बीकानेर,पायलट ने कहा मेरा लक्ष्य शुरू से ही 2023 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस की सरकार रिपीट करना का रहा है. उन्होंने कहा कोई कारण नहीं है कि हम राजस्थान में सरकार रिपीट नहीं कर सके.
Rajasthan Politics: राजस्थान में सत्तारूढ़ कांग्रेस (Congress) के भीतर कलह जग जाहिर है.मुख्यमंत्री अशोक गहलोत (CM Ashok Gehlot) सचिन पायलट पर हमला करने का कोई मौका नहीं छोड़ते. दूसरी तरफ पायलट एक कुशल राजनेता की तरह बेहद शांंति से सब कुछ बर्दाश्त कर रहे हैं. पिछलों दिनों भी सचिन पायलट (Sachin Pilot) और सीएम अशोक गहलोत के बीच बयानबाजी हुई थी.
दरअसल, पायलट कांग्रेस अलाकमान को ये विश्वास दिलाने की कोशिश में जुटे हैं कि राजस्थान में वे पार्टी के लिए अपना सबकुछ दांव पर लगा रहे हैं. इसकी पीछे की वजह सीएम गहलोत की बतौर मुख्यमंत्री ये उनकी आखिरी इनिंग मानी जा रही है. गहलोत के बाद राजस्थान में कांग्रेस के पास मुख्यमंत्री के लिए पायलट से बड़ा कोई चेहरा नहीं है. पायलट इस बात को बहुत अच्छे से जानते हैं.
सचिन पायलट ने अपने एक इंटरव्यू में कहा कि राजस्थान में पिछले 25 साल में हम सरकार रिपीट नहीं कर पाए हैं. ये हमारे लिए निश्चित रूप से चिंता का विषय है. उन्होंने कहा कि मेरा लक्ष्य शुरू से ही 2023 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस की सरकार रिपीट करना का रहा है. पायलट ने कहा कि ऐसा कोई कारण नहीं है कि हम राजस्थान में सरकार रिपीट नहीं कर सकें. अगर सब लोग मिलकर काम करेंगे तो साल 2023 में फिर से कांग्रेस की सरकार बनेगी. काफ़ी रगड़ाई के बाद हमारी सरकार बनी है. मेरे जो सुझाव थे कांग्रेस आलाकमान (Congress High Command) ने इन पर अमल किया है और पार्टी लीडरशिप से लगातार बात होती रहती है.
गहलोत के तंज पर ये कहा
सचिन पायलट ने राजस्थान समेत कांग्रेस को लेकर किए गए सवालों पर अपनी राय रखी. साथ ही उन्होंने अशोक गहलोत के उस बयान में जिसमें उन्हें निकम्मा कहकर बुलाया था, पायलट ने कहा मुझे अभी कितना लंबा धर्य रखना है? मैं चुपचाप अपना सिर झुकाकर अपना काम कर रहा हूं. पार्टी में मुझे जो काम सौंपती है मैं सिर झुकाकर उसे पूरा करने की कोशिश करता हूं.
पायलट की साख बढ़ी
दरअसल, बगावत के बाद से पायलट को पार्टी आलाकमान की तरफ से काफी तवज्जो दी जा रही है. कैबिनेट फेरबदल में भी पायलट के समर्थक विधायकों को मंत्रीमंडल में जगह दी गई. वहीं अलाकमान के कहने पर राजनीतिक नियक्तियों में पायलट कैंप के समर्थकों को प्रमुखता मिली है. वहीं अशोक गहलोत कट्टर कांग्रेस माने जाते हैं. तभी पिछले चुनाव में तमाम विरोध के बावजूद कांग्रेस आलाकमान ने उन्हें मुख्यमंत्री की कुर्सी पर बिठाया.