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बीकानेर,रियासतकाल से ही बीकानेर जिले में गणगौर प्रतिमाओं को बनाने और पूजन की परम्परा चली आ रही है। होली के अगले दिन से ही गणगौर पूजन की शुरुआत हो जाती है। ऐसे में गणगौर प्रतिमाओं की डिमांड पूरे देश में बढ़ जाती है। यहां बनने वाली लकड़ी की गणगौर प्रतिमाएं देश के विभिन्न स्थानों पर बिक्री के लिए जाती है। ऐसे में बीकानेर के एक कलाकार ने अब पारम्परिक गणगौर प्रतिमाओं को अपनी सुनहरी कलम से अलग पहचान दिलाने की शुरुआत की है।

बीकानेर में बनने वाली पारम्परिक गणगौर की प्रतिमाओं को चित्रकार रामकुमार भादाणी अपनी कलम से और ज्यादा आकर्षक बनाने के लिए सुनहरी कलम के साथ बीकानेर शैली को इन प्रतिमाओं पर उकेर रहे हैं, ताकि यह प्रतिमाएं पारम्परिक गणगौर की प्रतिमाओं से कुछ अलग नजर आए। बीकानेर में बनने वाली गणगौर की प्रतिमाओं को मथेरन शैली में बनाया जाता है, जिसमे कुछ विशेष आकार की नाक और आंखें बनाई जाती हैं।

लेकिन रामकुमार भादाणी ने अब इन गणगौर प्रतिमाओं को रियलस्टिक बनाने का काम करना शुरू कर दिया है। जिसमें सुनहरी कलम के साथ उस्ता कला को जोड़कर प्रतिमाओं पर बारीक गहरे रंग से बनाए जा रहे है। वहीं प्रतिमा पर फूल-पत्तियों के साथ बीकानेर आर्ट का भी उपयोग किया जा रहा है जो इन गणगौर प्रतिमाओं को दूसरों से अलग बनाती है। प्रतिमा ऐसी सजीव लगती है कि मानो गणगौर माता अभी बोल पड़ेगीं।

राम कुमार ने बताया कि लोग उनके काम को खूब पसंद कर रहे हंै और अपनी पारम्परिक गणगौर की प्रतिमाओं पर भी सुनहरी कलम की नक्काशी का काम करवाने के ऑडर्र भी उन्हें मिल रहे हैं। नवाचार करने के पीछे उनका उद्देश्य यह है कि बीकानेर आर्ट को गणगौर के माध्यम से ज्याद से ज्यादा लोगों तक पहुंचाया जाए ताकि बीकानेर आर्ट की खूबसूरती को लोग देख सकें।

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