












बीकानेर,जोधपुर:कॉमन लॉ एडमिशन टेस्ट (CLAT) 2026 के नतीजों ने जोधपुर को एक बार फिर गौरव का अवसर दिया है। भारतीय सेना के अधिकारी की पुत्री रोली शर्मा ने इस प्रतिष्ठित और अत्यंत कठिन मानी जाने वाली राष्ट्रीय स्तर की परीक्षा में शानदार प्रदर्शन करते हुए न केवल अपने परिवार बल्कि पूरे आर्मी समुदाय और शहर का नाम रोशन किया है। रोली ने 119 में से 101.50 अंक अर्जित करते हुए गर्ल्स कैटेगरी में ऑल इंडिया रैंक 47 और ओवरऑल ऑल इंडिया रैंक 135 हासिल की है। यह उपलब्धि उस अनुशासन, समर्पण और निरंतर परिश्रम का प्रतिफल है, जो एक आर्मी परिवार के संस्कारों में रचा-बसा होता है।
*आर्मी परिवार की बेटी, जहां अनुशासन बनता है सफलता की नींव*
रोली शर्मा मूल रूप से मेरठ, उत्तर प्रदेश की निवासी हैं, लेकिन वर्तमान में उनका परिवार जोधपुर में निवासरत है। उनके पिता गौरव शर्मा भारतीय सेना में अधिकारी हैं और इस समय कोणार्क कोर में तैनात हैं, जो देश की पश्चिमी सीमा की सुरक्षा में अहम भूमिका निभाता है। माता प्रियंका शर्मा एक गृहिणी हैं, जिन्होंने पारिवारिक संतुलन और भावनात्मक समर्थन देकर रोली को हर मोड़ पर मजबूत बनाए रखा। आर्मी परिवार में पली-बढ़ी रोली ने बचपन से ही समय की पाबंदी, लक्ष्य के प्रति प्रतिबद्धता और कठिन परिस्थितियों में धैर्य बनाए रखने जैसे गुण आत्मसात किए, जो आगे चलकर उनकी इस बड़ी शैक्षणिक सफलता के आधार बने।
*CLAT जैसी कठिन परीक्षा में टॉप रैंक: लाखों में से चुनी गई श्रेष्ठ*
हर वर्ष देशभर से लगभग एक लाख विद्यार्थी CLAT जैसी परीक्षा में भाग लेते हैं, लेकिन इन सभी में से केवल 500 से भी कम सीटें ही देश की शीर्ष नेशनल लॉ यूनिवर्सिटीज़—जैसे बेंगलुरु, हैदराबाद और जोधपुर—में उपलब्ध होती हैं। यह परीक्षा केवल ज्ञान नहीं, बल्कि विश्लेषण क्षमता, तर्कशक्ति, कानूनी समझ, पढ़ने की गति और समय प्रबंधन की भी कड़ी परीक्षा लेती है। ऐसे में रोली शर्मा का इस स्तर पर चयनित होना यह दर्शाता है कि उन्होंने केवल परीक्षा नहीं दी, बल्कि इस चुनौती को पूरी रणनीति और मानसिक मजबूती के साथ जीता।
*रणनीति, निरंतर अभ्यास और मॉक टेस्ट बने सफलता की रीढ़*
रोली ने अपनी सफलता का श्रेय नियमित मॉक टेस्ट, दैनिक अभ्यास और निरंतर आत्म-मूल्यांकन को दिया है। उनका मानना है कि बार-बार मॉक देना न केवल परीक्षा के पैटर्न को समझने में मदद करता है, बल्कि समय प्रबंधन और दबाव में सही निर्णय लेने की क्षमता भी विकसित करता है। कठिन सिलेबस के बावजूद उन्होंने पढ़ाई में निरंतरता बनाए रखी और कमजोर विषयों पर विशेष ध्यान दिया। यही अनुशासित तैयारी उन्हें CLAT 2026 में टॉप रैंक तक ले गई।
*नारी शक्ति और आर्मी संस्कारों का सशक्त उदाहरण*
रोली शर्मा की यह उपलब्धि विशेष रूप से उन छात्राओं के लिए प्रेरणास्रोत है, जो कानून के क्षेत्र में अपना भविष्य बनाना चाहती हैं। आज जब महिलाएं न्यायपालिका, विधि और नीति-निर्माण के क्षेत्रों में तेजी से आगे बढ़ रही हैं, रोली की सफलता इस बात का प्रमाण है कि आर्मी परिवारों की बेटियां भी हर क्षेत्र में उत्कृष्टता हासिल कर सकती हैं। उनका यह सफर ‘नारी शक्ति’ और ‘आर्मी वैल्यूज़’ के संगम का सशक्त उदाहरण बनकर सामने आया है।
*परिवार और आर्मी समुदाय में खुशी की लहर*
रोली की इस बड़ी सफलता के बाद परिवार, मित्रों और आर्मी समुदाय में खुशी और गर्व का माहौल है। परिजनों ने इसे रोली की मेहनत, आत्म-विश्वास और निरंतर समर्पण का परिणाम बताया। उनका कहना है कि यह सफलता केवल एक रैंक नहीं, बल्कि उस संघर्ष की जीत है, जिसमें अनुशासन और लक्ष्य के प्रति ईमानदारी सबसे बड़ी ताकत बनी।
देश की शीर्ष लॉ यूनिवर्सिटी की ओर एक मजबूत कदम
CLAT 2026 में मिली इस शानदार रैंक के साथ रोली शर्मा अब देश की किसी शीर्ष नेशनल लॉ यूनिवर्सिटी में प्रवेश के लिए पूरी तरह सक्षम हैं। आने वाले वर्षों में उनसे न केवल एक सफल कानून विशेषज्ञ बनने की अपेक्षा है, बल्कि एक जिम्मेदार नागरिक और राष्ट्र-निर्माण में योगदान देने वाली व्यक्तित्व के रूप में भी उनकी भूमिका अहम होगी। आर्मी बैकग्राउंड से आई यह बेटी आज शिक्षा के मोर्चे पर भी देश के लिए एक मिसाल बन चुकी है।
