
बीकानेर,आध्यात्मिक पर्व नवपद ओली के पांचवें दिन शुक्रवार को रांगड़ी चौक के सुगनजी महाराज के उपासरे में गणिवर्य मेहुल प्रभ सागर म.सा., मुनि मंथन प्रभ सागर, बाल मुनि मीत प्रभ सागर, साध्वी दीपमाला एवं शंख निधिश्रीजी के सान्निध्य में साधु पद की पूजा व वंदना की गई। शनिवार को मुनि व साध्वी वृंद के सानिध्य में सुगनजी महाराज के उपासरे में दोपहर 2 से 4 बजे तक ’’योग एवं ऋतु आहार विज्ञान’’ (दादी नानी के घरेलू नुस्खे) विषयक महिलाओं की विशेष कार्यशाला आयोजित की जाएगी।
गणिवर्य मेहुल प्रभ सागर म.सा. ने शुक्रवार को प्रवचन में साधु पद की महिमा बताते हुए कहा कि पंच परमेष्ठी में साधुपद की भी भाव से वंदन, नमस्कार करने व सम्मान देने का संदेश है। साधु-साध्वी संसारिक भौतिक सुख सुविधाओं का त्याग कर अरिहंत परमात्मा के बताए पवित्र मार्ग का अनुसरण करते है। स्वयं अहिंसा, सत्य,अस्तेय, ब्रह्मचर्य व अपरिग्रह पांच महाव्रत धारण कर जन-जन को जिन शासन के मार्ग पर चलने की प्रेरणा देते है तथा आत्म कल्याण का मार्ग बताते है।
उन्होंने कहा कि अनुकूल और प्रतिकूल परिस्थितियों में समभाव रखने वाले साधु-साध्वी का मोक्ष का लक्ष्य रखकर वीतराग परमात्मा के बताए मार्ग पर चलते हुए दूसरों को आत्म कल्याण की प्रेरणा देते है। जैन साधु-साध्वी,सहन शक्ति, साधना व जन-जन का उपकार व सहयोग करने की भावना रखते है। वे ज्ञान, दर्शन, चारित्र व तप की प्रेरणा देते है तथा अंतर मन से आत्मा व परमात्मा के प्रति समर्पित रहते है। मुनि व साध्वी वृंद के गुणों की चर्चा करें, सभी जैन समुदाय के साधु व साध्वी का सम्मान करें। उनकी कभी निंदा नहीं करें। निंदा करने से पाप का कर्म बंधन होता है। उन्होंने कहा कि वर्तमान में भगवा,सफेद, पीला व काला या अन्य तरह के वेश में देव, गुरु व धर्म की साधना, आराधना व भक्ति दूर कर ठगी करने वाले तथा कथित साधुओं के प्रलोभन व प्रभाव से बचना चाहिए।
उन्होंने कहा कि साधु त्यागी व योगी होते है। वे भोग विलास को त्याग कर आत्म परमात्म से योग करते है। सभी जीवों को मित्र के समान समझते है तथा किसी भी जीव को मन, वचन व काया से कष्ट नहीं पहुंचाने के संकल्प के साथ अपनी साधना करते है। लोगों को धर्म का सही मर्म बताते हुए देव, गुरु व धर्म से जोड़ते है।
महिलाओं की कार्यशाला-
खरतरगच्छ युवा परिषद की बीकानेर इकाई के प्रचार प्रसार मंत्री धवन नाहटा ने बताया कि ’’योग एवं ऋतु आहार विज्ञान’’ कार्यशाला में 15 वर्ष से अधिक आयु की बालिकाएं, युवतियां व महिलाएं योगा ड्रेस के साथ हिस्सा ले सकेंगी। वक्ता व प्रशिक्षक डॉ.निशा दुजारी एवं रानी पारीक योग की महता एवं ऋतु अनुसार आहार-विहार के वैज्ञानिक पक्ष पर मार्ग दर्शन देंगी। रविवार को होने वाले बच्चों के शिविर में ’’गुरु तत्व’ पर लेख प्रतियोगिता होगी।