की।