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जयपुर। राज्य में मन्त्रिमण्डल फेरबदल की संभावनाओं को लेकर शुक्रवार को तीन मंत्रियों ने कांग्रेस राष्ट्रीय अध्यक्ष सोनिया गांधी को पत्र लिखकर इस्तीफे की पेशकश की है। जिसमे से एक राज्य के शिक्षा राज्यमंत्री गोविंद सिंह डोटासरा है। शिक्षा राज्यमंत्री के इस्तीफे के बाद राजस्थान के अभिभावकों और संयुक्त अभिभावक ने खुशी जताई। संयुक्त अभिभावक संघ ने शिक्षा राज्यमंत्री के इस्तीफे को लेकर रविवार को लड्डू बांटेगा।

संयुक्त अभिभावक संघ का गोविंद सिंह डोटासरा को लेकर आरोप है कि वह ” निजी स्कूलों के संरक्षक है और सत्ता के अहंकारी और बदजुबानी है। 31 अगस्त 2020 को स्वेच्छिक राजस्थान बन्द के आह्वान के बाद, 03 सितम्बर 2020 को गोविंद सिंह डोटासरा के सरकारी निवास सिविल लाइन्स पर जब मुलाकात हुई थी तब शिक्षा राज्यमंत्री ने संयुक्त अभिभावक संघ के प्रतिनिधियों के साथ बुरा बर्ताव कर सत्ता की धौस दिखा डराने-धमकाने का प्रयास किया था और मोबाइल रिकॉर्डिंग को डिलीट करवाया था। स्वेच्छिक राजस्थान बन्द के बाद अभिभावक प्रतिनिधि अभिभावकों की मांगों का ज्ञापन लेकर गए थे और अभिभावकों की मांगों पर शिक्षा राज्यमंत्री से चर्चा करने गए थे किंतु शिक्षा राज्य मंत्री ने मंत्री पद की धौस दिखाते हुए, चर्चा करना तो दूर ज्ञापन की कॉपी लेकर फाड़ दिया था। जिसके बाद से लगातार अभिभावक प्रतिनिधि शिक्षा राज्यमंत्री को बर्खास्त करने की मांग कर रहे थे।

संघ प्रदेश अध्यक्ष अरविंद अग्रवाल ने कहा कि राज्य मंत्री मण्डल से सत्ता के अहंकारी का इस्तीफा हो गया है, हालांकि उन्हें पद से हटना नही चाहिए था मुख्यमंत्री को संज्ञान लेकर उन्हें बर्खास्त करना चाहिए था। जिस प्रकार शिक्षा राज्यमंत्री ने सत्ता के प्रभाव के चलते लगातार अभिभावकों का अपमान किया वह निंदनीय है जब तक गोविंद सिंहः डोटासरा अभिभावकों से किये बर्ताव की मांफी नही मांगेंगे तब तक उन्हें और उनकी सरकार को इसका खामियाजा भुगतना पड़ेगा।

प्रदेश महामंत्री संजय गोयल ने कहा कि ” मंत्री मण्डल के बहाने ही सही मुख्यमंत्री देर आये दुरुस्त आये, आखिरकार निजी स्कूलों के संरक्षक शिक्षा राज्य मंत्री को अपना इस्तीफा देना पड़ा। शिक्षा राज्यमंत्री के इस्तीफे के बाद अब स्पष्ट हो गया है कि अभिभावकों के अपमान में मुख्यमंत्री भी शामिल थे, इसलिए मुख्यमंत्री ने उन्हें बर्खास्त ना कर उनका इस्तीफा करवाया।

प्रदेश प्रवक्ता अभिषेक जैन बिट्टू ने कहा कि राज्य सरकार के अधिकतर मंत्री सत्ता के अहंकारी है, झूठ के दम पर प्रदेश की आमजनता को गुमराह करते है। पिछले डेढ़ साल में अभिभावकों ने अनगिनत बार अपनी फरियाद मुख्यमंत्री, शिक्षा राज्यमंत्री तक पहुंचाई किन्तु कोई सुनवाई नही, केवल निजी स्कूलों के संरक्षण में बंद कमरों में बैठकर एकतरफा फैसले होते रहे। मुख्यमंत्री ने भी सदैव शिक्षा राज्यमंत्री को बचाने के भरपूर प्रयास किये जिससे साफ जाहिर होता है कि पूरी सरकार प्रदेश के अभिभावकों और छात्र-छात्राओ को धोखा देकर केवल स्कूलों और माफियाओ को संरक्षण दे रही है। अभी भी अगर अभिभावकों की मांगों को दरकिनार किया गया तो वर्ष 2023 में होने वाले विधानसभा चुनाव में ” निजी स्कूल, शिक्षा ” सबसे बड़ा मुद्दा होगा। ” रविवार को शिक्षा राज्यमंत्री के इस्तीफे को लेकर शहीद स्मारक, एम.आई रोड़ पर संयुक्त अभिभावक संघ के पदाधिकारियों और अन्य अभिभावक एकजुट होंगे और लड्डू बांटकर खुशी व्यक्त करेगे।

*बूस्टर डोज सेकेंडरी है, मुख्यमंत्री प्राइमरी व्यवस्थाओ पर ध्यान देंवे, ऑनलाइन क्लास शुरू करने पर निर्णय जल्द लेंवे*

संघ प्रदेश उपाध्यक्ष मनोज शर्मा ने कहा कि शुक्रवार को कोरोना और डेंगू को लेकर मुख्यमंत्री ने समीक्षा बैठक की और चिंता व्यक्त की, इस दौरान उन्होंने कोरोना महामारी से बचाने को लेकर केंद्र सरकार से बूस्टर डोज की मांग को लेकर पत्र लिखा। जो पूरी तरह से जायज नही है। संयुक्त अभिभावक संघ का कहना है कि ” बूस्टर डोज सेकेंडरी है, मुख्यमंत्री को वर्तमान परिस्थियों पर अपनी प्राइमरी दिखानी चाहिए ” अभी अभिभावक और छात्र-छात्राएं बढ़ते कोरोना मामले को लेकर चिंतित है और स्कूल जाने से डर रहे है, मुख्यमंत्री ने समीक्षा बैठक में चिंता तो व्यक्त की किन्तु उपाय नही किये, जबकि अभिभावक लगातार मांग कर रहे है कि स्कूलों को ऑनलाइन क्लास शुरू करने के निर्देश सख्ती के साथ दिए जाएं, किन्तु मुख्यमंत्री निजी स्कूलों के दबाव के चलते स्कूलों को निर्देश ही नही दे पा रहे है जिसे वह असहाय नजर आ रहे है। जबकि प्रदेश में 40 फीसदी अभिभावकों ने बढ़ते कोरोना मामले सामने आने के चलते बच्चों को स्कूल भेजना बन्द कर दिया और प्रदेश के 85 फीसदी अभिभावक चाहते है कि ऑनलाइन क्लास का फिर से संचालन हो।

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