बीकानेर,स्वामी केशवानंद राजस्थान कृषि विश्वविद्यालय बीकानेर पर राष्ट्रीय कृषि विकास परियोजना अंतर्गत स्वीकृत परियोजनाओं की समीक्षा बैठक कुलपति डॉ. अरुण कुमार की अध्यक्षता में गुरुवार को अनुसंधान निदेशालय में आयोजित की गई। परियोजना प्रभारी डॉ. योगेश शर्मा ने बताया कि बैठक में वर्ष 2021 में स्वीकृत 3 परियोजनाओं के परिणामों तथा वर्ष 2023 में स्वीकृत 6 परियोजनाओं की भावी क्रियान्विति की समीक्षा की गई जिसमें अनुसंधान निदेशक डॉ. पी. एस. शेखावत, कृषि संकाय अध्यक्ष डॉ. आई. पी. सिंह, सामुदायिक विज्ञान महाविद्यालय की अधिष्ठाता डॉ. विमला डुंकवाल, क्षेत्रीय निदेशक अनुसन्धान डॉ. शीशराम यादव उपनिदेशक कृषि अनुसंधान, इंजीनियर जितेंद्र गौड़, पौध व्याधि विभाग के विभागाध्यक्ष डॉ. दाताराम तथा कीट विज्ञान के प्रोफेसर डॉ. वीर सिंह सहित सभी परियोजनाओं के प्रधान अन्वेषकों ने भाग लिया। मशरूम से संबंधित परियोजना के परिणामों की जानकारी देते हुए प्रधान अन्वेषक डॉ. दाताराम ने बताया कि जलवायु अनुकूलता के कारण बीकानेर में ऑस्टर मशरूम के स्पान की मांग ज्यादा है। विश्वविद्यालय इसका स्पान ₹100 प्रति किलो के हिसाब से किसानों को उपलब्ध करवा रहा है। ऑस्टर की चार प्रजातियों पर यहां अनुसंधान जारी है। बीकानेर में तापमान बढ़ने पर मशरूम उत्पादन लेना थोड़ा कठिन है। अप्रैल के बाद किसान यदि मशरूम उगाना चाहे तो मिल्की मशरूम उगाना चाहिए।
अनार परियोजना के प्रधान अन्वेषक डॉ. राजेंद्र सिंह राठौड़ ने बताया कि पश्चिमी राजस्थान में अनार की मृग बहार और हस्त बहार लेना उपयुक्त रहता है। मृग बहार के फल जनवरी-फरवरी तथा हस्त बहार के फल अप्रैल- मई में आना शुरू हो जाते हैं। अंबे बहार जिसके फूल फरवरी-मार्च में आते हैं वह यहां की जलवायु के लिए उपयुक्त नहीं है। उन्होंने बताया कि यहां अनार की भगवा किस्म ली जाती है। अनार फटने की अवस्था में बोरोन (बोरेक्स के रूप) में तथा जिंक सल्फेट प्रत्येक 0.2% को मिलाकर घोल बनाकर फल मटर के दाने के समान होने पर छिड़काव करें तथा उसके एक माह बाद एक छिड़काव और करें। डॉ. पी. एस.शेखावत ने बताया कि नई स्वीकृत परियोजनाओं में लवणीय भूमि में साजी की खेती कर भूमि सुधार, मूंगफली के छिलकों व ऊन अपशिष्ट के कृषि में उर्वरक के रूप में उपयोग, शुष्क जलवायु,आंशिक सिंचित क्षेत्र में बाजरे की आनुवांशिक वृद्धि, विभिन्न फसलों की देसी किस्मों के गुणवत्ता बीज तैयार करना, खजूर में रेडपाम माइट के प्रसार एवं प्रभाव तथा मूंगफली की फसल में पत्ती छेदक कीटों के नियंत्रण पर कार्य होगा।
कुलपति डॉ. अरुण कुमार ने खजूर के मूल्य संवर्धन हेतु नए उत्पाद बनाने, मशरूम उत्पादन तकनीकी पर कृषक प्रशिक्षण आयोजित करने, अनार में बूंद- बूंद सिंचाई के शेड्यूल को किसानों तक पहुंचाने तथा काचरी, कसूरी मेथी, बाजरा, ज्वार और गेहूं की देसी किस्मों का संरक्षण करने की सलाह दी।