बीकानेर, पुष्करणा समाज के सामूहिक विवाह आयोजन जिसे ‘सावा’ कहा जाता ह,ै इस महत्वपूर्ण सामाजिक उत्सव के अवसर पर पूर्व की भांति ही द पुष्करणाज फाउडेशन द्वारा चार दिवसीय समारोह का आगाज साफा, पाग, पगड़ी एवं चंदा प्रदर्शनी आदि के उद्घाटन से किया गया था।
चार दिवसीय इस समारोह का समापन आज दोपहर नत्थूसर गेट बाहर स्थित सृजन सदन में राजस्थानी के वरिष्ठ साहित्यकार कमल रंगा के मुख्य आतिथ्य में हुआ। इस अवसर पर अपने विचार व्यक्त करते हुए कमल रंगा ने कहा कि साफा, पाग एवं पगड़ी हमारी कलात्मक सांस्कृतिक विरासत है ऐसे आयोजनों के माध्यम से युवा पीढ़ी अपनी परंपराओं से रूबरू तो होती ही है साथ ही अपने सांस्कृतिक वैभव को समझने का उनको मौका भी मिलता है।
रंगा ने आगे कहा कि द पुष्करणाज फाउण्डेशन द्वारा राजस्थान की आन-बान-शान हमारे साफा, पाग पगड़ी का जो प्रशिक्षण गत चार दिनों से नई पीढी को दिया जा रहा है, यह एक सांस्कृतिक एवं कलात्मक पहल है जिसमंे बालकों के साथ बालिकाओं ने भी विभिन्न तरह के साफे, पाग एवं पगड़ी को बांधने की कला तो सीखी ही साथ ही इनके महत्व और इनके साथ जुडी हुई परंपरा से भी आज प्रशिक्षण लेने वाले बालक-बालिकाओं को अवगत कराया गया जिसके लिए आयोजक संस्था साधुवाद की पात्र है।
साफा, पाग एवं पगड़ी कला विशेषज्ञ कृष्णचंद पुरोहित ने इस अवसर पर बालकों को खासतौर से गंगाशाही, गोल पगड़ी आदि का विशेष रूप से प्रशिक्षण लेने वाली रामकला सारण, हर्षिता सुथार, शशिकला सोनी, कृतिका रंगा, हिमेश गोदारा, तेजश बिस्सा, अभिजीत रंगा, गौरव सोनी, मिथलेश ओझा, मोहन श्रीमाली, राधाकिशन छिंपा, रूपेश भादाणी, पदमेश नारायण पुरोहित सहित बालक/बालिकाओं से प्रशिक्षक ने स्वयं साफा पगडी बंधाकर उनकी कुशलता पर प्रसन्नता व्यक्त करते हुए प्रशिक्षणकर्ता विशेषज्ञ कृष्णचंद पुरोहित ने कहा कि कोई भी कला अभ्यास मांगती है। ऐसे ही यदि आप लोग भी अपने घर परिवार एवं समाज के लोगों की साफा पगड़ी बांधने के प्रयास में निरन्तरता रखेंगे तो आप भी इस कला में निपुण हो जायंेगे।
संस्था के पदाधिकारियों ने आज समापन अवसर पर अपनी सहभागिता निभाते हुए यह भी निर्णय लिया कि सावे के अवसर पर कुछ अन्य आयोजन करने के बारे में भी विचार विमर्श किया जा रहा है। समापन समारोह का संचालन संस्था के गोपीचंद छंगाणी ने किया। सभी का आभार मोहित पुरोहित ने ज्ञापित किया।