बीकानेर,शिक्षा विभाग के वरिष्ठ माध्यमिक विद्यालयों में कृषि पढ़ाने के लिए व्याख्याताओं की भर्ती एक बार फिर ठप हो गई है। हाल ही में नियमों में बदलाव किया गया था, लेकिन भर्ती एजेंसी राजस्थान लोक सेवा आयोग अब शिक्षा विभाग के नए निर्देशों को मानने को तैयार नहीं है।नतीजा यह है कि राज्य भर में हजारों कृषि स्नातक फिर से नौकरी की दौड़ से बाहर हो गए हैं।
कृषि में स्कूल व्याख्याता की भर्ती के लिए कृषि विज्ञान, बागवानी और पशुपालन में स्नातक अनिवार्य है। वहीं जिन उम्मीदवारों ने कृषि में अन्य विषयों में स्नातक किया है, वे इस भर्ती से वंचित हैं। जिस पर उम्मीदवारों ने लंबा आंदोलन किया। न केवल अभ्यर्थी बल्कि विश्वविद्यालय के व्याख्याताओं ने भी कहा कि स्कूल में कृषि पढ़ाने के लिए तीन विषयों पर टिके रहना गलत है। ऐसे में शिक्षा मंत्री डॉ. बी.डी. कल्ला के प्रयासों से माध्यमिक शिक्षा निदेशक कार्यालय ने सभी विषयों के लिए उनके पदों पर भर्ती का रास्ता खोल दिया।
अब दस से बारह हजार बेरोजगार कृषि स्नातकों के लिए भर्ती प्रक्रिया में भाग लेना आसान हो गया है। भर्ती के लिए फाइल आरपीएससी के पास पहुंची। वहां से अनाउंसमेंट जारी नहीं की गई। संयुक्त शासन सचिव शिक्षा समूह (2) ने माध्यमिक शिक्षा निदेशक को शासन स्तर पर निर्णय की जानकारी दी। शिक्षा निदेशक गौरव अग्रवाल ने आरपीएससी को सरकार के फैसले की जानकारी दी, लेकिन आरपीएससी इसे मानने को तैयार नहीं है। आरपीएससी इसके लिए पात्रता में व्यापक बदलाव की जरूरत व्यक्त कर रहा है। ऐसे में यह भर्ती प्रक्रिया रुकी हुई है।
खुशियां मनाई, लेकिन अब दुखी
तीन विषयों को अनिवार्यता से हटा दिए जाने पर अन्य विषयों के शिक्षकों ने खुशी-खुशी जश्न मनाया। उन्होंने शिक्षा मंत्री डॉ. कल्ला और शिक्षा निदेशक गौरव अग्रवाल को भी धन्यवाद दिया, लेकिन अब स्थिति सामान्य हो गई है। कृषि स्नातकों ने कहा- यदि आरपीएससी ने समय रहते इस पर उचित निर्णय नहीं लिया तो आंदोलन किया जाएगा।