बीकानेर,आंचलिकता साहित्य होटल राजमहल में सम्पन्न हुए वैखरी संस्थान के सम्मान एवं पुरस्कार समारोह के अवसर पर राजस्थान साहित्य अकादमी के पूर्व अध्यक्ष डॉ. इंदुशेखर तत्पुरुष ने कहा कि कथा साहित्य में आंचलिकता का प्रभाव न केवल कहानियों को समृद्ध करता है बल्कि उन्हें जीवंत भी बनाता है क्योंकि यह जनमानस के दिल के अंतरतल को छूता है. द्वितीय गोवर्धन लाल चौमाल स्मृति अखिल भारतीय कहानी पुरस्कार से पुरस्कृत कहानी संग्रहों पर अपने बात रखते हुए उन्होंने साहित्य को समाज से जोड़ने का आह्वान किया.
संस्था की सचिव इंजी. आशा शर्मा ने संस्थान एवं प्रतियोगिता के विषय में विस्तार से बताते हुए कहा कि प्रतियोगिता में इस वर्ष प्राप्त कहानी संग्रह उत्तम गुणवत्ता के होने के कारण मूल्यांकन अत्यंत कठिन रहा. अनेक मापदंडों पर परखते हुए सतना, मध्यप्रदेश की कहानीकार सुषमा मुनीन्द्र के कहानी संग्रह “बना रहे यह अहसास” को प्रथम पुरस्कार के लिए चुना गया. द्वितीय एवं तृतीय पुरस्कार के लिए क्रमशः दिल्ली की डॉ. सुनीता एवं हमीरपुर, हिमाचल प्रदेश के डॉ. संदीप शर्मा की कृतियों का चयन किया गया.
संस्था के अध्यक्ष डॉ. विवेकानंद चौमाल ने इस वर्ष प्रारम्भ किये गए श्रीमती सुमित्रा देवी चौमाल स्मृति लोककला सम्मान पर प्रकाश डालते हुए बताया कि राज्य स्तरीय यह सम्मान किसी महिला लोक कलाकार को अर्पित किया जायेगा. इस वर्ष इस सम्मान के लिए अंतर्राष्ट्रीय ख्याति प्राप्त लोक एवं भजन गायिका श्रीमती बेगम बतूल को सम्मानित किया गया.
अपनी रचना प्रक्रिया पर बात रखते हुए सुषमा मुनीन्द्र ने साहित्य संवर्धन में प्रतियोगिताओं के महत्व को रेखांकित करते हुए कहा कि पुरस्कार केवल खुशी ही नहीं देते बल्कि वे साहित्य और समाज के प्रति हमारी जवाबदेही भी बढ़ा देते हैं. डॉ. सुनीता ने महिला सशक्तीकरण की बात करते हुए कहा कि एक पल में भावुक और अगले ही पल संयमित हो जाना इसका सबसे बड़ा उदाहरण है.
नगर के शतकाधिक गणमान्य नागरिकों एवं प्रबुद्धजन की उपस्थिति में सम्पन्न हुए इस समारोह की शुरुआत बेगम बतूल द्वारा प्रस्तुत की गई गणेश वंदना से हुई. तत्पश्चात उन्होंने मांड गायिकी की स्वर लहरियां बिखेरते हुए समारोह को रागमय कर दिया. मंच सञ्चालन सुपरिचित कवि-कथाकार संजय पुरोहित ने किया तथा आभार डॉ. सुदर्शन चौमाल ने ज्ञापित किया.