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बीकानेर,विधानसभा में प्रतिपक्ष के उपनेता राजेंद्र राठौड़ ने राजस्थान हाईकोर्ट में याचिका लगाई और मांग की है कि विधानसभा अध्यक्ष को उन 80 विधायकों के इस्तीफे स्वीकार करने के निर्देश दिए जाएं, जिन्होंने सितंबर में पद से मुक्त करने का आग्रह किया था।मंगलवार को हाईकोर्ट की डबल बेंच ने याचिका पर सुनवाई की। जिसके बाद हाईकोर्ट ने विधानसभा अध्यक्ष और विधानसभा सचिव को दो सप्ताह में जवाब पेश करने के आदेश दिए हैं। इसमें बताना होगा कि इस्तीफे पर कोई कार्रवाई क्यों नहीं हुई।

सीनियर काउंसिल पूनम चांद भंडारी ने हाईकोर्ट से मामले में पैरवी करने की मांग रखी। उन्होंने कहा कि यह कोई जनहित का मामला नहीं है। यह एक राजनीतिक मामला है। यह इस्तीफे स्वीकार करवाकर विपक्ष सरकार को अल्पमत में लाकर अपनी सरकार बनाना चाहता है।

दरअसल, सारा मामला कांग्रेस के अंदरुनी घमासान से जुड़ा है। भाजपा ने इसी का फायदा उठाते हुए कांग्रेस को घेरने की कोशिश की है। राठौड़ ने अपनी याचिका में कहा है कि 25 सितंबर को 80 विधायकों ने अपने पद से इस्तीफा दिया था। इस संबंध में विधानसभा अध्यक्ष ने अब तक कोई फैसला नहीं लिया है और इस वजह से मंत्री-विधायक अवैध तरीके से सरकारी सुविधाओं का लाभ उठा रहे हैं। विधानसभा अध्यक्ष से जल्द से जल्द इस्तीफे स्वीकार करने की मांग की गई थी, फिर भी इस मांग को अनसुना कर दिया। विधानसभा अध्यक्ष सरकार के पक्ष की बात कर रहे हैं और सरकार को बचाने में लगे हैं। इस वजह से हाईकोर्ट विधानसभा अध्यक्ष को निर्देश दें कि वह इस्तीफे स्वीकार करें। दो महीने से लंबित है मामला
दरअसल, अशोक गहलोत को जब कांग्रेस का राष्ट्रीय अध्यक्ष बनाए जाने की चर्चा चली थी तो राजस्थान में नेतृत्व परिवर्तन की अटकलें तेज हो गई थी। 25 सितंबर को विधायक दल की बैठक बुलाई गई थी, जिसमें केंद्रीय पर्यवेक्षक भी आए थे। करीब 80 विधायकों ने बैठक का बहिष्कार करते हुए विधानसभा अध्यक्ष सीपी जोशी को अपना इस्तीफा सौंपा था। इस्तीफे देने वालों में सरकार के सभी मंत्री शामिल हैं। राजेंद्र राठौड़ ने यह मुद्दा उठाकर कांग्रेस सरकार को घेरने की कोशिश की है। उन्होंने हाईकोर्ट से मांग की है कि विधानसभा अध्यक्ष ने दो महीने बाद भी कोई कार्रवाई नहीं की है।

कानूनी तौर पर घेरने की कोशिश
राजेंद्र राठौड़ की याचिका पर हाईकोर्ट क्या फैसला लेता है, यह आने वाले दिनों में साफ होगा। इतना तय है कि कांग्रेस सरकार के सामने यह नया संकट है, जिसका सामना करने के लिए उसे तैयार रहना होगा। वह भी ऐसे समय में जब राहुल गांधी तीन-चार दिसंबर को राजस्थान की सीमा में अपनी भारत जोड़ो यात्रा के साथ आ रहे हैं।

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