बीकानेर,जवाहर कला केन्द्र जयपुर के तत्वावधान में श्री आशापुरा नाट््य एवं लोक कला संस्थान की ओर से बिस्सों के चैक में आयोजित 17 दिवसीय रम्मत (लोकनाट््य) कार्यशाला के समापन पर मंगलवार को प्रतिभागियों ने प्रस्तुतियां दी व लोकनाट््य पर विशद्चर्चा हुई।
कार्यशाला में 21 किशोर व बालकों ने हिस्सा लिया तथा उस्ताद कृृष्ण कुमार बिस्सा, वरिष्ठ लोक गायक सांवर लाल रंगा और संतोष जोशी से रम्मत के संवादों को बोलने, ख्याल, चैमासा व लावणी को गाने का प्रशिक्षण प्राप्त किया। मुख्य अतिथि क्षेत्र के पार्षद प्रदीप उपाध्याय, वरिष्ठ सांस्कृृतिक पत्रकार शिव कुमार सोनी और रम्मत के उस्तादों, प्रशिक्षकों ने कार्यशाला में हिस्सा लेने वाले प्रतिभागियों को प्रशस्ति पत्र दिया तथा रम्मत के विभिन्न पक्षों की जानकारी दी।
जवाहर कला केन्द्र जयपुर की अतिरिक्त निदेशक अनुराधा गोगिया ने वच्र्युल संदेश में कहा कि जवाहर कला केन्द्र राजस्थान की लुप्त हो रही लोक कलाओं के संरक्षण व संवर्द्धन के लिए कार्य कर रहा है। बीकानेर में पहलीबार आयोजित रम्मत कार्यशाला में लोगों के उत्साह को देखते हुए इसे प्रतिवर्ष करने पर विचार किया जाएगा। उन्होंने बताया कि बीकानेर की मथैरण कला, उस्ता कला, बीकानेरी शैली की चित्रकला, लकड़ी की गणगौर बनाने की कला, होली पर होने वाले डांडिया कला, चूने की आलागिला कला और कपड़ों की छपाई-रंगाई कला पर भी कार्य किया जाएगा। मुख्यमंत्री की बजट घोषणा में भी लोक संगीत व कला को पुर्नजीवित करने के लिए प्रावद्यान रखा गया है।
लोकनाट्य प्रशिक्षण शिविर में अतिथि के रूप् में पार्षद प्रदीप उपाध्याय ने कहा कि रम्मतें बीकानेर की सांस्कृृतिक धरोहर है। जवाहर कला केन्द्र ने बीकानेर में कार्यशाला आयोजित कर आने वाली पीढ़ी को इस धरोहर से जोड़ने का स्तुत्य कार्य किया है। उन्होंने कहा कि वे केन्द्रीय कला एवं संस्कृृति मंत्री से भी बीकानेर में रम्मत के कलाकारों को आर्थिक सहयोग व पेंशन आदि दिलवाने के लिए प्रयासरत है।
वरिष्ठ लोकगायक सांवर लाल रंगा ने कहा कि रियासत काल से चल रही रम्मतों के ख्याल, चैमासा, लावणी व स्तुतियों को भाव से प्रस्तुत करने पर वे सार्थक परिणाम देती है। गायक के साथ श्रोता के भी रोग,शोक व दोष दूर होते है तथा वह स्वस्थ मनोरंजन के साथ रम्मत के लौंकिक व आलौकिक संदेशों को ग्रहण करता है। उन्होंने रम्मत के कलाकारों स्वर्गीय रमणा बिस्सा, जीतमल सेवग, स्वर्गीय अमर चंद पुरोहित, हथिया महाराज आचार्य आदि की विशिष्टताओं का स्मरण करते हुए उन्हें नमन किया।
वरिष्ठ सांस्कृृतिक पत्रकार शिव कुमार सोनी ने बताया कि कार्यशाला से बीकानेर की सांस्कृृतिक धरोहर से बाल व युवापीढ़ी जुड़ेंगी तथा मोबाइल के अधिक उपयोग के इस दौर में आने वाली पीढ़ी स्वस्थ मनोरंजन के साधनों की ओर बढ़ेगी। रम्मत के कलाकार बलदेव बिस्सा बल्लूजी व इन्द्र कुमार बिस्सा ने बताया कि कार्यशाला में नौटंकी शहजादी, भक्त पूर्णमल और अमर सिंह राठौड़ की रम्मत के कथानक, संगीत, अभिनय व नृृत्य पक्ष से प्रशिक्षणार्थियों को अवगत करवाया गया। प्रशिक्षणार्थियों ने कार्यशाला में सीखें गए कौशल का प्रदर्शन किया। पूर्व में संगीत व विद्या की देवी मां शारदें, रम्मत के रमणसा सहित उस्तादों का स्मरण करते हुए वंदन किया गया।