बीकानेर,प्रदेश में सबसे ज्यादा कार्मिकों वाले शिक्षा विभाग में प्रतिनियुक्ति (डेपुटेशन) लाइलाज होकर जड़े जमा चुकी हैं। सरकारें बदलती रहती है, डेपुटेशन निरस्त के आदेश भी आते-जाते रहते हैं, लेकिन इस बहाने मौज उड़ाने वाली हजारों शिक्षकों की फौज का कुछ नहीं बिगड़ता।
कई तो एसडीएम दफ्तर से लेकर कलक्टर कार्यालय तक में लिपिक बने बैठे हैं। डार्क जोन के दस जिलों में तो दस फीसदी शिक्षक प्रतिनियुक्ति पर सैकड़ों किलोमीटर दूर दूसरे जिले में कार्यरत हैं। माध्यमिक शिक्षा विभाग के निदेशक ने बाकायदा प्रतिनियुक्ति पर कार्यरत 300 शिक्षकों की सूची के साथ डेपुटेशन निरस्त करने के आदेश जारी किए हैं। इस आदेश से हकीकत सामने आई कि सात-आठ साल से शिक्षक प्रतिनियुक्ति पर मौज कर रहे थे। जबकि प्रतिनियुक्ति की अधिकतम सीमा ही पांच साल है। अभी प्रारंभिक शिक्षा में इस खेल से पर्दा उठना शेष है। प्रारंभिक शिक्षा निदेशक ने प्रतिनियुक्त निरस्त के आदेश तो जारी किए लेकिन ऐसे शिक्षकों के नाम और स्थान सार्वजनिक नहीं किए गए हैं। सूत्र बताते हैं कि माध्यमिक से कई गुणा ज्यादा करीब दस हजार शिक्षक प्रारंभिक में प्रतिनियुक्ति वाले हैं। निदेशालय के एक वरिष्ठ कार्मिक ने बताया कि प्रारंभिक शिक्षा में हर जिले में न्यूनतम 200 शिक्षक प्रतिनियुक्ति पर है।
कब से कितने शिक्षक
2016 16
2017 22
2018 20
2019 52
2020 63
2021 35
2022 48
2023 44
कुल 300
प्रारंभिक में जिला अधिकारियों को दिए निर्देश
अभी केवल माध्यमिक शिक्षा के ही डेपुटेशन पर से पर्दा हटा है। प्रारंभिक शिक्षा निदेशालय ने सभी प्रतिनियुक्त कार्मिकों के एक ही ऑर्डर से माध्यमिक की तर्ज पर सूची संलग्न कर डेपुटेशन निरस्त नहीं किए हैं। प्रारंभिक शिक्षा निदेशालय ने जिला स्तरीय अधिकारियों को अपने यहां डेपुटेशन निरस्त कर 12 फरवरी तक मूल पदस्थापन के लिए रिलीव करने के आदेश दिए हैं।
सरकार ही दिखा सकती है साहस
यह सही है कि शिक्षा विभाग में प्रतिनियुक्ति के खेल ने शिक्षा व्यवस्था को प्रभावित कर रखा है। माध्यमिक में हर साल तबादले होते रहने और पदों की संख्या प्रारंभिक के मुकाबले कम होने से प्रतिनियुक्ति का आंकड़ा 300 का ही निकला है। प्रारंभिक में तो जहां हाथ रखो, वहां दर्द वाले हालात है। विभाग के बस की बात नहीं कि वह अपने शतप्रतिशत कार्मिकों और शिक्षकों को मूल पदस्थापन पर वापस ला सकें। सरकार को एक ही सख्त आदेश से सभी को प्रारंभिक शिक्षा विभाग में मूल पदस्थापन पर बुलाना चाहिए। इससे ही बीमारी पर सही चोट होगी।