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बीकानेर,देवी सिंह भाटी ने अपने विधानसभा क्षेत्र श्रीकोलायत की बज्जू पंचायत समिति क्षेत्र से घोषणा कर दी है कि वे राजस्थान में तीसरा मोर्चा बनाएंगे। यह मोर्चा किसान और आमजन की आवाज बनेगा। तीसरे मोर्चे की पहली बैठक जोधपुर होगी। इसकी संभागवार बैठकें होगी। भाजपा कांग्रेस का बारी बारी सत्ता में आने का खेल खत्म होगा। भाटी ने पहले भी सामाजिक न्याय मंच के बैनर से राजस्थान में अपनी उपस्थिति तीसरे मोर्चे के रूप में दिखाई है। तीसरे मोर्चे का राजस्थान की राजनीति में क्या मायने होंगे यह अभी भविष्य के गर्भ में है जो चुनाव में स्पष्ट हो जाएगा। यह तय माना जा रहा है कि राजनीति करने वाले नेताओं को अगर पार्टियों महत्व नहीं देती है तो उनके लिए तीसरे मोर्चे का विकल्प सामने रहेगा। जनता के बीच तीसरे मोर्चे की स्वीकार्यता कितनी होगी यह भी इस से जुड़े नेताओं की जनता में पैठ पर निर्भर है। यह इस बात पर भी निर्भर करती है कि तीसरे मोर्चे में कोन कोन शामिल होते हैं। भाजपा और कांग्रेस की चुनावी रणनीति क्या रहती है? असंतुष्टों और रालोपा और अन्यों की तीसरे मोर्चे के साथ क्या समीकरण बैठते है। अन्य फेक्टर क्या असर डालते हैं। इसी से तीसरे मोर्चे की सार्थकता सामने आ सकेगी। अभी तीसरे मोर्चे पर बात करना समय से पहले संभावित घटना पर कयास लगाने जैसा ही है। बेशक देवी सिंह भाटी जनाधार वाले नेता है। राजस्थान की राजनीति में वे अपनी उपस्थिति दर्ज करवाने की हैसियत रखते हैं। भाजपा ने राजस्थान में पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राज को अगले चुनाव में कोई महत्वपूर्ण जिम्मेदारी देने के संकेत नहीं दिए है। ऐसे में भाटी को भी बीजेपी में तरजीह मिलने की गुंजाइश नहीं दिखाई दे रही है। भाटी पहले से ही कहते रहे हैं कि अगर भाजपा वसुंधरा राजे को महत्व देती है तो ही वो भाजपा में जाएंगे। तीसरे मोर्चे से भाजपा कांग्रेस के वोट प्रतिशत में उलट फेर हो सकता है।

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