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बीकानेर,2022 की वर्षा ऋतु बीत गई है। वर्ष बीतने के साथ राजस्थान में कांग्रेस की भारत जोड़ो यात्रा और भाजपा की जनाक्रोश यात्रा का पटाक्षेप हो गया है। इसका राजनीति परिणाम नए वर्ष 2023 में आना है। राजस्थान की राजनीति में 2022 में मुख्यमंत्री अशोक गहलोत राजनीति के हीरो बनकर उभरे हैं। भाजपा में 2022 में नेता उभरने के नाम पर ठंड ठंड गोपाल है। 2023 में अगर वसुंधरा आती है तो ही तापमान बढ़ सकता है। 2022 में कांग्रेस के मंत्री, नेता और विधायकों ने खुली लूट मचाई है। प्रशासन सिरे से नकारा साबित हुआ है। सरकार की कोई साख है तो जनता में अशोक गहलोत की स्वीकार्यता और उनकी जन कल्याण की योजनाओं के बूते ही हैं। बाकी मंत्रियों की छवि विकास प्रदर्शनी के आयोजन में सामने आ गई है। कई क्षेत्रों में जनता को अपने इलाके के मंत्रियों विधायकों और नेताओं पर भरोसा ही नहीं है। वो जनता के हितों की नहीं, बल्कि अपने हितों की राजनीति कर रहे है। बीकानेर में 2022 का वर्ष राजनीति रूप से रूखा रहा है। राजस्थान के वरिष्ठ नेता डा बी डी कल्ला से ऊर्जा और पीएचईडी मंत्रालय छीना। शिक्षा मंत्री बनाया। शिक्षा मंत्री के भी पावर कम कर दिए । ऊर्जा मंत्री भंवर सिंह भाटी, आपदा मंत्री गोविंद राम मेघवाल अपने विधानसभा क्षेत्र में खूब काम करवाने का दावा कर रहे हैं। किए भी है, परंतु जनता में अपनी स्वीकार्यता और साख नहीं जमा पाए है। केंद्रीय मंत्री अर्जुन राम मेघवाल के लिए अपनी संसदीय क्षेत्र की जनता के आईने में 2022 का वर्ष डल ( निराशा जनक) रहा है। उनकी स्वयं की आत्म संतुष्टि भले ही कुछ भी हो। 2022 वे जनता पर कोई छाप नहीं छोड़ी पाए हैं। सरदार शहर में उनकी भूमिका से नकारात्मक छवि बनी है। परिणाम 2024 को ही आएंगे। देवी सिंह भाटी ने इस वर्ष राजनीतिक सक्रियता और जनता के प्रति संवेदना जरूर दिखाई है। गोचर आंदोलन के जरिए सराहनीय काम किया है। 2022 से ही कन्हैया लाल झंवर , वीरेंद्र बेनीवाल, मंगला राम फिर चुनाव की दौड़ में लग गए है। रामेश्वर डूडी ने खोया ज्यादा पाया कम है। महेंद्र गहलोत, लक्ष्मण कड़वासरा, मदन मेघवाल जरूर सत्ता को एंजॉय कर रहे हैं। भाजपा के तारा चंद सारस्वत, डा विश्व नाथ मेघवाल जैसे कई नेता बर्फ में लगे है। भाजपा विधायक सुमित गोदारा, बिहारी लाल विश्नोई 2023 के लिए अभी से मेहनत कर रहे हैं। सिद्धि कुमारी अपने स्वभाव की राजनीती कर रही है। संभागीय आयुक्त डा. नीरज के. पवन ने केईएम रोड पर जनता के लिए रेड कारपेट बिछाकर ,सहभागी तिरंगा ध्वज फहराकर बीकानेर की राजनीति और राज्य के प्रशासन को कई संदेश दिए। सिद्ध कर दिया की प्रशासन में जनता के लिए कुछ करने की ललक हो तो कामों की एक सूची बन सकती है। राज्य में संभागीय आयुक्त पद के नए प्रतिमान 2022 के इतिहास का ही हिस्सा माना जाएगा। जिला कलक्टर भगवती प्रसाद कलाल को भी बीकानेर का 2022 का यह वर्ष विवादों में घिरने के चलते याद रहेगा। वे जनता से नहीं जुड़ पाए हैं। उनके भाव शून्य व्यवहार से आम जनता में कोई चाहत नहीं बनी है। योजनाओं की समीक्षा के अलावा बीकानेर में ज्यादा कुछ करके नहीं दिखा पाए। हालत यह है कि कलक्टर से जुड़ी समस्याएं जनता संभागीय आयुक्त के पास लेकर जाती है। वे जनता को मीठा उत्तर भी नहीं दे पा रहे हैं। पूर्व कलक्टर नामित मेहता के निर्णय से रानी बाजार रेलवे का अंडर ब्रिज 2022 में जरूर सिरे चढ़ रहा है। 2022 में सरकार, नेताओं और प्रशासन के किए कामों का परिणाम नव वर्ष 2023 में आना है।

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