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बीकानेर, जब भी हम किसी की शादी की बात सुनते हैं तो सबसे पहले दहेज का ही विवरण सामने आता है और दहेज में भी बहुत सारी लंबी चौड़ी लिस्ट लेकिन राजस्थान में कुश्ती के क्षेत्र में ख्याति प्राप्त पहलवान जगनजी पूनियां जो पटेल बालविहार व्यामशाला चलाते हैं उन्होंने अपने इकलौते पुत्र की शादी में दहेज रूपी दानव का सर्वनाश करते हुए सिर्फ अपने संबंधियों से लक्ष्मी स्वरूपा पुत्रवधू के साथ एक रुपैया नारियल ही मात्र शगुन के तौर पर लिया। यह सम्मान समारोह जाट समाज के द्वारा कृष्णा विहार कॉलोनी बीकानेर में किया गया। जाट मैरिज ब्यूरो ने बताया कि जाट समाज के विशेष लोगों का सम्मान किया गया जिसमें श्रीमान जगन जी पूनियां विशेष सम्मानित होने वालों में से एक थे। एक तरफ पहलवान जी ने समाज को नई दिशा दिखाई की बैटी लक्ष्मी रूप होती है और लक्ष्मी स्वयं ही अपने घर आती है तो फिर इससे बड़ा तो दहेज हो ही नहीं सकता। पहलवान जी ने दहेज जैसी कुप्रथा का त्याग करते हुए अपने पुत्र की शादी पांच साल पूर्व 28 नवंबर 2017 संपन्न की। आज समाज के लिए वे प्रेरणा दायक व्यक्ति कहलाते हैं। पहलवान जी ने बताया कि दहेज एक लालच बहुत बड़ा दानव है इसका खात्मा ही अच्छा है वरना यह जीवन भर दुखदाई बना रहता है, साथ ही साथ उन्होंने यह भी कहा की मृत्यु भोज करना भी एक कुरीति है इस कुरीति को भी समाज से हटा देना ही चाहिए। इस सम्मान समारोह में मुख्य अतिथि एग्रो डेवलपमेंट बोर्ड के अध्यक्ष रामेश्वर जी डूडी, विशिष्ट अतिथि भूदान बोर्ड के अध्यक्ष लक्ष्मण जी कड़वासरा, डूंगरगढ़ के विधायक गिरधारी लाल जी माहिया, टीकाराम जी सांगवा एवं नगर निगम बीकानेर की प्रतिपक्ष नेता श्रीमती चेतना जी चौधरी,टिकुराम जी कस्वा, किशन जी जांगू एवं रामचंद्र जी कस्वा थे। ज्ञात रहे पहलवान जी ने शादी के एक वर्ष बीत जाने के बाद भी किसी को नहीं बताया कि हमने शादी में शगुन के तौर पर रुपैया नारियल लिया है। जाट समाज के द्वारा आयोजित हुए इस सम्मान समारोह के माध्यम से लोगों को ज्ञात हुआ कि पहलवान जी ने ऐसी कुप्रथाऔ का त्याग कर समाज एवं परिवार को गौरवशाली किया है। कुप्रथाओं का त्याग करने वाले पहलवान जी को हर समाज के लोगों के द्वारा बधाई भी मिल रही है और लोग पहलवान जी से प्रेरणा भी ले रहे हैं।

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