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बीकानेर, द पुष्करणाज फाउण्डेशन द्वारा स्थानीय नत्थूसर गेट के बाहर स्थित सृजन सभागार नालन्दा पब्लिक सीनियर सैकेण्डरी स्कूल में साफा, पाग, पगड़ी प्रदर्शनी लगाई गई, जिसमें संस्था सचिव कृष्णचन्द पुरोहित ने बताया कि मुख्य अतिथि डॉ. राजेन्द्र पुरोहित, (प्राचार्य डूंगर कॉलेज बीकानेर) विशिष्ठ अतिथि श्रीमति डॉ. अनिला पुरोहित (प्रोफेसर इतिहास डूंगर कॉलेज बीकानेर) अति. विशिष्ठ अतिथि राष्ट्रीय संयोजक गोपीकिशन छंगाणी, अध्यक्षता करते हुए द पुष्करणाज फाउण्डेशन के अध्यक्ष राजेश जी रंगा (व्यवस्थापक नालन्दा पब्लिक स्कूल बीकानेर) ने की।
मुख्य अतिथि डॉ. राजेन्द्र पुरोहित ने बताया कि पुष्करणा समाज में यह ऑलम्प्कि सावा 13वी शदी से भी अधिक का समय हो गया है और आज तक हम समाज में यह परम्परा चलती आ रही है द पुष्करणाज फाउण्डेशन द्वारा विभिन्न तरह के कार्यक्रम आयोजित करता है इसमें जो भी कार्य है उनके कार्यकर्ता बढ़-चढ़ कर हिस्सा लेते है जिससे यह संस्कृति बनी हुई है। द पुष्करणाज फाउण्डेशन के द्वारा आज सुई पर पगड़ी, पेसिल पर पगड़ी, हाथों की अंगुली पर पगड़ी और विभिन्न तरह के साफा, पाग, पगड़ी व चन्दा की प्रदर्शनी लगने पर इसमें हमंे पगड़ियों की पहचान और उनके बनाने का तरीका देखने को मिलता है साथ ही चन्दे पर विभिन्न प्रकार के कन्टेन्ट (सन्देश) देखने को मिले जिससे बीकानेर, राजस्थान और हिन्दुस्तान में किस प्रकार से विपदाओं व कठिनाईयों का सामना करते हुए व्यक्ति सहनशीन बनता है यह देखने के लिए समाज के लिए प्रर्दशनी लगाना एक अच्छी पहल है। इसमें कृष्णचन्द पुरोहित बहुमुखी प्रतिभा के धनी है इन्होंने आज विश्वपटल पर अपनी पहचान के साथ समाज में अपनी अलख जगाई है।
विशिष्ठ अतिथि श्रीमति डॉ. अनिला पुरोहित ने बताया कि समाज में पुरूषों के बराबर महिलाएं भी बराबर की हिस्सेदार है और आज महिलाएं पुरूषों के बराबर कामकाज में हाथ बटोर रही है और समाज के रीति रिवाज गीत-संगीत, संस्कृति को संजोये रखी हुई है। समाज में लुप्त हो रही संस्कृति को महिलाएं बढ़चढ कर हिस्सा लेकर समाज में एक अमिट छाप छोड़ी है। द पुष्करणाज फाउण्डेशन के द्वारा पेन्टिग व चन्दे व साफा, पाग, पगड़ी की प्रदर्शनी देखकर मैं अभिभूत हॅू कि बीकानेर में कृष्णचन्द पुरोहित जैसे कलाकार समाज में ऐसे व्यक्ति बहुत कम है जो समाज के कार्यों में बढ़-चढ़ कर हिस्सा लेते है। श्रीमति डॉ. अनिला पुरोहित ने बताया कि आज की 21वी शदी में बेटिया बेटों से कम नहीं है उन्होंने अपना उदाहरण देते हुए बताया कि पुष्करणा समाज में प्रोफेसर की पद पर आसीन रहते हुए समाज के लोगों को सैकड़ों की संख्या में इतिहास के विषय में पी.एचडी. करवा दी और आज भी समाज के लिए हमेशा तत्पर हॅू। मैं समाज के बीच रहकर अपने आप को अभिभूत गर्व महसूस करती हॅू।
अतिविशिष्ठ अतिथि गोपीकिशन छंगाणी राष्ट्रीय संयोजक ने बताया की पूरे विश्व में एक बीकानेर शहर ऐसा है जहां हर दिन तीज-त्यौहार व मेले आयोजित होते है, यहां के लोग हर दिन चाहे सुख हो या दुख, चाहे गरीब हो या अमीर बीकानेर में हर व्यक्ति तीज-त्यौहार को हर्षोउल्लास के साथ मनाते है जैसा की सभी को पता है कि 18 फरवरी को पुष्करणा ऑलम्पिक सावा है इस शादीया सर्वाधिक है हर व्यक्ति इस शादियों में व्यस्त है लोग बाहर से भी आते है लेकिन यहां के लोग दिल की गहराईयों से हर किसी के सहयोग में अपने आप ही हिस्सेदार बन जाता है किसी को कुछ भी कहने की आवश्यकता नहीं है अपने आप ही अन्तरमन से कार्य में लग जाता है। द पुष्करणाज फाउण्डेशन द्वारा विभन्न प्रकार के कार्यक्रम आयोजित होते है जिसका आगाज आज साफ, पाग, पगड़ी व चन्दा की प्रदर्शनी से हुआ है और यह निरन्तर कुछ न कुछ कार्य समाज में नई अलख जगाने के लिए और लोगों को संदेश देने के लिए कार्यक्रम आयोजित होता है। द पुष्करणाज फाउण्डेशन द्वारा नालन्दा पब्लिक स्कूल में छात्र-छात्राओं को अन्तराष्ट्रीय भाषा फ्रेन्च, इटालियन, स्पेनिश, यूरोपियन, जर्मनी आदि भाषाओं का प्रशिक्षण दिया जायेगा।
अध्यक्षता करते हुए फाउडेण्शन के अध्यक्ष राजेश जी रंगा ने बताया कि फाउण्डेशन 2011 से कार्यक्रम आयोजित करता आ रहा है समाज में नई अलख के साथ नवाचार भी दर्शाता है, द पुष्करणा फाउण्डेशन के क्रिया कलापों पर प्रकाश डाला और फाउण्डेशन का परिचय दिया उन्होंने बताया की राजा दाहिर के समय से पुष्करणा ऑलम्पिक सावा आयोजित होता आ रहा है और आज भी यह परम्परा व संस्कृति चल रही है। कार्यक्रम का संचालन हरि नारायण आचार्य ने किया और गणेश रंगा की पेंटिंग को सराहनीय कार्य बताया। फाउण्डेशन के सचिव कृष्णचन्द पुरोहित ने बताया कि प्रदर्शनी में रेवाती पगड़ी, खडकिया पाग, विष्णु रूपी जिसमें गोल साफा, फाल्गुनी साफा, माहेश्वरी पाग, खिडकिया पाग (विष्णुरूपी दुल्हे के लिए), जोधपुरी साफा, अंग्रेजी साफा, गंगाशाही साफा इत्यादी पगड़ियों के बान्धने की सेवाएं देंगें और खिडकिया पाग बन्धवाने के लिए दुल्हों) उमराव पगड़ी उदयपुर, जयपुरी पगड़ी जैसमेरी पगड़ी, बाडमेरी पगड़ी, पाली पगड़ी, मेघवंशी पगड़ी, भाटी राजपूत पगड़ी, खडकीया पाग (कथावाचक), माहेश्वरी पाग, ओसवाल पगड़ी, सुथारन पगड़ी इत्यादि पगडी का महत्व बताया। कोषाअध्यक्ष विमल किशोर व्यास ने आये हुए अतिथियों का आभार प्रकट किया। इस कार्यक्रम में रामचन्द्र आचार्य, महेश पुरोहित, विमल किशोर व्यास, उमेश पुराहित, श्यामसुन्दर किराडू, आशीष ओझा, जुगलकिशोर छंगाणी, मनोज देराश्री, मदन ओझा, अशोक पुरोहित, नन्दकिशोर रंगा, मरूधर बोहरा, राजकुमार रंगा, मोहित पुरोहित, आदित्य पुरोहित, राजेश रंगा, आशिष रंगा, अविनाश व्यास, देवेन्द्र पुरोहित, गोपाल व्यास, राजशेखर हर्ष, विष्णुदत्त पुरोहित, सत्यनारायण छंगाणी समस्त पदाधिकारियों ने हिस्सा लिया और विचार प्रकट किये।

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