जयपुर,हाईकोर्ट ने रीट पेपर लीक मामले में सीबीआई जांच से इनकार कर दिया है। कोर्ट ने यह माना कि इस धांधली में प्रभावशाली लोगों का संबंध है, इसलिए एसओजी को हाईकोर्ट की निगरानी में जांच करने के आदेश दिए हैं।
चीफ जस्टिस अकील कुरैशी और जस्टिस सुदेश बंसल की खंडपीठ ने अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद की जनहित याचिका पर सुनवाई करते कोर्ट रूम में मौजूद एसओजी के अफसरों को 4 हफ्ते में जांच की प्रगति रिपोर्ट पेश करने को कहा। साथ ही चेताया कि अगर कोर्ट जांच रिपोर्ट से संतुष्ट नहीं होगा, तो स्पेशल इंवेस्टिगेशन टीम (एसआईटी) का गठन किया जाएगा।
कोर्ट ने मौजूदा परिस्थितियों में सीबीआई जांच की जरूरत नहीं मानी है। कोर्ट ने एसओजी की जांच पर ही प्रथम दृष्टया संतुष्टि जताते हुए कहा मौजूदा परिस्थितियों में सीबीआई जांच और उसकी दखल की जरूरत नहीं है। हाईकोर्ट ने रीट अभ्यर्थी मधु नागर और भागचंद शर्मा की याचिकाओं को भी अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद के इसी मामले को जोड़ दिया । इन याचिकाओं पर भी कोर्ट एक साथ सुनवाई करेगा। 4 सप्ताह बाद 6 अप्रैल को मामले की अगली सुनवाई होगी।
एबीवीपी की ओर से कोर्ट में पैरवी करने वाले एडवोकेट आयुष मल्ल ने बताया कि रीट में धांधली की सीबीआई की जांच की मांग वाली जनहित याचिका पर 2 घंटे तक सुनवाई चली। उन्होंने कोर्ट के समक्ष अपनी बात रखते हुए कहा कि मुख्यमंत्री अशोक गहलोत खुद राजीव गांधी स्टडी सर्किल के मुखिया हैं। सीएम जब खुद राजीव गांधी स्टडी सर्किल में शामिल हैं और वर्तमान में वे ही गृहमंत्री हैं। इस गंभीर मामले पर निगरानी भी सीएम गहलोत कर रहे हैं ऐसे में निष्पक्ष जांच होना संभव नहीं लगता।
रीट अभ्यर्थी मधु नागर की ओर से एडवोकेट रामप्रताप सैनी ने कोर्ट में पैरवी की। सरकार की ओर से एडवोकेट जनरल और एडवोकेट विज्ञान शाह माध्यमिक शिक्षा बोर्ड की ओर से पेश हुए। कोर्ट ने कहा इसमें कोई गंभीर गलती नजर नहीं आ रही है, जिससे सीबीआई को मामला दिया जाए। 6 अप्रैल को मामले में अगली सुनवाई होगी। मधु नागर और भागचन्द की सिंगल बेंच में लगी याचिका को भी डिविजनल बेंच ने इस केस के साथ मर्ज कर दिया है। रीट संबंधी सभी याचिकाओं की एकसाथ सुनवाई होगी।