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बीकानेर,सम्भाग के सबसे बड़े राजकीय डूंगर महाविद्यालय में हिरोशिमा दिवस के उपलक्ष में आयोजित राष्ट्रीय संगोष्ठी के शोध सारांश स्मारिका का विमोचन शुक्रवार को किया गया गया। आयोजन सचिव डॉ. अर्चना पुरोहित ने बताया कि कार्यक्रम के मुख्य अतिथि सिंचित क्षेत्र विकास के अतिरिक्त आयुक्त श्री दुर्गेश कुमार बिस्सा रहे। इस अवसर पर प्राचार्य डॉ.जी.पी.सिंह, वरिष्ठ संकाय सदस्य डॉ. इन्द्र सिंह राजपुरोहित, प्राणिशास्त्र विभाग के विभागाध्यक्ष डॉ. राजेन्द्र पुरोहित ने अपने विचार व्यक्त किये।

इस अवसर पर मुख्य अतिथि श्री दुर्गेश बिस्सा ने बताया कि परमाणु बम के परीक्षणों का पोकरण में विशेष असर देखने को मिलता है। उन्होनें कहा कि पोकरण में बढ़ते हुए केन्सर रोगियों को परमाणु बम परीक्षण से संबंधित होने के संकेत मिलते हैं। उन्होनें कहा कि विकिरणों का सदुपयोग करके ही मानव कल्याण किया जा सकता है। उन्होनें युवाओं में मोबाईल फोन के बढ़ते उपयोग पर गहरी चिन्ता प्रकट की।
प्राचार्य डॉ. जी.पी.सिंह ने कहा कि विकिरण का आविष्कार करने वाले वैज्ञानिकों ने कभी भी इनके विनाशक उपयोग की कल्पना नहीं की थी। डॉ. सिंह ने कहा कि जितना अधिक विकसित मोबाईल का उपयोग किया जावेगा उससे उतने ही अधिक प्रतिकूल शारीरिक प्रभाव देखने को मिलते हैं। उन्होनें विद्यार्थियों एवं संकाय सदस्यों से मोबाईल का सीमित उपयोग करने की अपील की।
विभागाध्यक्ष डॉ. राजेन्द्र पुरोहित ने बताया कि अमेरिका एवं जापान जैसे विकसित देश भारत की वनस्पति संपदा को पेटेन्ट करने हेतु प्रयासरत हैं जबकि स्वयं हमारे देश में उनकी महत्ता कम आंकी जा रही है। उन्होनंे कहा कि केन्सर के बढ़ते प्रभाव को हर्बल औषधियों के उपयोग से कम किया जा सकता है। डॉ. पुरोहित ने कहा कि विकिरण केवल विनाशकारी ही नहीं वरन कल्याणकारी भी होते हैं। उन्होनें वर्तमान चिकित्सा प्रद्धति में सोनोग्राफी, सीटी स्कैन, एम आर आई तथा केन्सर के लिये काम आने वाले कोबाल्ट-60 विकिरणों की महत्ता पर प्रकाश डाला।
डॉ. इन्द्र सिंह राजपुरोहित ने अपने उद्बोधन में कहा कि इस प्रकार के आयोजन से महाविद्यालय के शैक्षणिक उन्नयन में विकास की महत्ता बताई। उन्होनें कहा कि निरंतर होने वाले सेमिनार आदि से विद्यार्थियों को संबंधित विषय में नवीनतम जानकारी उपलब्ध हो सकता है। डॉ. अरूणा चक्रवर्ती ने धन्यवाद ज्ञापित किया।
कार्यक्रम में डॉ. अनिला पुरोहित, डॉ. दीप्ति श्रीवास्तव, डॉ. आनन्द खत्री, डॉ. स्मिता जैन, डॉ. मनीषा अग्रवाल, डॉ. नन्दिता सिंघवी, डॉ. सुषमा जैन, डॉ. इन्द्रा विश्नोई, डॉ. प्रेरणा माहेश्वरी एवं डॉ. एम. डी.शर्मा, डॉ. जयशंकर आचार्य, डॉ.सुनील दत्त व्यास सहित बड़ी संख्या में संकाय सदस्य उपस्थित रहे।

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