बीकानेर,किसी भी विश्व विद्यालय के कुलपति के पद की अपनी गरिमा होती है। स्वामी केशवानंद राजस्थान कृषि वि.व. के कुलपति डा. अरूण कुमार पर छात्र संगठन की ओर से विश्व विद्लाय को भ्रष्टाचार का अड्डा बनाने का आरोप लगाना उचित नहीं है। यह बात सही है कि छात्र फीस वृध्दि का विरोध कर सकते हैं। अपनी समस्या कुलपति के समक्ष रख सकते हैं। कुलपति का भी दायित्व है कि छात्रों की मांगों पर उचित विचार करें। अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद जिम्मेदार छात्र संगठन है। उनका कुलपति पर वि.वि. को भ्रष्टाचार का अड्डा बनाने, सरकारी धन का दुरुपयोग करने तथा वित्तीय अनियमितता का आरोप लगाना शोभा नहीं देता। कुलपति कुलाधिपति महामहिम राज्यपाल के अधीन कार्य करते हैं। अगर कुलपित पर छात्र संगठन की ओर से लगाए गए आरोप सही होते तो निश्चय ही महामहिम राज्यपाल के स्तर पर नोटिस लिया जाता। क्या छात्र संगठन यह मानता है कि राज्य सरकार, बीकानेर के जनप्रतिनिधि आंखे मूंदे बैठे है? एबीवीपी की ओर से लगाए गए आरोपों से कुलपति की साख पर आंच आई है। 20 लाख की गाड़ी खरीदना, बंगले का रिनोवेशन करना कोई भ्रष्टाचार नहीं है। इन कार्यों में निश्चित ही तय प्रक्रिया अपनाई गई होगी। कुलपति की ओर से 23. 12. 2023 में आचार्य और सह आचार्य पद पर नियुक्ति भी तय प्रक्रिया के तहत होती है। फिर भी अगर कुलपित ने नियुक्तियों में अनियमितता की है तो राज्य सरकार मौन क्यों है? यह बात छात्र संगठन को क्यों उठानी पड़ रही है। कुलपति पद पर सबकी निगाहें रहती है। फिर यह कैसे संभव है कि कुलपति पर ये आरोप हो और सरकार, कुलाधिपति और बीकानेर से जन प्रतिनिधियों को पता नहीं चले। छात्र संगठन अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद के पदाधिकारियों को कुलपति पर आरोप लगाने से पहले सोचना चाहिए कि वे कुलपति पद की महत्ता पर चोट पहुंचा रहे है। उनके ये आरोप पद की गरिमा को तार तार कर रहें हैं। छात्र संगठनों के पास अगर भ्रष्टाचार, वित्तीय अनियमितता और सरकारी धन के दुरुपयोग के प्रमाण है तो सरकार को अगवत करवाएं। केवल आरोप लगाने से कोई भ्रष्ट नहीं हो जाता है। यह बात गलत है कि कुलपति के खिलाफ आवाज उठाने वाले छात्रों को डिग्री खराब करने की धमकी दी जाती है। मुद्दों पर आवाज उठाना कतई गलत नहीं है। कुलपति अगर निःकलंक है तो उनके खिलाफ लोग आवाज उठाते रहे क्या फर्क पड़ता है। अगर कोई जांच होती है तो उसमें दूध का दूध पानी का पानी हो जाएगा। हालांकि कुलपति डा. अरूण कुमार खिलाफ राज्य सरकार और कुलाधिपति को कई शिकायतें की गई है। इन शिकायतों के तब तक कोई मायनें नहीं है जब तक की दोष साबित नहीं हो जाता। एबीवीपी को कुलपति पद की गरिमा का मान तो रखना ही चाहिए।
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