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बीकानेर,एलपीजी ट्रांसपोर्टर्स ने भारत पेट्रोलियम कॉर्पोरेशन लिमिटेड (BPCL) की निविदा संख्या BPCL/LPG/PKD/BIKANER/2023-28 में एमएसएमई (सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यम) सार्वजनिक खरीद नीति के तहत ट्रकों के आवंटन में त्रुटियों के संबंध में चिंता व्यक्त की है। ट्रांसपोर्टर्स का आरोप है कि एमएसएमई लाभार्थियों को जनरल कैटेगरी का भी लाभ दिया जा रहा है, जो सार्वजनिक निविदा नीति और प्राकृतिक न्याय के सिद्धांतों के खिलाफ है।

BPCL के प्रतिनिधियों द्वारा स्पष्ट किया गया था कि कंपनी एमएसएमई दिशा-निर्देशों और कानूनों पर निर्णय देने के उपयुक्त प्राधिकारी नहीं है, और इस मामले में स्पष्टता के लिए एमएसएमई मंत्रालय से संपर्क करने की सलाह दी थी। ट्रांसपोर्टर्स ने मंत्रालय से संपर्क किया और दस्तावेज प्राप्त किए, जिनमें कहीं भी यह निर्दिष्ट नहीं था कि एक फर्म को एमएसएमई लाभ देने के बाद उसे सामान्य श्रेणी में पुनः लाभ दिया जाए।

ट्रांसपोर्टर्स का दावा है कि टेंडर के Annexure 31 के अनुसार, एक फर्म को टेंडर की छह कैटेगरीज में से एक का ही चयन करना चाहिए, लेकिन व्यावहारिक रूप से एमएसएमई कैटेगरी चयन करने वालों को जनरल कैटेगरी का भी लाभ दिया जा रहा है। इससे सामान्य वर्ग के हितों का हनन हो रहा है। ट्रांसपोर्टर्स ने बताया कि कई बार मेल और लिखित पत्रों के माध्यम से BPCL के अधिकारियों को सूचित किया गया, लेकिन किसी भी प्रकार की निष्पक्ष जांच नहीं की गई और न ही उचित कार्रवाई की गई।

बीकानेर के एक प्रमुख एलपीजी ट्रांसपोर्टर ने कहा, “इस तरह की नीतिगत त्रुटियां प्राकृतिक न्याय के सिद्धांतों के विपरीत हैं और सामान्य वर्ग के लोगों के हितों के खिलाफ हैं। यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि सामान्य वर्ग के साथ इस तरह का भेदभाव हो रहा है। हमें उम्मीद थी कि हमारे मुद्दों को निष्पक्ष रूप से सुना जाएगा, लेकिन ऐसा नहीं हुआ।”

इस मामले पर, BPCL के उच्चाधिकारियों से संपर्क करने पर उन्होंने कहा कि वे मामले की समीक्षा करेंगे और एमएसएमई मंत्रालय से प्राप्त दिशा-निर्देशों के आधार पर उचित कार्रवाई करेंगे।
इस मामले ने एक बार फिर से सरकारी नीतियों और उनके कार्यान्वयन में पारदर्शिता और निष्पक्षता के महत्व को रेखांकित किया है। ट्रांसपोर्टर्स ने सरकार और संबंधित अधिकारियों से अपील की है कि वे इस मुद्दे का शीघ्र समाधान करें ताकि सामान्य वर्ग के हितों की रक्षा हो सके और एमएसएमई नीति का सही और न्यायसंगत पालन हो सके।

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