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बीकानेर,राती घाटी भारतीय इतिहास का स्वर्णिम पृष्ठ राती घाटी भारत के प्रतिरोध के इतिहास का मील का पत्थर स्थानीय वेटरिनरी ऑडिटोरियम में आयोजित 489वें राती घाटी विजयोत्सव के अवसर पर अतिथियों ने ये उद्गार व्यक्त किए। सैकड़ों गणमान्य लोगों की उपस्थिति में आयोजित इस भव्य समारोह में राष्ट्रीय, अंतरराष्ट्रीय स्तर पर शिक्षा, चिकित्सा, सेवा, खेल, गौ सेवा, पर्यावरण संरक्षण, पत्रकारिता एवं सामाजिक कार्यों से समाज को सिंचित करने वाली आठ प्रतिभाओं को राती घाटी राष्ट्रीय अलंकरण से सम्मानित किया गया। इस अवसर पर प्रमुख अतिथि रोटरी रॉयल्स के अध्यक्ष डॉ.मनोज कुड़ी ने अपने विचार व्यक्त करते हुए कहा की इस महान युद्ध और राष्ट्र के लिए दिए गए अगणित बलिदानों को नई पीढ़ी के सम्मुख लाना हम सबकी जिम्मेदारी है। विशेष अतिथि पाराशर नारायण शर्मा ने कहा की यह युद्ध विशिष्ट है और भारत के इतिहास में इसे इसका उचित स्थान मिले यह कार्य मिशन मोड पर किए जाने पर बल दिया। प्रसिद्ध मनोचिकित्सक डॉ. अच्युत त्रिवेदी को स्व. प्रभुनारायण शर्मा स्मृति चिकित्सा सम्मान से विभूषित किया गया। घनश्याम आत्रेय को शिक्षा सम्मान से नवाजा गया। कविता सिहाग को राष्ट्रीय खेलों में स्वर्ण पदक जीतने पर ग्यारह हजार रुपए के राती घाटी खेल रत्न अलंकरण प्रदान किया गया यह पुरस्कार स्वर्गीय मोहन सिंह बीका की स्मृति में श्री नरेंद्र सिंह बीका द्वारा प्रदान किया गया। वीर सावरकर पर्यावरण समिति को इक्कीस हजार रुपए का स्वर्गीय श्री गोपाल चंद्र डूढाणी कालू की स्मृति में उनके परिवार द्वारा सम्मान दिया गया। गौ सेवा के क्षेत्र में कार्य करने पर गजेंद्र कपूर को इक्यावन सौ रुपए का डॉ.गुमान सिंह बिट्टू स्मृति पुरुस्कार प्रदान किया गया। श्री हजारी राम गोदारा को इतिहास एवं विरासत संरक्षण क्षेत्र मे सम्मानित किया गया । विख्यात प्रेस फोटोग्राफर मनीष पारीक को उनके पत्रकारिता एवं समाज हित में किए गए कार्यों के लिए सम्मानित किया गया। श्री निर्मल शर्मा अभियंता रेलवे को, शुचितापूर्ण सेवा के लिए सम्मानित किया गया। समारोह के प्रारंभ में श्रीमती सुमन शर्मा द्वारा सरस्वती वंदना की गई एवं अतिथियों द्वारा मां सरस्वती के सम्मुख दीप प्रज्ज्वलन कर कार्यक्रम का विधिवत शुभारंभ किया गया। वैभव पारीक ने भावपूर्ण गीतों द्वारा समारोह की गरिमा में अभिवृद्धि की। डॉ मोहनलाल जाजड़ा ने सभी आगंतुक अतिथियों का स्वागत किया । राती घाटी समिति के संस्थापक महामंत्री श्री जानकी नारायण श्रीमाली ने अपने उद्बोधन में राती घाटी शोध यात्रा के 3 दशक से अधिक समय के विभिन्न पहलुओं पर विस्तार से प्रकाश डाला और और अपार जन समर्थन के लिए आभार प्रकट किया। इसके बाद मंचस्थ अतिथियों द्वारा बीकाना गौरव स्मारिका जोकि राती घाटी शोध यात्रा के तीन दशकों का दस्तावेजी प्रमाण है, का लोकार्पण किया गया। डॉक्टर चक्रवर्ती नारायण श्रीमाली ने

राती घाटी युद्ध एवं उसमें अपने समय से आगे की जो तकनीक एवं रणनीतियां अपनाई गई उन पर प्रकाश डाला। उन्होंने कहा की स्पीड स्केल और सर प्राइस की रणनीति द्वारा राव जैतसी ने मुगलों के पांव उखड़ दिए और भारतीय इतिहास की एक महान एवं निर्णायक विजय का मार्ग प्रशस्त कर दिया

संस्थापक सदस्यों सर्व श्री जानकी नारायण श्रीमाली, महादेव प्रसाद आचार्य, श्रीमती कमला श्रीमाली, कन्हैयालाल सेठिया और गोविंद नारायण श्रीमाली का बहुमान किया गया। राती घाटी युद्ध शोध में सहयोगी श्री भवर पृथ्वीराज रतनू, नारायण सिंह बेलासर और महेंद्र दवे शिवगंज को सम्मानित किया गया। समिति अध्यक्ष श्री नरेंद्र सिंह बीका ने राती घाटी समिति को सहयोग प्रदान करने का आह्वान किया। आयोजन समिति के अध्यक्ष श्री समुद्र सिंह राठौड़ ने आभार ज्ञापित किया, अंत में वंदे मातरम के साथ समारोह संपन्न हुआ। समारोह में श्री सर्वश्री

सुभाष मित्तल, भवानी सिंह शेखावत, महावीर सिंह तंवर, नरेंद्र सिंह स्यानी, महावीर सिंह पंवार, प्रदीप सिंह चौहान, पुरुषोत्तम सेवग, राम सिंह भाटी डॉक्टर अन्नाराम शर्मा डॉक्टर कुलदीप बिट्टू, डॉक्टर पवन दाधीच, भीम सिंह राजपुरोहित, मेघराज बोथरा, ओंकार सिंह भाटी विजय कुमार कोचर, एडवोकेट किशोर सिंह शेखावत और जतन लाल संचेती आदि प्रमुख लोग उपस्थित रहे। मंच संचालन डॉक्टर राजशेखर पुरोहित एवम मदन मोदी द्वारा किया गया। पुष्पांजलि

वेटरनरी ऑडिटोरियम में संपन्न इस समारोह से पूर्व प्रातः 8:00 बजे श्री लक्ष्मीनाथ जी मंदिर परिसर में रातीघाटी युद्ध के शहीदों को पुष्पांजलि अर्पित की गई।

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