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बीकानेर,व्याकरणिक, वैज्ञानिक एवं साहित्यिक दृष्टि से सांगोपांग राजस्थानी भाषा को अब राजस्थान सरकार से राज्य की दूसरी भाषा का दर्जा और भारत सरकार से संवैधानिक मान्यता मिल जानी चाहिए, क्योंकि देश और प्रदेश दोनों जगह एक ही दल की सरकार है। श्री कला-डूंगर कल्याणी राजस्थानी शिखर पुरस्कार से आज समादृत वरिष्ठ साहित्यकार जानकीनारायण श्रीमाली सुदीर्घ समय से राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ से जुड़े हुए हैं, इन्हें संघ और सरकार का ध्यान इस ओर प्राथमिकता से आकृष्ट करवाना चाहिए।
उक्त उद्गार प्रख्यात समाजसेवी एवं ‘श्रमणोपासक’ पत्रिका के संपादक रहे चम्पालाल डागा ने व्यक्त किए। श्री डागा रोटरी क्लब, बीकानेर की ओर से रविवार को क्लब सभागार में आयोजित दसवें राज्य स्तरीय राजस्थानी भाषा पुरस्कार समारोह में अपने अध्यक्षीय उद्बोधन में व्यक्त किए। उन्होंने कहा कि मातृभाषा राजस्थानी भाषा की समृद्धि और इसकी संवैधानिक मान्यता के लिए बीकानेर से अभूतपूर्व प्रयास हुए हैं। हमें  अपने घर-परिवार में भी बोलचाल के रूप राजस्थानी को ही अधिक महत्व देने की आवश्यकता है।
समारोह के मुख्य अतिथि और रोटरी क्लब के पूर्व प्रांतपाल राजेश चूरा ने कहा कि वैसे तो पूरे विश्व में रोटरी क्लब का सूर्यास्त नहीं होता, परंतु अपनी मातृभाषा राजस्थानी की समृद्धि और साहित्यकारों को पुरस्कृत करने का अभिनव आयोजन रोटरी क्लब ने आज से दस वर्ष पूर्व बीकानेर से ही प्रारंभ किया, जिसकी संकल्पना हमारे क्लब के पूर्व अध्यक्ष रोटे. अरुण प्रकाश गुप्ता ने की थी।

राजस्थानी अकादमी के पूर्व सचिव पृथ्वीराज रतनू ने समारोह के उद्देश्य बताते हुए कहा कि रोटरी क्लब पुरस्कार की पूर्ण पारदर्शिता के साथ ऐसे साहित्यकारों को पुरस्कृत करती है, जिन्हें कोई बड़ा अकादमिक सम्मान नहीं मिलता, लेकिन उनका लेखन जमीन से जुड़ा हुआ होता है। उन्होंने बीकानेर के महाकवि पृथ्वीराज राठौड़, कथाकार विजयदान देथा की तरह राजस्थानी लेखकों की लेखनी अजर-अमर और इतिहास को स्वर्णिम बनाने वाली होती है।
समारोह में बीकानेर के वरिष्ठ साहित्यकार एवं ऐतिहासिक रातीघाटी के उपन्यासकार जानकीनारायण श्रीमाली को उनकी उत्कृष्ट साहित्य सेवा के लिए 51,000 की नकद राशि का ‘कला-डूंगर कल्याणी राजस्थानी शिखर पुरस्कार’ प्रदान किया गया। चूरू के राजस्थानी कथाकार राजेन्द्र शर्मा ‘मुसाफिर’ को उनके व्यंग्य-संग्रह ‘सत्त बोल्या गत है’ के लिए 21,000 रुपए का ‘खींवराज मुन्नीलाल सोनी राजस्थानी गद्य पुरस्कार’ तथा जोधपुर की डॉ. सुमन बिस्सा को उनके कविता-संग्रह ‘अंतस रा सुर सांतरा’ पर 11,000 रुपए का ‘ब्रज-उर्मी अग्रवाल राजस्थनी पद्य पुरस्कार’ भेंट किया गया। इसी प्रकार केकड़ी (अजमेर) की श्रीमती विमला नागला को उनके बाल कथा-संग्रह ‘हेत रो परवानो’ के लिए 7,000 रुपए की राशि का ‘सुंदरदेवी तुलसीदास हर्ष राजस्थानी बाल साहित्य पुरस्कार’ प्रदान किया गया। पुरस्कृत साहित्यकारों का परिचय समारोह संयोजक रोटे. मनमोहन कल्याणी, रोटे. श्रीगोपाल सोनी, रोटे. सुनील गुप्ता, अंबुज गुप्ता एवं रोटे. विजय हर्ष ने प्रस्तुत किया।
आगंतुक अतिथियों एवं पुरस्कृत साहित्यकारों के लिए स्वागत उद्बोधन रोटे. शशिमोहन मूंधड़ा ने दिया। कार्यक्रम के विशिष्ट अतिथि पूर्व प्रांतपाल अनिल माहेश्वरी ने भी अपने विचार व्यक्त किए। अतिथियों का स्वागत रोटे, रोटे. किशन मूंधड़ा, रोटे. डी.आर. छलानी, रोटे. आलोक प्रतापसिंह, रोटे. आर.पी. बालेचा, रोटे. सुनील सारड़ा, रोटे. हरीश कोठारी ने किया जबकि स्मृति-चिह्न रोटे. महावीर प्रसाद मूंधड़ा, रोटे. राजेन्द्र बोथरा, रोटे. नवरतन अग्रवाल, रोटे. तरुण मोहता, रोटे. मुकेश बजाज ने भेंट किए।

समोराह के शुभारंभ पर ईश प्रार्थना रोटे. दिनेश आचार्य ने की, चतुर्दिक कसौटी मुरलीधर छिंपा ने की। समारोह का सरस संचालन एडवोकेट किशोरसिंह राजपुरोहित देसलसर ने किया। रोटे. दीनदयाल व्यास ने अतिथियों एवं आगंतुक श्रोताओं के प्रति आभार व्यक्त किया। इस अवसर पर रोटरी क्लब सभागार की दीर्घा में पुस्तक प्रदर्शनी का आयोजन भी किया गया, जिसमें कलासन प्रकाशन, विकास प्रकाशन, रातीघाटी प्रकाशन व पुरस्कृत साहित्याकारों की पुस्तकें शामिल थीं।

 

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