बीकानेर, रांगड़ी चैक के बड़ा उपासरा में शुक्रवार को प्रवचन यतिश्री अमृत सुन्दरजी म.सा, यति सुमति सुन्दरजी म.सा. व यतिनिश्री समकित प्रभाश्रीजी ने कहा कि धर्म-आध्यात्म की साधना-आराधना का पहला कदम सत्य की साधना है। सद्गुरु के चरणों की शरण लें, धर्म व आध्यात्म के मर्म को समझें। अच्छे व सत्संगी और सत्य, साधना आराधना व भक्ति भाव करने वालों की संगत करें तथा प्रेम, मैत्री व क्षमा को जीवन में अपनाएं।
यतिश्री अमृत सुन्दर म.सा ने कहा कि सत्य व धर्म के मार्ग मेें पहले बाह्य व बाद में आंतरिक क्रियाओं के माध्यम से साधक आगे बढ़ता है। साधक, अच्छे लोगों व साधकों के साथ ्संगति से आगे बढ़ सकता है। शुरुआती चरण के अकेले साधक को साधना के मार्ग में अनेक कठिनाइयों को सामना करना पड़ता है। शुरुआती चरण के साधक सत्संगियों के सहयोग से अधिक गति से आगे बढ़ सकते हैं।
उन्होंने कहा कि धर्म उत्कृष्ट मंगल है। सत्य, अहिंसा, संयम व तप इसके मूल आधार है। सांसारिक विषय, भोग की कामना, लालसा व वासना का त्याग कर जीव मात्र के प्रति समता, मैत्री व प्रेम का भाव रखकर तथा देव, गुरु व धर्म पर श्रद्धा व विश्वास कर धर्म के मार्ग पर चलें। उन्होंने दो कहानियों के माध्यम से बताया कि लोग सत्य धर्म के मर्म व मार्ग से अनभिज्ञ है। लोगों को पता नहीं है कि मानव जीवन का सही उद्ेश्य क्या है। जन्म व मृत्यु के बीच के जीवन में हमें संसार में रहते हुए किस तरह वीतराग परमात्मा के मार्ग पर बढ़ना है। मंदिर देव दर्शन के देवालयों,जिनालयों में आलौकिक परमात्म तत्व और निज स्वरूप की प्राप्ति की साधना, आराधना व भक्ति करनी चाहिए, लौकिक विषय वस्तुओं की नहीं।
बड़ा उपासरा खरतरगच्छ श्रीसंघ के ट्रस्टी, सुरेन्द्र डागा ने बताया कि उपासरे मंें सुबह साढ़े पांच से साढ़े छह बजे तक साधना और मंत्री, साढ़े छह बजे मंदिर दर्शन, सुबह नौ बजे से दस बजे तक प्रवचन, दोपहर ढाई बजे से साढ़े तीन बजे तक व शाम छह बजे से सात बजे तक नियमित साधना का आयोजन चातुर्मासकाल में रहेगा।