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बीकानेर,नई दिल्ली. इस साल पराली नहीं जलेगी और इसका धुआं राजधानी और आसपास के इलाकों का दम नहीं घोटेगा। केंद्रीय बिजली मंत्रालय के अनुसार केंद्र सरकार की एनटीपीसी और उत्तर के विभिन्न राज्यों की ताप बिजली कंपनियों ने अपने संयंत्रों में ईंधन के रूप में इस्तेमाल के लिए 22 लाख टन से अधिक धान के डंठल खरीद के ऑर्डर दिए हैं।

गौरतलब है कि पंजाब, हरियाणा और पश्चिमी उत्तर प्रदेश में इस मौसम में खेतों में धान के डंठल जलाए जाने से प्रदूषण की समस्या होती है।

लाखों टन पराली खरीद की तैयारी

ताजा समीक्षा के अनुसार एनटीपीसी ने 9,30,000 टन पराली का गोला खरीदने का ऑर्डर दिया है। इसी तरह हरियाणा, पंजाब और यूपी अपने बिजली संयंत्रों में जलाने के लिए 13,01,000 टन पराली के गोले की खरीदारी कर रहे हैं।

दो साल पहले शुरू हुआ काम

विद्युत मंत्रालय ने 17 नवंबर, 2017 को कोयला आधारित बिजली संयंत्रों में को-फायरिंग के माध्यम बायोमास के उपयोग पर नीति जारी की थी। इसके बाद अक्टूबर के महीने में लगभग 1400 टन बायोमास का इस्तेमाल हुआ और अब तक 53000 टन बायोमास को संयंत्रों में उपयोग किया जा चुका है।

तीन राज्यों की मुहिम

हरियाणा, पंजाब और उत्तर प्रदेश मिलकर अपने बिजली संयंत्रों में को-फायरिंग के लिए लगभग 13,01,000 टन बायोमास पैलेट्स की खरीदारी कर रहे हैं। इनके ऑर्डर को नवंबर में अंतिम रूप मिलने की उम्मीद है।

58.3% की कमी

सबसे अधिक प्रभावित छह राज्यों जैसे पंजाब, हरियाणा, यूपी, दिल्ली, राजस्थान और एमपी में पराली जलने की घटनाओं में 2020 में इसी अवधि की तुलना में 2021 में अब तक 58.3 प्रतिशत की कमी आई है।

किसानों-हितधारकों को प्रशिक्षण

इस कवायद में हितधारकों की भागीदारी सुनिश्चित करने के साथ जागरूक और प्रशिक्षित करने के लिए हरियाणा और पंजाब में प्रशिक्षण कार्यक्रम आयोजित किए गए हैं। केन्द्रीय विद्युत सचिव आलोक कुमार ने हाल ही ताप विद्युत संयंत्रों में फसलों की डंठल को ईंधन के साथ इस्तेमाल की स्थिति की समीक्षा बैठक ली।

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