बीकानेर,जयपुर। बडे जदोजहद के बाद रविवार को प्रदेश में रीट को लेकर लाखों अभियार्थियों ने परीक्षा दी, जिसका पेपर लीक होने से अब इस पर भी संकट के बादल मंडराने लगे है। एक तरफ राज्य के शिक्षा मंत्री खुद की सरकार को बचाने के लिए पेपर लीक मामले पर लगातार झूठे बयान देकर परीक्षा देने वाले लाखों अभियार्थियों को गुमराह कर रहे है, वही दूसरी तरफ माध्यमिक शिक्षा बोर्ड के अध्यक्ष शिक्षा मंत्री के दावों के उलट जिला परीक्षा संचालन समिति की रिपोर्ट के बाद पेपर लीक फैसला लेने की बात कर रहे है। संयुक्त अभिभावक संघ ने पेपर लीक मामले पर राज्य सरकार और शिक्षा मंत्री को घेरते हुए सवाल किया है कि ” जब शिक्षा मंत्री बोल रहे है पेपर लीक नही हुआ है तो प्रदेशभर में गिरफ्तारियां क्यो हो रही है, शिक्षा मंत्री इस पर जवाब दे, प्रदेशभर के लाखों अभियार्थियों को गुमराह ना करें।
प्रदेश प्रवक्ता अभिषेक जैन बिट्टू ने कहा कि प्रदेशभर के लाखों बेरोजगारों ने बड़े और कड़े संघर्ष के बाद राज्य सरकार पर रीट परीक्षा करवाने का दबाव बनाया था, राज्य सरकार ने मन मारकर बिना तैयारियों के रीट परीक्षा का आयोजन किया किन्तु खुद के नुमाइंदों को नोकरी देने, माफियाओ को संरक्षण देने के उद्देश्य को लेकर पेपर शुरू होने से पहले पेपर आउट करवा दिया, अब इस मामले की जांच शिक्षा मंत्री तक ना पहुंचे उसके लिए राज्य सरकार, शिक्षा मंत्री कार्यालय और शिक्षा विभाग मिलकर शिक्षा मंत्री को बचाने में जुट गए है और खुद शिक्षा मंत्री आगे आकर जांच से बचने के लिए कभी रिटोत्सव मनाने का प्रोपोगंडा रचते है तो कभी वर्ल्ड के नाम पर प्रदेश की जनता को गुमराह कर मामले को दबाने का षड्यंत्र रच रहे है।
प्रदेश अध्यक्ष अरविंद अग्रवाल ने कहा कि प्रदेश के शिक्षा मंत्री मंत्रालय की जिम्मेदारियों का निर्वहन करने के बजाय कांग्रेस पार्टी की सरकार को बचाने में अपनी ताकत का इस्तेमाल कर रहे है जिस प्रकार पिछले डेढ़ सालों से अभिभावक शिक्षा मंत्री और शिक्षा विभाग से लगातार प्रताड़ित हो रहा है ठीक उसी प्रकार प्रदेश की जनता को धोखे में रखकर अपने चहेतों के लिए जगह बनाई जा रही है। पिछले डेढ़ सालों से जो कार्य निजी स्कूलों में हो रहा है उसी तर्ज पर ” रीट परीक्षा ” में भी नाथी के बाड़े लगा दिए गए है।
*निजी स्कूलों की फीस को लेकर सुप्रीम कोर्ट में अगली सुनवाई 1 को, निजी स्कूलों की याचिका पर पेरेंट्स एसोसिएशन और सभी पक्षकारों को जारी किया था नोटिस*
संघ प्रदेश विधि मामलात मंत्री एडवोकेट अमित छंगाणी ने बताया कि 03 मई 2021 को सुप्रीम कोर्ट का आदेश आया था, फीस जमा ना होने के चलते निजी स्कूल की संस्था सोसायटी ऑफ कैथोलिक एजुकेशन इंस्टिट्यूट ने ऑर्डर को मोडिफाई करने की मांग को लेकर याचिका लगाई है। जस्टिस ए. एम खानविलकर की बेंच ने पिछली बार सुनवाई करते हुए पेरेंट्स एसोसिएशन सहित सभी पक्षकारों को नोटिस जारी किया था जिसपर 1 अक्टूबर को सुनवाई होगी।
एडवोकेट अमित छंगाणी ने कहा कि 03 मई को सुप्रीम कोर्ट ने स्पष्ट आदेश दिया था उसके बावजूद आज दिनांक तक भी निजी स्कूलों ने सुप्रीम कोर्ट के आदेश की पालना सुनिश्चित नही की और मनमाने तरीके से फीस वसूलने का दबाव बनाएं रखा अब निजी स्कूल संचालक मनमाने तरीके से डिसाइड फीस की मांग को लेकर पुनः सुप्रीम कोर्ट पहुंचे है। 03 मई को जब आदेश आया था उस दौरान सुप्रीम कोर्ट ने फीस एक्ट 2016 को सही मानते हुए फीस एक्ट के अनुसार निर्धारित सत्र 2019-20 की फीस का 85 % जमा करवाने के आदेश दिए थे, उस समय निजी स्कूलों ने सुप्रीम कोर्ट में बताया था कि उन्होंने फीस एक्ट के अनुसार कमेटियां बनाकर स्कूल की फीस निर्धारित करने का दावा किया था, किन्तु अब नई याचिका में सोसायटी ऑफ कैथोलिक एजुकेशन इंस्टिट्यूट सुप्रीम कोर्ट में बता रहा है कि उन्होंने फीस एक्ट के अनुसार कोई कमेटी नही बना रखी है और ना ही एक्ट के अनुसार फीस निर्धारित की गई है, इसलिए ऑर्डर को मोडिफाई करते हुए स्कूल मैनजमेंट द्वारा निर्धारित फीस को वसूलने का आदेश देंवे। साथ ही स्कूलो ने याचिका में यह भी मांग की है कि पूर्व आदेश में फीस के चलते पढ़ाई नही रोकी जा सकती है उस आदेश को भी हटाने की मांग की है।