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बीकानेर,न्यूयार्क(अमरिका) से प्रकाशित होने वाली उर्दू की अंतर्राष्ट्रीय पत्रिका विरसा के प्रो ज़िया उर रहमान सिद्दीकी विशेषांक का विमोचन रविवार को होटल मरुधर हेरिटेज में किया गया। कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए डूंगर महाविद्यालय में उर्दू की विभागाध्यक्ष डा असमा मसऊद ने कहा कि भारत उर्दू जन्म स्थली है लेकिन खुशी की बात है कि आजकल यूरोप और अमेरिका में भी उर्दू नई बस्तियां बस रही हैं जहां से उर्दू भाषा व साहित्य का प्रचार प्रसार हो रहा है। “विरसा” का ज़िया उर रहमान अंक भी इसी की एक कड़ी है।प्रो ज़िया की उर्दू सेवाएं प्रशंसनीय हैं।
मुख्य अतिथि के रूप में बोलते हुए पूर्व महापौर हाजी मकसूद अहमद ने कहा कि उर्दू भारत में जन्मी हैं लेकिन अमेरिका में अंतर्राष्ट्रीय स्तर की पत्रिका का जारी होना इस बात का प्रमाण है कि आज उर्दू भाषा पूरे विश्व में लोकप्रिय हो रही है।
उन्होंने कहा कि “विरसा” ने प्रो ज़िया पर विशेषांक प्रकाशित कर उनकी सेवाओं को सराहा है।
पूर्व में डा ज़िया उल हसन कादरी ने कहा कि “विरसा” के सलाहकार मंडल में भारत,पाकिस्तान,बांग्ला देश,अमरीका,इंग्लैंड,कनाडा,फ्रांस,जापान सहित 13 देशों के उर्दू विशेषज्ञ शामिल हैं।ऐसी स्तरीय पत्रिका में अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय के प्रो ज़िया उर रहमान सिद्दीकी पर विशेषांक प्रकाशित कर भारत के उर्दू कलमकारों का सम्मान किया है।
विशिष्ठ अतिथि वरिष्ठ शायर जाकिर अदीब ने बताया कि इस पत्रिका में बीकानेर के दो लेखकों डा असमा मसऊद और डा ज़िया उल हसन कादरी के भी आलेख शामिल हैं।ये हमारे लिए गौरव की बात है।
इस अवसर पर असद अली असद,प्रो नरसिंह बिनानी,अब्दुल जब्बार जज़्बी, अमर जुनूनी, हनुमंत गौड़ “नजीर” और राजेंद्र स्वर्णकार ने भी अपने विचार रखे।संचालन डा ज़िया उल हसन कादरी ने किया।

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