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बीकानेर, रक्षा बंधन को सीएम अशोक गहलोत ने महिलाओं को रोडवेज में दो दिन के मुफ्त सफर का तोहफा दिया था, लेकिन इस सुविधा से राज्य के ऊर्जा मंत्री भंवरसिंह भाटी के विधानसभा क्षेत्र कोलायत सहित कई गांवों की महिलाओं को वंचित रहना पड़ा।

वजह साफ है कि तीर्थराज होने के बावजूद कोलायत में रोडवेज की बसों का संचालन नहीं होता है। इस रूट पर बसें जाती है लेकिन बाइपास से ही निकल जाती है। यह बसें कोलायत के अंदर नहीं जाती। इस कारण महिलाओं और वरिष्ठ नागरिकों को मजबूरन निजी बसों में सफर करना पड़ता है। रोडवेज में महिलाओं को किराए में पचास प्रतिशत की छूट का प्रावधान है, वहीं वरिष्ठ नागरिकों के लिए भी रियायत मिलती है, लेकिन उपखंड़ मुख्यालय होने बाद भी कोलायत और इसके आसपास के गांवों में रहने वाले ग्रामीण रोडवेज बसों में सफर से वंचित है। कोलायत रूट पर निजी वाहनों, लोक परिवहन और निजी बसों का बोलबाला है।

रोडवेज प्रबंधन का तर्क है कि इस रूट पर लंबी दूरी की बसें चलती है। इस कारण बाइपास ही जाती है। अंदर जाकर वापस बाहर आने में किलोमीटर को लेकर फर्क आता है। पर्याप्त यात्री भार भी नहीं मिल पाता। ऐसे में बाइपास ही निकाली जाती है। रोडवेज प्रशासन के अनुसार वर्तमान में तीन बसें फलौदी आगार और दो बीकानेर आगार की लंबी दूरी की बसें संचालित हो रही है।

कोलायत के अंदर रोडवेज की बजाय निजी बसों का बोलबाला होने से लोगों में मलाल है। भाजपा ओबीसी प्रकोष्ठ के प्रदेशाध्यक्ष चंपालाल गेधर, मंडल अध्यक्ष छगनलाल प्रजापत, भूपसिंह भाटी,पंचायत समिति सदस्य नरेंद्र सिंह भाटी, कन्हैयालाल सांखी, युवा नेता सुरेश बिश्नोई ने कहा कि यह स्थिति तब है कि जब कोलायत क्षेत्र के विधायक राज्य सरकार में मंत्री है। बावजूद इसके कोलायत में रहने वाली महिलाओं को रोडवेज बसों की सुविधा नही मिल है। रूट पर निजी बस संचालक चांदी कूट रहे हैं। उनका किराया भी अपनी मर्जी का ही है। लोगों का कहना है कि इस क्षेत्र से आगे जाने वाली बसों का रूट भी तय है लेकिन महज कागजों में ही ठहराव दिखाया गया है। असल धरातल पर तो यहां पर ना ही बीकानेर आगार की और ना ही फलौदी की बस अंदर आती है।

सरकार ने पूर्व में ग्राम पंचायतों को रोडवेज से जोड़ने के लिए ग्रामीण परिवहन सेवा की बसें चलाई भी गई थी। लेकिन कुछ समय बाद ही उस योजना ने दम तोड़ दिया। ग्रामीण परिवहन सेवा में छोटी बसें थी, जो आसानी से दूर दराज के गांवों तक जाकर यात्रियों को लाने-ले जाने की सुविधा भी मिलती थी। बीते दो साल से ग्रामीण बस परिवहन सेवा बंद सी हो गई है।

बीकानेर रोडवेज के आगार मुख्य प्रबंधक अंकित शर्मा ने बताया कि इस रूट पर ज्यादातर बसें बाड़मेर तक जाती है। दूरी अधिक होने के कारण ही बाइपास निकालते है। पूर्व में लोगों की मांग पर बसें चलाई थी। जो अंदर तक जाती थी,लेकिन किलोमीटर के लिहाज से पर्याप्त आय नहीं होती। इस कारण बंद करनी पड़ी। उधर रोडवेज के संयुक्त संघर्ष मोर्चा समय-समय पर गांवों के रूटों पर रोडवेज बसें चलाने की मांग उठाता आ रहा है। मोर्चा के श्रमिक नेता गिरधारी लाल ने रोष जताते कहा कि यूनियन नई बसें खरीदने करने के लिए सरकार को कई बार अवगत करवा चुके है। इसके बाद भी स्थित जस की तस पड़ी है। वर्तमान में बीकानेर में 100 के करीब बसें है, इसमें से आधी तो अनुबंधित है।

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