
बीकानेर,आगामी 22 फरवरी 2025 को साध्वी ऋतम्भरा का बीकानेर आगमन होगा। सनातन धर्म रक्षा समिति बीकानेर के अध्यक्ष सुरेन्द्र सिंह राजपुरोहित ने बताया कि 22 फरवरी से 28 फरवरी तक साध्वी ऋतम्भरा द्वारा गोपेश्वर बस्ती स्थित जंगलेश्वर महादेव मंदिर में श्रीमद्भागवत कथा का वाचन किया जाएगा। खास बात यह है कि इस दौरान शृंगेरी पीठाधीश्वर जगतगुुरू शंकराचार्य स्वामी भारती तीर्थ भी बीकानेर आएंगे। उक्त आयोजन योगी श्रीहंसनाथजी महाराज मूण्डसर के सान्निध्य में होगा। सुरेन्द्र सिंह राजपुरोहित ने बताया कि विगत दो दिन पहले वृंदावन के वात्सल्य ग्राम में में साध्वी ऋतम्भरा ने आगामी आयोजन के बैनर का विमोचन किया। बैनर विमोचन के दौरान साध्वी ऋतम्भरा ने कहा कि परम श्रद्धेय श्री रामसुखदासजी महाराज व संाख्य प्रणेता कपिल मुनि की धरा पर आना मेरे लिए भी सौभाग्य की बात है। उन्होंने कहा कि सनातन धर्म को आगे बढ़ाना व संस्कारों भरी सीख देना ही संत-महात्माओं का कार्य है। सनातन धर्म रक्षा समिति के पदाधिकारियों का दुपट्टा पहनाकर अभिनंदन किया गया तथा 350 बीघा में बने वात्सल्य ग्राम का अवलोकन भी करवाया गया। बैनर विमोचन के दौरान भागीरथ कुमावत, मनोहर सिंह उटाम्बर, राजेन्द्रसिंह शेखावत, किशन मोदी, झंवरलाल टाक आदि उपस्थित रहे।
सैकड़ों बच्चों की दीदी माँ बनी राम मंदिर आंदोलन को धार देने वाली साध्वी ऋतम्भरा
सौम्यता और वात्सल्य की प्रतिरूप पद्मभूषण साध्वी ऋतंभरा सैकड़ों निराश्रित बच्चों की पालनहार को अब दीदी मां के रूप में सम्बोधित किया जाता है। राममंदिर आंदोलन को धार देने वाली साध्वी लुधियाना के दोराहा गांव में एक जनवरी 1964 को जन्मी तपस्या, त्याग और समर्पण की मूरत हैं। राम मंदिर आंदोलन में अपने ओजस्वी भाषणों के जरिए लोगों में जोश का संचार करने वाली साध्वी ऋतंभरा का 16 वर्ष की उम्र में ही अध्यात्म में मन लग गया था। बीए प्रथम वर्ष की छात्रा थीं, घर छोड़ दिया। संत के रूप में स्वामी परमानंद मिले। उन्हें अपना गुरु बनाया। वर्ष 1982 में उन्हें स्वामी परमानंद ने दीक्षा दी और नाम रखा ऋतंभरा। कुछ वर्ष बाद राम मंदिर आंदोलन शुरू हुआ, तो साध्वी ऋतंभरा ने जनजागरण का बीड़ा उठाया। उनके भाषण सुनने को हजारों की भीड़ जुटती थी। वृंदावन में वर्ष 2001 में वात्सल्य ग्राम बनाया। यहां उन बच्चों को आश्रय मिला, जिन्हें उनके अपनों ने ठुकरा दिया था। यहां हर परिवार की तरह मां हैं, मौसी हैं, भाई और बहन हैं। इन बच्चों की अच्छी पढ़ाई से लेकर विवाह तक की जिम्मेदार खुद साध्वी ऋतंभरा उठाती हैं। यह ऋतंभरा की साधना ही है कि उनके इस परिवार में कोई डाक्टर बना, कोई सीए, कोई इंजीनियर बना और कोई अधिवक्ता। साध्वी ऋतंभरा केवल वात्सल्य ग्राम का संचालन ही नहीं करतीं। उनके द्वारा बालिका सैनिक स्कूल, आदिवासी बेटियों के लिए स्कूल के अलावा समाजसेवा के लिए कई संस्थाएं संचालित की जाती हैं।