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बीकानेर,श्रीडूंगरगढ़। राजस्थानी के ख्यातनाम कथाकार अन्नाराम सुदामा के जन्म शती वर्ष के उपलक्ष्य में राष्ट्र भाषा हिन्दी प्रचार समिति के सभागार में चींत अर चितार गोष्ठी का आयोजन किया गया। गोष्ठी के मुख्य अतिथि साहित्यकार नंद भारद्वाज ने कहा कि सुदामाजी ने राजस्थानी भाषा की समृद्धि से आम पाठक को परिचित करवाया। राजस्थानी समाज में उनका बड़ा पाठक वर्ग रहा है। अन्नारामजी सुदामा ने अपनी विविध विधाओं की रचनाओं से राजस्थानी साहित्य को समृद्ध किया। उन्होंने इस अवसर पर कहा कि अन्नाराम जी का बहुत सारा साहित्य उपलब्ध नहीं है, किसी संस्था या ट्रस्ट को आगे आ कर उनकी रचनावली का प्रकाशित करना चाहिए। कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए इतिहासकार भंवर भादानी ने कहा कि अन्नाराम सुदामा धरती के रचनाकार हैं। उन्होंने शोषित वंचित वर्ग को अपने साहित्य में वाणी दी है। राजस्थानी के पुरोधा रचनाकार सुदामाजी के लिए राजस्थानी भाषा साहित्य संस्कृति अकादमी को भी आयोजन करने के लिए आगे आना चाहिए। विशिष्ट अतिथि हरिमोहन सारस्वत ‘रूंख’ ने कहा कि अन्नाराम सुदामा का विपुल साहित्य हिन्दी और राजस्थानी दोनों भाषाओं में है और बहुत सा उपलब्ध नहीं है। सबसे पहले इस ओर ध्यान दिया जाना चाहिए। डाॅ मदन सैनी ने अन्नारामजी सुदामा के राजस्थानी काव्य पर, डाॅ चेतन स्वामी ने उनकी कहानियों पर तथा मोनिका गौड़ ने उनके उपन्यास साहित्य पर पत्रवाचन किया। सुदामा जी के सुपुत्र डाॅ मेघराज शर्मा ने उनके साहित्यिक जीवन के अनेक प्रसंग सुनाए, जिन्हें उपस्थित जनों ने बहुत रुचि से सुना। सुदामा जी के साहित्य पर केन्द्रित नंद भारद्वाज द्वारा संपादित ‘सिरजण री साख रा सौ बरस’ पुस्तक तथा डाॅ चेतन स्वामी द्वारा रचित ‘राजस्थानी कहाणी : इतिहास अर आळोच’ पुस्तकों का लोकार्पण किया गया। संस्थाध्यक्ष श्याम महर्षि ने आभार ज्ञापित किया। समारोह का संयोजन रवि पुरोहित ने किया। संगोष्ठी में रामचंद्र राठी, तुलसीराम चोरड़िया, डॉ गौरी शंकर प्रजापत, डॉ नमामीशंकर आचार्य, राज बिजारणिया, पुन्नू बीकानेरी, विजय महर्षि, बजरंग शर्मा, सत्यदीप, प्रशांत बिस्सा, सत्यनारायण योगी, सोहनलाल ओझा, लीलाधर सारस्वत, मनीष शर्मा, डॉ राधाकिशन सोनी, मोती सिंह राठौड़, मगन सिंह शेखावत, करणी सिंह बाना, सत्यनारायण स्वामी, राजेश शर्मा, नारायण सारस्वत सहित अनेक संभागियों ने हिस्सा लिया।

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