बीकानेर,गंगाशहर,युगप्रधान आचार्य श्री महाश्रमण जी के अज्ञानुवर्ती मुनि श्री शांतिकुमार जी एवं सुशिष्य मुनि श्री जितेंद्र कुमार जी आदि ठाणा –9 के मंगल सान्निध्य में पर्युषण महापर्व का द्वितीय दिन ‘स्वाध्याय दिवस’ के रूप में मनाया गया। प्रतिदिन अखंड जाप के साथ–साथ प्रवचन कार्यक्रम में सामुहिक ॐ भिक्षु के सवालाख के जाप में भी श्रावक समाज ने उत्साह से भाग लिया। बुधवार रात्रि को शांति निकेतन में साध्वी कीर्तिलता जी के सान्निध्य में जैन मंत्रों से संबंधित कार्यक्रम संचालित हुआ।
स्वाध्याय दिवस पर तेरापंथ भवन में धर्मसभा में उपस्थित विशाल जनमेदिनी संबोधित करते हुए मुनि शांतिकुमार जी ने कहा की जीवन में ज्ञान का बहुत महत्व होता है। हमारा आचरण भी ज्ञानयुक्त हो यह आवश्यक है। कथनी करनी में समानता होती है वह व्यक्ति उत्तम श्रेणी का व्यक्ति होता है। ज्ञानार्जन कर अपने आचरण को हम अच्छा बनाए।
भगवान ऋषभ युग एवं 24 वें तीर्थंकर भगवान महावीर के मरिचिकुमार के भव का वर्णन करते हुए मुनि जितेंद्र कुमार जी ने कहा– ज्ञान को दो विभागों में बांटा जा सकता है। एक जीविका के लिए आवश्यक ज्ञान जो आज सामाजिक स्तर पर सभी ग्रहण करते है, किंतु इन सबके साथ जीवन का ज्ञान भी जरूरी है वह है अध्यात्म का ज्ञान। स्वाध्याय का अर्थ होता है अपने आप को जानना, अपने भीतर जानना। स्वाध्याय के द्वारा ज्ञान प्राप्त कर हम छोड़ने योग्य चीजें त्यागे, अच्छी बाते ग्रहण करे तो ज्ञान की सार्थकता है। ज्ञान हमारी विवेक चेतना को जागृत करता है।
कार्यक्रम में मुनि सुधांशु कुमार जी ने आचार्य भिक्षु के जीवन के बारे बताया। मुनि अनुशासन कुमार जी ने स्वाध्याय के पांच प्रकारों का विवेचन किया एवं मुनि अनेकांत कुमार जी ने मार्दव धर्म की व्याख्या की। श्री रोहित बैद ने आगामी कार्यक्रमों की सूचना दी।