
बीकानेर,नोखा की राजस्थान और देश में अपनी पहचान है। राजस्थान की राजनीति में भी नोखा खास अहमियत रखता है। नोखा नगर पालिका भी अपनी कार्य प्रणाली को लेकर पूरे प्रदेश में जानी जाती है। नोखा में कांग्रेस की सुशीला डूडी विधायक है। भाजपा से बिहारी विश्नोई, कन्हैया लाल सियाग श्रीनिवास झंवर, आस करण भट्टड़, विकास मंच से कन्हैया लाल झंवर, नारायण झंवर, सीता राम पंचारिया समेत कई लोग सक्रिय राजनीति में है। अगर आप राजनीति करते हैं तो जान लीजिए जनता के बीच आपकी क्या छवि है। आप जनहित की सोचते हैं, जनहित में काम करते हैं और जनता का विश्वास जीत पाए हैं तो मानिए कि आप जन नेता है। लोकतंत्र की यही परिभाषा है। जो जनप्रिय हो और जनता की ओर से चुना जाए वो ही जन नेता है। बाकी राजनीतिक गठजोड़, सत्ता के दुरुपयोग से उठा पटक और खरीद फरोख्त की राजनीति से सत्ता हथियाना लोकतंत्र की विकृति है। नोखा नगर पालिका में सत्तासीन पार्टी भाजपा के लोगों की ओर से जो किया गया वो सत्ता के दुरुपयोग और राजनीतिक जोड़ तोड़ का विकृत उदाहरण है। पालिकाध्यक्ष को हटाने के लिए नोखा एडीजे कोर्ट में याचिका दाखिल करने वाले लोग कौन थे? उनका मंतव्य क्या था? नगर पालिका के उपाध्यक्ष निर्मल भूरा ने कैसे पास पलटा- यह सब राजनीतिक विश्लेषण के बिन्दु है। निर्मल भूरा नोखा नगर पालिका के अध्यक्ष पद से हट गए हें। नारायण झंवर ने वापस नोखा नगर पालिका अध्यक्ष का कार्यभार संभाल लिया है। इस मामले में हाई कोर्ट ने एडीजे कोर्ट के फैसले को अगले आदेश तक स्थगित कर दिया है। एडीजे कोर्ट के आदेश पर रोक लगा दी है। एडीजे कोर्ट को सभी आवश्यक दस्तावेज एक सप्ताह में देने के निर्देश दिए हैं। यह तो कोर्ट की प्रक्रिया है। जो चलती रहेगी।
सवाल यह है कि जो नोखा नगर पालिका की सत्ता हथियाना चाहते हैं उनकी जनता में कितनी पैठ है। इस उठा पटक से जनता में क्या संदेश गया है। किसकी प्रतिष्ठा गिरी है किसकी प्रतिष्ठा बढ़ गई है। जनता में किसके प्रति सहानुभूति बढ़ी है। इसके पीछे का ध्येय अगले पालिका चुनाव में सत्ता हथियाने की कहीं व्यूह रचना तो नहीं है? खैर जो भी हो जनता में एक संदेश गया है। इसका असर आगे आने वाले पालिका चुनाव पर होना तय है। अगर सत्तासीन पार्टी नोखा नगर पालिका की सत्ता पर काबिज होना चाहती है तो जनता में अपनी पैठ बनाए। चुनाव जीते और अध्यक्ष बने। ऐसा तभी हो सकता है जब जनसेवा की भावना हो समर्पण हो केवल राजनीतिक पार्टी का झण्डा आपको लोकप्रिय नेता नहीं बना सकता। इसके लिए जनता के बीच अपने आपको खपाना पड़ता है। नोखा नगर पालिका का यह घटनाक्रम स्वच्छ राजनीति का परिचायक नहीं है। जिम्मेदार लोगों को छिछोरी राजनीति शोभा नहीं देती। हर कोई लोकतंत्र में खुद की जिम्मेदारी को समझे तभी लोकतंत्र मजबूत होगा।