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बीकानेर,ऋषि पंचमी का पर्व आज मनाया जा रहा है। इसमें कई जातियों में आज के दिन रक्षा बंधन मनाया गया। बहिनों ने अपने भाई की हाथों की कलाई पर राखी बांधक उसकी दीर्घायु की कामना की। भाइयों ने अपनी बहिनों को उपहार भेंट किए। वहीं कई स्थानों पर ऋषी पूजन के कार्यक्रम हुए। तालाबों पर श्रावणी कर्म का अनुष्ठान किया गया। इसमें पानी में खडे होकर ऋषियों को तर्पण दिया। यज्ञोपवित पूजन हुआ। यज्ञ में आहुतियां दी। धरणीधर तालाब, हर्षोल्लाव, देवी कुंड सागर, कोलायत तालाब पर श्रावणी कर्म हुए।

वैश्य समाज, पुष्करणा समाज की हर्ष जाति, पारीक और श्रीमाली जाति सहित कई जातियों में आज रक्षा बंधन मनाया गया। पर्व को लेकर सुबह से ही रौनक रही। बहिनों ने अपने भाई के माथे पर तिलक किया। कलाई पर राखी बांधी। मुहं मीठा कराया, भाइयों ने बहिनों को उपहार भेंट कर रक्षा का संकल्प लिया। परम्परागत रूप से ऋषियों के भी रक्षा सूत्र बांधे गए।

भाद्रपद महीने के शुक्ल पक्ष की पंचमी को ऋषि पंचमी पर्व मनाया जाता है। पंचागकर्ता पंड़ित राजेन्द्र किराड़ू के अनुसार आज का दिन खास है। इस दिन पूरे साल में जाने.अनजाने किए गए पाप कर्म से निजात पाने के लिए ऋषि पूजन किया जाता है।

आज सुबह से ही तालाबों पर श्रावणी कर्म का अनुष्ठान किया गया। इसमें आस्थावान लोगों ने पानी में खड़े होकर पूजा अर्चना की। भगवान सूर्य नारायण का भी पूजन किया गया। हेमान्द्री संकल्प के साथ ऋषि तर्पण किया गया। इस दौरान दस विधि स्नान किया गया।

पंड़ित किराड़ू के अनुसार आज का दिन सप्तऋषियों को समर्पित है। इसमें ऋषि वशिष्ठ, कश्यप, विश्वामित्र, अत्रि, जमदग्नि, गौतम और भारद्धाज है। इनका स्मरण कर ऋषि पूजन किया गया। इसमें सप्तऋषियों का पूजन करने के बाद तर्पण किया और यज्ञोपवित का पूजन भी किया। यह यज्ञोपवित अब एक साल तक धारण करने के लिए उपयोग में आएगी। साथ ही पूजन में भी ली जा सकती है।

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