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बीकानेर,भारत भूमि ऋषि मुनियों की कर्म स्थली सदा से रही है । समय समय पर इस धरा को संत पुरुषों ने अपने अवदानों से इसे विभूषित किया । इसी कड़ी में जैन तेरापंथ के नवम अधिशास्ता गुरुदेव श्री तुलसी ने मात्र 22 वर्ष की आयु में धर्मसंघ के आचार्य बनकर जीवन पर्यंत समाज की दिशा और दशा बदलने का भागीरथी प्रयास किया । युग की धारा को सलक्ष्य मोड़ने का प्रयास किया । जन जन में धार्मिक, नैतिक, मानवीय मूल्यों की आवश्यकता को ध्यान में रखकर उनके जीवन में आमूल चूल परिवर्तन किया । उनके अवदानों में संपूर्ण जन मानस के लिए सुधार का भाव निहित था । ऐसे विलक्षण संत महापुरुष को पाकर ये धरा धन्य हो गई । और उनका निर्वाण इस गंगाशहर की धरती पर हुआ और उनकी स्मृति में निर्मित ये समाधि स्थल जन जन की श्रद्धा और आस्था का केंद्र बिंदु है । और हम आज उनकी मासिक पुण्यतिथि पर उनका श्रद्धा मय स्मरण कर रहे है ।”
उपरोक्त विचार उग्र विहारी तपोमूर्ति मुनिश्री कमलकुमार जी स्वामी ने तुलसी समाधि स्थल, नैतिकता के शक्तिपीठ पर गुरुदेव श्री तुलसी की मासिक पुण्यतिथि पर आचार्य तुलसी शांति प्रतिष्ठान द्वारा आयोजित कार्यक्रम में व्यक्त किए ।

मीडिया प्रभारी धर्मेंद्र डाकलिया ने बताया कि आज के मासिक पुण्यतिथि के इस अवसर पर मुनिश्री श्रेयांस कुमार जी और मुनिश्री मुकेश कुमार जी ने संयुक्त रूप से एक भावपूर्ण गीतिका
_जपे हम तुलसी तुलसी नाम_
_जब तक सूरज चांद गगन में_
_अमर तुम्हारा नाम_
_जपे हम तुलसी तुलसी नाम_
का सँगान किया । उपस्थित सभी जनों ने भी इस गीतिका का साथ में संगान किया ।

आचार्य तुलसी शांति प्रतिष्ठान के अध्यक्ष श्री गणेश बोथरा ने अपने वक्तव्य में मुनि जनों के प्रति कृतज्ञता ज्ञापित करते हुए कहा कि तेरापंथ भवन से पांव पांव चलकर इस गर्मी में आप पधारे और हम सबको गुरुदेव तुलसी के अवदानों का पाठ पढ़ाया । श्री बोथरा ने गुरुदेव तुलसी को जैन परंपरा के एक अद्वितीय और विलक्षण आचार्य बतलाया जो जीवन भर मानव मात्र के कल्याण के लिए सतत प्रयास करते रहे ।

आज के भव्य कार्यक्रम में गणेशमल बोथरा, हंसराज डागा, किशन बेद, दीपक आंचलिया, जेठमल बोथरा,  जतन लाल दुगड़, राजेंद्र सेठिया, भेरूदान सेठिया, धर्मेंद्र डाकलिया, विमलसिंह चोरड़िया, राजेंद्र नाहटा, राजू पारख, राजेश बैद, कमल भंसाली, जगत बेद, अमरचंद सोनी, लूणकरण छाजेड़, जतन संचेती, पवन छाजेड़,  ललित राखेचा, देवेंद्र डागा, करनी दान रांका, इंदर चंद सेठिया, आदि गणमान्य लोगों की उपस्थिति रही । आज के इस मासिक पुण्य तिथि के कार्यक्रम में श्रद्धालु श्रावक और श्राविकाओं की बहुत बड़ी संख्या उपस्थित रही ।

आज इस अवसर पर सुरेंद्र भुरा ने 9 की तपस्या, इंदरचंद छाजेड़ ने 6 की तपस्या आदि अनेक तपस्वी भाई बहनों ने मुनि श्री से तपस्या का प्रत्याख्यान किया ।

आज के अवसर पर तेरापंथ युवक परिषद द्वारा आयोजित मंत्र दीक्षा कार्यक्रम में छोटे छोटे बालक बालिकाओं ने मुनि से मंत्र दीक्षा ग्रहण की । नमस्कार महामंत्र का अर्थ सहित बच्चों को जानकारी दी गई । बच्चों को माला और पुस्तक भी प्रदान की गई । बच्चों को प्रतिदिन नमस्कार महामंत्र के स्मरण का संकल्प करवाया गया ।

 

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