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बीकानेर,नगर निगम में पट्टाें काे लेकर विवाद बढ़ सकता है। नगर मित्र के यहां सरकारी पट्टे और डिस्पैच रजिस्टर मिलने की विभागीय जांच से आयुक्त बच रहे हैं, जबकि जिला कलेक्टर ने साफ कहा है कि मामला गंभीर है। प्रशासनिक जांच हाेनी चाहिए। क्याेंकि इसे लेकर ऐसे बहुत सारे सवाल हैं, जिनके जवाब निगम की जांच से ही बाहर आ सकते हैं। माजीसा का बास स्थित नगर मित्र इंद्राक्षी कंसल्टेंट्स के ऑफिस में छापे के दाैरान 30 पट्टा फाइल, भूमि शाखा का डिस्पैच रजिस्टर, नकली माेहरें आदि दस्तावेज मिले थे।निगम के सरकारी दस्तावेज वहां तक पहुंचना अपने आप में कई सवाल खड़े कर रहा है। इस काम में निगम के ही किसी कर्मचारी भी मिलीभगत की आशंका से इंकार नहीं किया जा सकता। दरअसल पट्टा बनाने की लंबी प्रक्रिया है। इसके लिए सरकार ने एक सिस्टम बनाया था, जिसके तहत नगर मित्र के यहां पट्टाें का सिर्फ आवेदन करना था। फाइल तैयार करने के बाद नगर मित्र की भूमिका समाप्त हाे जाती है। मेयर, आयुक्त, सचिव, डीटीपी सहित संबंधित कर्मचारियाें के टेबल पर नाेटशीट और फाइलाें का मूवमेंट हाेता है। चाैंकाने वाली बात ये है कि निगम प्रशासन ने पूरा काम ही नगर मित्र के भराेसे छाेड़ रखा था। प्रत्येक फाइल का रजिस्टर हाेता है, जिससे पता रहता है कि फाइल कहां से चली। कब तक कहां रुकी। अधिकारियाें के पास कब पहुंची। किस कर्मचारी या अधिकारी के पास ये फाइलें आखिरी समय थी।मूल पट्टे जमा करा चुके लाेग निगम के पट्टाें काे लेकर असमंजस में नगर निगम से नया पट्टा लेने के लिए लाेगाें काे अपने मूल गंगाशाही पट्टे जमा कराने पड़े हैं। अब वे लाेग खुद काे ठगा हुआ महसूस कर रहे हैं। पट्टाें के फर्जीवाड़े का मामला सामने आने के बाद लाेग तय नहीं कर पा रहे कि उनके पट्टे असली हैं या नकली। क्याेंकि पट्टाें पर मेयर और आयुक्त के साइन फर्जी के हाेने के मामले पहले ही उठ चुके हैं। उनकी जांच अब तक निगम स्तर पर नहीं हाे पाई है। ना ही काेई एफआईआर निगम की ओर से दर्ज कराई गई।पुलिस ने दर्ज किए सचिव और कर्मचारियाें के बयान नगर मित्र के यहां पट्टा फाइलें, डिस्पैच रजिस्टर और फर्जी माेहरें मिलने के मामले में दर्ज एफआईआर काे लेकर सदर थाने के एसआई बेगराज मीणा ने निगम सचिव हंसा मीणा के बयान दर्ज किए हैं। नगर मित्र के खिलाफ हंसा मीणा ने ही मुकदमा दर्ज कराया था। इसके अलावा नगर मित्र के यहां छापा मारने वाले कर्मचारियाें और पट्टा प्रक्रिया से संबंधित कर्मचारियाें के भी बयान लिए गए हैं। रिटायर्ड डीटीपी समुद्र सिंह राठाैड़ और तरुण खत्री तक पुलिस नहीं पहुंच पाई है।

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