बीकानेर,प्रदेश के एकमात्र आवासीय खेल स्कूल, सादुल स्पोर्ट्स स्कूल के बाहर क्रीड़ा भारती के नेतृत्व में छात्रों और पूर्व खिलाड़ियों द्वारा चल रही भूख हड़ताल आज अपने 14वें दिन में प्रवेश कर चुकी है। अब तक शिक्षा विभाग और प्रशासन के साथ हुई सभी वार्ताएं विफल साबित हुई हैं। शिक्षा विभाग की बेरुखी और समस्या का समाधान करने में असफलता ने खिलाड़ियों और उनके समर्थकों के गुस्से को और अधिक भड़का दिया है।
बुनियादी सुविधाओं के लिए जारी संघर्ष
सादुल स्पोर्ट्स स्कूल, जिसे प्रदेश की खेल प्रतिभाओं के निर्माण का केंद्र माना जाता है, वहां के छात्र आज भी डाइट, खेल उपकरण और अन्य आवश्यक सुविधाओं के लिए जूझ रहे हैं। सरकार और शिक्षा विभाग की अनदेखी के कारण खेल और शिक्षा के समन्वय का दावा पूरी तरह खोखला साबित हो रहा है। भूख हड़ताल पर बैठे छात्रों ने इसे सरकार और प्रशासन की बड़ी विफलता बताया है।
पूर्व खिलाड़ियों का शिक्षा विभाग पर तीखा प्रहार
पूर्व खिलाड़ी दानवीर सिंह भाटी ने शिक्षा विभाग पर निशाना साधते हुए कहा:
“यह बेहद शर्मनाक है कि खिलाड़ियों को अपने अधिकारों के लिए भूख हड़ताल करनी पड़ रही है। शिक्षा विभाग की निष्क्रियता ने साबित कर दिया है कि उन्हें प्रदेश की खेल प्रतिभाओं की कोई परवाह नहीं है। यहां तक कि बुनियादी डाइट जैसी मांगों पर भी ध्यान नहीं दिया जा रहा। यह पूरी व्यवस्था की नाकामी का प्रमाण है।”
आंदोलन और तेज करने की चेतावनी
हड़ताल पर बैठे भैरू रतन ओझा ने साफ शब्दों में चेतावनी दी है कि अगर उनकी मांगों को जल्द पूरा नहीं किया गया तो यह आंदोलन और व्यापक होगा।
भाटी ने कहा कि “हम अपनी मांगों से पीछे हटने वाले नहीं हैं। अगर सरकार और प्रशासन ने तुरंत कदम नहीं उठाए, तो यह आंदोलन एक बड़े जनांदोलन का रूप ले लेगा।”
सरकार की चुप्पी पर सवाल
14 दिनों से जारी हड़ताल के बावजूद सरकार और शिक्षा विभाग की चुप्पी सवाल खड़े कर रही है। क्या प्रदेश की खेल प्रतिभाओं का प्रोत्साहन वास्तव में सरकार की प्राथमिकता है? यह स्थिति सरकार के उन दावों की पोल खोल रही है, जिसमें वे खेल और खिलाड़ियों के विकास की बात करते हैं।
जनसमर्थन बढ़ता जा रहा है
जैसे-जैसे आंदोलन लंबा खिंच रहा है, वैसे-वैसे इसे स्थानीय लोगों, अभिभावकों और अन्य खेल संगठनों का समर्थन भी मिल रहा है। छात्रों ने स्पष्ट किया है कि वे अपने अधिकारों के लिए किसी भी हद तक जाने को तैयार हैं।
समाधान के बिना आंदोलन नहीं रुकेगा
आंदोलनकारियों ने स्पष्ट कर दिया है कि जब तक उनकी सभी मांगें पूरी नहीं होतीं, तब तक यह भूख हड़ताल जारी रहेगी। अब यह देखना बाकी है कि शिक्षा विभाग और सरकार कब तक इस आंदोलन को नजरअंदाज करती हैं और खिलाड़ियों के सब्र का इम्तिहान कब खत्म होता है।
खेल प्रतिभाओं की उपेक्षा से बढ़ सकता है संकट
सरकार को खेल प्रतिभाओं की उपेक्षा का यह रवैया तुरंत बदलना होगा। अन्यथा, यह आंदोलन न केवल सामाजिक, बल्कि राजनीतिक चुनौती बन सकता है।