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बीकानेर,भाजपा नेता डॉ. सुरेन्द्र सिंह शेखावत ने राज्य के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत पर विजली बिलों में फ्यूल सरचार्ज के रूप में की जा रही वसूली को गहलोत टैक्स करार देते हुए इसे अवैध वसूली बताया है। शेखावत ने राज्य भर के बिजली उपभोक्ताओं से इस माह के विजली बिल में 500 रू. से लेकर 5000 रू. तक अतिरिक्त वसूली के मसले पर प्रेस वार्ता में बोलते हुए इसे राज्य सरकार का सबसे बड़ा घोटाला बताया है।

डॉ. सिंह ने अपने प्रेस बयान में कहा है कि यह राज्य सरकार की जिम्मेदारी है कि वह राज्य में बिजली की मांग और आपूर्ति में सामजस्य रखे। समय रहते संभावित बिजली खरीद करार करें ताकि एन मौके पर बाहरी स्रोत से महंगी दर पर बिजली खरीदनी नहीं पड़े। उन्होंने आरोप लगाया है कि बिजली महकमें के अधिकारियों की यह जिम्मेदारी थी कि वे समय पर संभावित बिजली का अग्रिम करार करते और ऐसा करने में विफल रहने पर उनकी गलती का दण्ड राज्य भर के बिजली उपभोक्ताओं को दिया जाना प्राकृतिक न्याय के सिद्धांत के विपरीत है।

राज्य के समस्त उपभोक्ताओं को निर्बाध विद्युत आपूर्ति की जिम्मेदारी निगम की है। उस पर यह तर्क देना कि बिजली महंगी दर पर खरीदी गई है तो इंधन अधिभार उपभोक्ता को वहन करना पड़ेगा यह प्राकृतिक न्याय के सिद्धांत के विपरीत है। बढ़े हुए ईंधन अधिभार को राज्य सरकार स्वयं अपने स्तर पर वहन करें।

बीकानेर शहर के घरेलू उपभोक्ताओं से जनवरी 22 से मार्च 22 की तिमाही के 0.19 पैसा प्रति यूनिट, अप्रैल 23 से जून 23 में 0.45 प्रति यूनिट और जुलाई 22 से सितम्बर 22 तक 0.52 पैसा प्रति यूनिट की एक साथ वसूली की जा रही है इसके साथ ही 7 पैसा प्रति यूनिट का अलग से स्पेशन फ्यूल चार्ज वसूला जा रहा है जो कि सरासर अन्याय है।

शेखावत ने आरोप लगाया है कि बिजली कम्पनियों के साथ कमिशन का बड़ा खेल खेलने के उद्देश्य से विद्युत निगम के अधिकारियों ने समय रहते बिजली खरीदने के करार नहीं किए जो कि उनकी जिम्मेदारी थी। यह वसूली दोषी अधिकारियों से की जाने की बजाय आम उपभोक्ताओं को अधिकारियों के अपराध की सजा दी जा रही है यह गहलोत टैक्स नही तो और क्या है ?
शेखावत ने यह भी कहा कि बजट घोषणा में 100 यूनिट मुफत – बिजली देने की घोषणा तो 1 अप्रैल से स्वतः ही लागू हो जानी चाहिए थी फिर यह रजिस्ट्रेशन किस बात के लिए करवाए जा रहे है, जबकि 50 यूनिट के लिए कोई पंजीकरण नहीं करवाया गया था। उन्होंने पूर्ववर्ती औसत 750 / – सब्सिडी की कटौती करके 565/- रूपये किए जाने पर भी सवाल उठाए है।

आम उपभोक्ता की 500/- रू. से लेकर 5000 /- रु. तक प्रतिमाह की जेब काटी जा रही है जो कि यह सरकार के अधिकारियों की घोर लापरवाही और लूट के षडयंत्र में शामिल होने की योजना का हिस्सा है।

आंदोलन की चेतावनी :- डॉ. शेखावत ने अपने बयान में कहा है कि अगर सरकार समय रहते अपना निर्णय वापस नहीं लेती है तो हमें मजबूरन उपभोक्ताओं से बिजली बिल जमा नहीं करवाने की अपील करनी पड़ेगी।

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