बीकानेर,राजस्थान (Rajasthan) में शिक्षा की गुणवत्ता के मामले में राज्य भर में बूंदी (Rajasthan Bundi District) जिला सेकंड रहा है. जबकि प्रदेश में इस बार भी पहला स्थान जयपुर (Jaipur) को मिला है. राजस्थान स्कूल शिक्षा परिषद (Rajasthan Council Of School Education) की ओर से अप्रैल की रैंकिंग जारी की गई है, जिसमें जयपुर प्रथम तो सबसे नीचे पायदान पर यानी 33वें नंबर पर अजमेर (Ajmer) जिला रहा है. राजस्थान स्कूल शिक्षा परिषद की ओर से जारी की गई सूची में सवाई माधोपुर जिले की रैंकिंग सुधरी है.
इन जिलों की रैंकिंग सुधरी –
सवाई माधोपुर पहले 19वें स्थान पर था जो अब बढ़कर 16वें स्थान पर पहुंच गया है. इसी तरह करौली चौथे से छठे स्थान पर जबकि धौलपुर 10वें से 12वें स्थान पर आ गया है. वहीं सबसे ज्यादा ख़राब स्थिति भरतपुर जिले की रही है.
क्या है रैंकिंग गिरने की वजह –
भरतपुर जिले की लगातार रेटिंग गिर रही है. भरतपुर जिला नहीं संभाग पूरे प्रदेश भर में फिसड्डी रहा है. हाल में जारी रैंकिंग में भरतपुर 11वीं पायदान से खिसक कर 19वें पायदान पर आ गया है. विभागीय अधिकारियों की मानें तो अफसरों की लापरवाही की वजह से शिक्षा की क्वालिटी कम हो रही है. रैंकिंग गिरने की दूसरी बड़ी वजह जिले में शिक्षा अधिकारियों के खाली पड़े पदों को भी माना जा रहा है.
जानें सभी जिलों के आंकड़े –
राजस्थान स्कूल शिक्षा परिषद की ओर से जारी किए गए आंकड़ों के अनुसार जयपुर-1, बूंदी-2, चूरू-3, श्रीगंगानगर-4, हनुमानगढ़-5, करौली-6, पाली-7, दौसा-8, सीकर-9, उदयपुर-10, कोटा-11, सवाई माधोपुर-12, नागौर-13, झुंझनूं-14, टोंक-15, धौलपुर-16, अलवर-17, चित्तौड़गढ़-18, भरतपुर-19, डूंगरपुर-20, बाड़मेर-21, जोधपुर-22 सिरोही-23, भीलवाड़ा-24, बारां-25, प्रतापगढ़-26, बांसवाड़ा-27, बीकानेर-28, राजसमंद-29, झालावाड़-30, जालौर-31, जैसलमेर-32 और अजमेर-33वें स्थान पर रहा है.
2015 से जारी हो रही है स्कूलों के रैंकिंग –
राजस्थान शिक्षा विभाग ने स्कूलों की रैंकिंग की प्रक्रिया 2015 से शुरू की थी. पहले रमसा यूनिट फिर एसएसए यूनिट रैंकिंग जारी करने लगा. इसके बाद 2018 में शिक्षा विभाग का एकीकरण होकर समग्र शिक्षा विभाग बना और एक ही रैंकिंग जारी होने लगी. राजस्थान स्कूल शिक्षा परिषद कई मापदंड पर रैंकिंग जारी करता है.
इस आधार पर होती है रैंकिंग –
रैंकिंग के लिए स्कूल को 43 पैरामीटर्स के आधार पर सूचना अपलोड करनी होती है. इसमें नामांकन में वृद्धि, प्रारम्भिक पंचायत, स्कूलों में बिजली कनेक्शन की उपलब्धता, सुरक्षित पेयजल, खेल मैदान, चारदीवारी, सैनिटरी नैपकिन डिस्पेंसर, ज्ञान उपलब्धता, शंका समाधान सहित कई सूचनाएं प्रदान करनी होती हैं. उसके आधार पर यह रैंकिंग निकाली जाती हैं.
रैंकिंग में पीछे रहने की कई वजह आई सामने -राजस्थान स्कूल शिक्षा परिषद की ओर से जारी की जाने वाली रैंकिंग में पीछे रहने की कई वजह सामने आई है. विभाग ने 43 पैरामीटर पर सूचियों को अपलोड करने के निर्देश दिए हैं. लेकिन कहीं विद्यालय इन्हें अपलोड नहीं कर पा रहे हैं तो कहीं पैरामीटर ही पूरा नहीं कर पा रहे हैं. जिसके चलते विद्यालयों की रैंकिंग जिलों में लगातार गिर रही है. राजस्थान स्कूल शिक्षा परिषद ने ऐसे विद्यालयों को चिन्हित करना भी शुरू कर दिया है जो इन पैरामीटर्स को पूरा नहीं कर रहे हैं, उन्हें अब नोटिस भेजने की तैयारी है.