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बीकानेर,उत्तर पश्चिम रेलवे के बीकानेर रेल मंडल पर स्थित लॉन्ड्री का रविवार को रेलवे अधिकारियों ने रूटिंग निरीक्षण किया इस दौरान मीडियाकर्मियों (सोशल,ऑनलाइन एवं प्रिंट) ने भी लॉन्ड्री की विजिट की । रेल अधिकारियों ने लॉन्ड्री के रूटीन निरीक्षण के दौरान कार्य की जांच की और साथ ही मीडियाकर्मियों को भी लिनेन (कम्बल, चद्दर एवम पीलू कवर) की मेकेनाइज्ड तरीकों से हो रही धुलाई के बारे में अवगत करवाया।

वरिष्ठ मंडल वाणिज्य प्रबन्धक भूपेश यादव ने बताया कि में पूर्ण स्वच्छता के साथ उच्च क्वालिटी की ऑटोमेटिक मशीनों से लिनेन ( चद्दर,कम्बलों) की धुलाई होती है, साथ ही यात्रियों की सुविधा का पूरा ध्यान रखा जाता है।यात्रियों से प्राप्त शिकायतों के तुरंत निवारण हेतु अलग से वार रूम बना रखा है। वरिष्ठ मंडल वाणिज्य प्रबन्धक भूपेश यादव ने मीडियाकर्मियों के प्रश्नों का भी उचित उत्तर दिया जससे मीडियाकर्मी भी सन्तुष्ट नजर आए।

बेडरौल की शिकायतों में हो रही लगातार कमी

उल्लेखनीय है कि बीकानेर रेल मंडल पर प्रतिदिन 14 टन (28,000 बैडरोल)से अधिक बैडरोल की हो रही मैकेनाइज्ड धुलाई।
भारतीय रेलवे अपने यात्रियों को स्वच्छ और उच्च गुणवत्ता के बेडरौल देने के लिए प्रतिबद्ध है। इसके लिए रेलवे बोर्ड द्वारा स्पष्ट नीति निर्धारण की गई है।

बीकानेर रेल मंडल पर संचालित होने वाली सभी ट्रेनों में वातानुकूलित श्रेणी के कोचों में साफ, स्वच्छ और उच्च गुणवत्ता वाले बेडरौल प्रदान किये जा रहे हैं। सभी चद्दरों और पिलो कवर को प्रत्येक उपयोग के बाद मैकेनाइज्ड लॉन्ड्री में धुलाई और इस्त्री की जाती है ताकि यात्रियों को स्वच्छ बेडरॉल देकर उनकी आरामदायक, हाईजीन और सुरक्षित यात्रा सुनिश्चित की जा सके।
बीकानेर रेल मंडल पर बीकानेर, श्रीगंगानगर में मैकेनाइज्ड लॉन्ड्रिंया स्थापित की गई है। इनकी क्षमता में लगातार वृद्धि की जा रही है। वर्ष 2023 में 1 जनवरी से 31 दिसम्बर तक 10 टन प्रतिदिन थी, जो कि वर्ष 2024 में (बढ़कर)1 जनवरी से 30 नवम्बर तक 14 टन प्रतिदिन होगयी है। बीकानेर मण्डल पर लॉन्ड्री में धुलाई की जाने वाले कपड़ों की क्षमता को 10 टन (20000 नग)प्रति दिन से बढ़ा कर 14 टन(28000 नग) प्रति दिन किया गया है,अर्थात 40% की बढ़ोतरी हुई है। वर्ष 2025 में 9 टन प्रतिदिन का लक्ष्य रखा गया है।
उल्लेखनीय है कि पूर्व में कंबलों की धुलाई 2010 में जहां 3 महीने में एक बार की जाती थी, उस अवधि को घटा कर 2010 के बाद से 2 महीने में एक बार तथा वर्तमान मे 30 दिन में एक बार किया गया है। जबकि घरों में भी कंबल कभी-कभी ही धुलते हैं और ज्यादातर घरों में सिर्फ सर्दियों में धूप स्नान ही कराया जाता है। रेलवे द्वारा एसी कोच में प्रत्येक यात्री को 02 चादरें दी जाती है जिसमें से एक सीट पर बिछाने तथा दूसरी कंबल के कवर के रूप में इस्तेमाल के लिए दी जाती है। इसके अतिरिक्त एसी कोच का तापमान भी 24 के आसपास रखा जाता है ताकि कंबल की आवश्यकता ही ना पड़े और चादर ही पर्याप्त हो।
उत्तर पश्चिम रेलवे पर बेडरौल की अनुपलब्धता और गंदे या फटे बेडरौल की शिकायतों में निरंतर कमी आ रही है। पिछले वर्ष सिर्फ बीकानेर लॉन्ड्री में 2023 में 1 जनवरी से 31 दिसम्बर तक कुल 247 शिकायतें प्राप्त हुई थी जो कि वर्ष 2024 में नवम्बर तक घटकर मात्र 17 रह गयी हैं। अर्थात वर्ष 2023 की अपेक्षा वर्ष 2024 में प्राप्त शिकायतों में 93% की कमी हुई है जो की श्रेष्ठ यात्री सुविधा को इंगित करता है।
इनमें भी अधिकतर शिकायतें केवल बेड रोल उपलब्ध नहीं होने की रही जिन्हें कुछ विलंब से बेड रोल उपलब्ध कराया गया था।
इसके साथ ही चादरों और कंबलों को कुछ समय बाद बदला भी जाता है तथा नए लिनेन सेट की खरीद की जाती है। मैकेनाइज्ड लॉन्ड्रियो में भी सफाई के लिए उच्च गुणवत्ता वाले पदार्थो का इस्तेमाल किया जाता है तथा सीसीटीवी एवं स्टाफ द्वारा निरंतर निगरानी रखी जाती है। धुले हुए कपड़ों की गुणवत्ता को चेक करने के लिए व्हाइटोमीटर का इस्तेमाल किया जाता है।
बीकानेर रेल मंडल पर रेल मदद पर प्राप्त बेड रोल सहित अन्य शिकायतों की निगरानी के लिए वार रूम स्थापित किए गए हैं, जो यात्रियों की शिकायत एवं फीडबैक पर निरंतर 24×7 निगरानी करते हैं।

रेलवे यात्रियों के सुरक्षित एवं आरामदायक यात्रा के लिए कतिबद्ध है। यात्रियों से भी अनुरोध है कि बेड रोल का उपयोग सावधानी से करें एवं इस पर खाना, गंदगी, पानी इत्यादि ना फैलाएं। ” स्वच्छ रेल-स्वच्छ भारत” में अपना योगदान प्रदान करें।
इस अवसर पर वरिष्ठ मंडल वाणिज्य प्रबंधक भूपेश यादव वरिष्ठ मंडल मैकेनिकल इंजीनियर राहुल गर्ग एवं मंडल मेकेनिकल इंजीनियर विश्वेन्द्र हुड्डा सहित रेलवे के अनेक अधिकारी एवम कर्मचारी उपस्थित रहे।

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