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बीकानेर,जाम्भाणी साहित्य अकादमी बीकानेर द्वारा आयोजित ज़ूम और अपने फेसबुक पेज पर त्रिदिवसीय नशामुक्ति जागरूकता वेबिनार के अंतर्गत बुधवार 6 अप्रैल को समाज के वरिष्ठ संतों ने अपना उद्बोधन दिया। मुकाम पीठाधीश्वर आचार्य रामानंदजी ने अपने आशिर्वचन में कहा कि नशा मनुष्य जीवन का बहुत बड़ा शत्रु है हमें इससे विशेष सावधान रहना होगा। उन्होंने वर्षों पहले बीकानेर संभाग में व्यापक नशामुक्ति अभियान चलाया था जिसमें लेखरामजी भादू,जीसुखरामजी धारणियां,लेखरामजी धायल, राजारामजी धारणियां, रामनारायणजी डेलू,भगवानारामजी डेलू आदि समाज के अग्रणी लोगों ने बहुत बड़ी भूमिका निभाई थी और उस अभियान का इतना असर हुआ कि लोगों ने चाय तक पीना छोड़ दिया। आज फिर ऐसे ही अभियान की समाज में जरुरत है। मुकाम पीठाधीश्वर ने निमि ऋषि के पौराणिक आख्यान के द्वारा समझाया कि कैसे तंबाकू का धुआं बड़े-बड़े तपों का फल नष्ट कर देता है।
कार्यक्रम के मुख्य वक्ता शास्त्रों के निष्णात विद्वान गोल्ड मेडलिस्ट आचार्य पीठ मुकाम के अधिष्ठाता संत डॉ आचार्य गोरधनरामजी शिक्षाशास्त्री ने शास्त्रीय उद्धरणों से नशे की बुराईयों के बारे में बताया। उन्होंने कहा कि नशा हमारे शरीर में जाकर धर्म के अंकुर को नष्ट कर देता है और नशा करने वाला मनुष्य अपने विवेक को खो देता है।जो व्यक्ति भूल व अज्ञानवश नशे का आदी हो चुके हैं उन्हें इसका तुरन्त परित्याग कर देना चाहिए क्योंकि यह देवदुर्लभ मानव शरीर नशे में नष्ट करने के लिए नहीं मिला है। परमात्मा ने कृपा करके अपनी प्राप्ति के लिए यह शरीर दिया है जो इसका अनादर करके नशा करता है उसकी इस लोक और परलोक दोनों में दुर्गति होती है। उन्होंने जगह-जगह शिविर लगाकर नशे के आदी लोगों को नशामुक्त करने का आहवान किया और नशे छोड़ने के आयुर्वेदिक नुस्खे भी बताए।
कार्यक्रम की अध्यक्षता कर रहे अकादमी के अध्यक्ष और जाम्भाणी साहित्य ऋषि आचार्य कृष्णानंदजी ऋषिकेश ने कहा कि नशे रुपी विकराल दानव ने समाज पर आक्रमण कर दिया है,यह केवल बिश्नोई समाज ही नहीं अपितु सभी समाजों के सामने आज एक ज्वलंत समस्या है। हमें सामूहिक रूप से इसका सामना करना है। इसके लिए अकादमी हर प्रकार के सहयोग के लिए तैयार है। एक व्यापक कार्ययोजना बनाकर इस पर काम शुरू करना चाहिए। नशा तस्कर कोई भी हो वह समाज का दुश्मन है उसका सामाजिक बहिष्कार होना चाहिए।
कार्यक्रम के संचालक आचार्य सच्चिदानंदजी महंत लालासर साथरी ने बहुत बढ़िया तरीके से मंच संचालक किया और बीच-बीच में बहुत ज्ञानवर्धक जानकारियों से श्रोताओं को लाभान्वित किया। सभी वक्ताओं, आयोजकों और सुधी श्रोताओं का धन्यवाद ज्ञापन मेहराणा धोरा पंजाब के महंत मनोहरदासजी शास्त्री ने किया। कार्यक्रम का तकनीकी प्रबंधन डॉ लालचंद बिश्नोई और संयोजक विनोद जम्भदास ने किया।

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