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बीकानेर,मिस्टर लोकेश शर्मा अभी आप सी एम के ओएसडी ही तो हैं ? कांग्रेस पार्टी के पदाधिकारी या कांग्रेस में नेता तो नहीं हो। डा. बी. डी. कल्ला के साथ आपका यह व्यवहार शोभा नहीं देता। कल्ला किसी नेता या मुख्यमंत्री की कृपा से राजनीति में नहीं है। उन्होंने अपना पूरा जीवन कांग्रेस और जनहित में खपाया है। राजनीति में बने रहने के लिए तपस्या की है। आज राजस्थान की राजनीति में कल्ला का अपना कद है। कल्ला की सीट पर चुनाव की ख्वाहिश के चलते कल्ला के बारे में इस तरह की बयानबाजी से आपका जो व्यक्तित्व सामने आया है वो बीकानेर की जनता को तो कतई स्वीकार नहीं है। अपने आकाओं के भरोसे आकर देख लेना। कल्ला उन लोगों में से नहीं है जो लोग अपने आकाओं के कृपा पात्र बन कर राजनीति में जगह बनाना चाहते हैं कल्ला पर बयानबाजी से पहले सोचना चाहिए कि ऐसी राजनीति करना कागज की नाव चलना है। जैसे ही आका गर्दिश में आए उनकी कागजी नाव डूबी। ओ एस डी लोकेश शर्मा बीकानेर पश्चिम सीट का कई बार दौरा करके गए हैं। वे कई मौकों पर इस सीट से चुनाव लडने का अप्रत्यक्ष संकेत भी दे चुके हैं उनके यहां बनाए समर्थक यह बात कहने भी लगे हैं। लोकतंत्र में यह सबको छूट है, परंतु मुख्यमंत्री को अपने ओ एस डी को क्या यह छूट देनी चाहिए की सरकार के कैबिनेट मंत्री के साथ चाहे जैसा व्यवहार करें। सी एम के ओ एस डी का कुछ तो प्रोटोकॉल और गरिमा होगी ? ओ एस डी कहते वे शुद्ध राजनीतिक व्यक्ति है। मैं चुनाव लडूंगा। कल्ला जी मार्ग दर्शन दें। जब मै युवा चुनाव लडने के लिए तैयार हूं तो वो कल्ला खुद चुनाव लडने की बात कर रहे हैं। कल्ला ने सही कहा कि पहले सरकारी नोकरी यानि ओ एस डी का पद छोडे। पद छोड़ते ही फिर पता चलेगा कि राजनीति में औकात क्या है? बेशक ओ एस डी कार्मिक नहीं होंगे पर इससे इतर है ही क्या? कल्ला ने कहा कि मैं खुद चुनाव लडूंगा। मैं केसे मार्ग दर्शन दूं। इस सारे एपिसोड का सरकार, कांग्रेस संगठन में अराजकता, मनमानी और गुटबाजी का ही संकेत जाता है। कांग्रेस के भीतर भी वरिष्ठ नेताओं का सम्मान नहीं बचा है। वो भी सी एम के एक ओ एस डी। सी एम भले ही अपने ओ एस डी पर नाज करें वो राजस्थान की राजनीति में कल्ला से प्रोटोकॉल तोड़कर जुबान लड़ाने के तो काबिल नहीं हैं। बेशक कल्ला में राजनीतिक दक्षता के साथ साथ वे सभी बुराइया होगी जो नेताओं में होती है। भाई भतीजावाद, जातिवाद, राजनीतिक पक्षपात और भी कई आरोप होंगे। बेशक उनकी लोकप्रियता घटी होगी। अपनों और चापलूसों के अलावा उन्हें और कोई दिखाई नहीं देता होगा। अपने राजनीतिक हितों को वो सर्वोपरी मानते होंगे ! यह तो आज नेताओं प्रकृति हो गई है। फिर भी कल्ला का राजनीति कद ऐसा तो नहीं है कि सी एम के ओ एस डी चाहे जैसे जुबान लड़ा लें। मान लो लोकेश शर्मा को बीकानेर पश्चिम से टिकट मिल गई वो जीत भी गए। फिर क्या होगा?

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