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बीकानेर,राजू ठेठ बनाम आनंदपाल और फिर विश्नोई गैंग…18 साल की दुश्मनी और 4 गैंगस्टर्स के इंतकाम की कहानी अभी तक जुर्म और गैंगवार की ये कहानी चार किरदारों के साथ चली आ रही थी. लेकिन राजू की हत्या के बाद इस खूनी खेल में एक नए और कुख्यात गैंगस्टर का नाम और शामिल हो गया. इस पूरी कहानी को समझने के लिए हमें इस दुश्मनी के अतीत में झांकना होगा. आइए सिलसिलेवार जानते हैं इस खूनी खेल की इनसाइड स्टोरी.

बीते शनिवार की सुबह सरेआम गैंगस्टर राजू ठेठ का कत्ल किया गया. और इस मर्डर के पीछे नाम आया उस कुख्यात गैंग का जो सिद्धू मूसेवाला की हत्या के बाद से ही लगातार चर्चाओं में बना हुआ है. जी हां हम बात कर रहे हैं लॉरेंस बिश्नोई गैंग की. राजू ठेठ की हत्या की जिम्मेदारी सोशल मीडिया पर इसी गैंग के गुर्गे रोहित गोदारा ने ली.

मरने वाला गैंगस्टर राजू ठेठ कोई आम अपराधी नहीं था, जुर्म की दुनिया में उसका नाम जितना पुराना था, उतना ही बड़ा भी. राजू ठेठ का दबदबा इस कदर था कि जब वो अपने हथियारबंद साथियों के साथ सड़क पर निकलता था, तो लोग उसके सामने आने से भी बचते थे. वो राजू ठेठ ही था, जिसके जेल जाने के बाद भी उसके नाम पर सूबे में लगातार रंगदारी वसूली गई.

कई संगीन अपराध किए गए.साल 1995
गैंगस्टर राजू ठेठ का अपराध से पुराना नाता था. जिसे जानने और समझने के लिए हमें 27 साल पीछे जाना होगा. राज्य के सीकर जिले में एसके कॉलेज 90 के दशक में शेखावटी की राजनीति का केंद्र था. उसी कॉलेज में भाजपा के छात्र संगठन एबीवीपी के कार्यकर्ता गोपाल फोगावट का दबदबा था. गोपाल शराब के धंधे से जुड़ा हुआ था. उसके पास पैसे की कमी नहीं थी. राजू ठेठ भी उसी कॉलेज में था. वो गोपाल का जलवा देखकर उसके साथ काम करने लगा. उसने गोपाल को अपना गुरु मान लिया था.

बलबीर बानूड़ा से राजू की दोस्ती
कुछ दिनों में ही राजू ने गोपाल का भरोसा जीत लिया और उसके देखरेख में ही शराब का धंधा करने लगा. इसी दौरान राजू ठेठ की मुलाकात बलबीर बानूड़ा नाम के एक कारोबारी से हुई. बानूड़ा दूध का व्यापार करता था. लेकिन राजू ठेठ ने उसे शराब के धंधे का चस्का लगा दिया. इसके बाद बानूड़ा को पैसे की ऐसी लत लगी कि वह पूरी तरह से इसी धंधे में जुट गया.

साल 1998.
अब गोपाल का हाथ राजू के सिर पर था. लिहाजा, वो अपने साथी बलबीर बानूड़ा के साथ मिलकर शराब के धंधे में मोटा मुनाफा कमा रहे थे. उनकी दौलत में इजाफा होता जा रहा था. इसी दौरान बलबीर और राजू ठेठ ने उनके खिलाफ धंधा करने वाले भेभाराम को सीकर में मौत के घाट उतार दिया. नतीजा ये हुआ कि अब भेभाराम के गैंग से इन दोनों की दुश्मनी हो गई. यहीं से शेखावटी में गैंगवार का खेल शुरू हुआ.

साल 1998 से 2004
इन 6 वर्षों में ऐसा दौर गुजरा कि जब शेखावाटी में बलवीर बानूड़ा और राजू ठेठ के नाम की तूती बोलने लगी. उन दोनों का खौफ और आतंक इस कदर फैल चुका था कि उनके सामने आने की हिम्मत कोई नहीं करता था. हालात ये थे कि कोई शेखावाटी में शराब जैसे अवैध धंधे में शामिल नहीं होता था. और जो होता था वो राजू ठेठ और बलबीर बानूड़ा को रंगदारी देता था. ऐसा ना करने वाले को जान से हाथ धोना पड़ता था.

साल 2004
उस साल राज्य में वसुंधरा राजे की सरकार थी. राजस्थान में शराब के ठेकों की लॉटरी निकली थी. जिसमें जीण माता इलाके में शराब की दुकान राजू ठेठ और बलबीर बनूड़ा को मिली थी. शराब की दुकान शुरू हो चुकी थी. उस दुकान को बलबीर बानूड़ा का साला विजयपाल संभाल रहा था. विजयपाल हर रोज दिनभर शराब बेचता था और शाम को बानूड़ा और राजू ठेठ को हिसाब दिया करता था.

दुश्मनी में बदली दोस्ती
इस बीच राजू ठेठ दुकान की आमदनी से खुश नहीं था. वो जितना पैसा चाहता था, उसे दुकान से नहीं मिल रहा था. लिहाजा राजू को लगा कि विजयपाल ब्लैक में शराब बेचता है और खुद कमाई करता था. इसी बात को लेकर राजू और विजयपाल के बीच कहासुनी हो गई. ये कहासुनी इस हद तक बढ़ गई कि राजू ठेठ ने अपने साथियों के साथ मिलकर विजयपाल की हत्या कर दी. विजयपाल की हत्या के बाद राजू और बलबीर बानुड़ा की दोस्ती दुश्मनी में बदल गई. बलबीर अब अपने साले विजयपाल की हत्या का बदला लेना चाहता था.

बलबीर ने की आनंदपाल सिंह से दोस्ती
राजू ठेठ पर गोपाल फोगावट का हाथ था, इसलिए उससे बदला लेना बलबीर के लिए आसान नहीं था. लेकिन उन दोनों के बीच रंजिश हर रोज मजबूत हो रही थी. लिहाजा बलवीर बानूड़ा ने राजू से बदला लेने के लिए नागौर जिले के गैंगस्टर आनंदपाल सिंह से हाथ मिला लिया. बलबीर और आनंदपाल सिंह दोनों दोस्त बन गए और दोनों ने अपना बदला पूरा करने की कसम खाई. हालांकि पैसे के मामले में राजू आनंदपाल और बलबीर से ज्यादा मजबूत था. इसलिए आनंदपाल और बलवीर ने भी पहले आनंदपाल की बराबरी करने का फैसला लिया. दोनों ने शराब और खनन का धंधा शुरू कर दिया. दोनों को फायदा होने लगा तो उनका गिरोह भी मजबूत हो गया.

राजू को ऐसे किया कमजोर
आनंदपाल और बलबीर बानूड़ा हर दिन राजू ठेठ को कमजोर करने की योजना पर काम करते थे. उनका मकसद था कि राजू को सड़क पर लाया जाए. उन दोनों के गैंग ने राजू ठेठ के शराब से भरे ट्रकों को लूटना शुरू कर दिया. एक बाद एक ऐसी कई घटनाएं हुईं. जिसकी वजह से राजू ठेठ की कमर टूटने लगी. उसे भारी नुकसान हो रहा था. और वो दिन भी आ गया जब राजू ठेठ को आर्थिक तंगी का सामना करना पड़ा.

जून 2006
गैंगस्टर आनंदपाल सिंह और बलबीर बानुड़ा के हौंसले बुलंद थे. उन दोनों ने पहले राजू ठेठ के बॉडीगार्ड और गोपाल फोगावट को मारने की योजना बनाई और फिर सही मौका पाकर उस योजना को अंजाम तक पहुंचा दिया. गोपाल की हत्या कर दी गई. इस वारदात से राजू टूट गया था. गोपाल की हत्या के बाद राजू ठेठ के अंदर भी बदले की आग सुलगने लगी. गोपाल फोगावट की हत्या का मतलब था, राजू का कमजोर हो जाना. फोगावट की चिता पर राजू ने बदला लेने की कसम खाई.

साल 2012
दरअसल, बलबीर तो अपने साले विजयपाल की हत्या के बाद से ही राजू ठेठ के खून का प्यासा हो गया था. उन दोनों के गिरोह पुलिस के साथ लुका-छिपी का खेल खेलते रहे और अपना खौफ बनाए रखने के लिए लगातार वारदातों को अंजाम देते रहे. दोनों गैंग साल 2012 तक अंडरग्राउंड थे. लेकिन इसके बाद जब 2012 में पुलिस ने बलबीर बानूड़ा,आनंदपाल सिंह और राजू ठेठ को गिरफ्तार कर लिया तो उनके बीच बदले की आग फिर भड़क उठी.

26 जनवरी 2013
दोनों तरफ बदला लेने की आग जल रही थी. लिहाजा शुरुआत बलबीर बानूड़ा गैंग से हुई. 26 जनवरी 2013 को जब पूरा देश गणतंत्र दिवस के रंग में डूबा हुआ था, तब बानूड़ा के खास दोस्त सुभाष बराल ने सीकर जेल में बंद राजू ठेठ पर हमला किया, लेकिन किस्मत से राजू ठेठ इस हमले में बाल-बाल बचा.

24 जुलाई 2014
जेल की सलाखों के पीछे हुए हमले से राजू ठेठ हिल चुका था. अब राजू ठेठ के अंदर बदले की आग झुलसने लगा था. इस वजह से राजू ने अपने गिरोह की कमान अपने भाई ओमप्रकाश उर्फ ओमा ठेठ को सौंप दी थी. ये वही वक्त था, जब आनंदपाल सिंह और बलबीर बानूड़ा बीकानेर जेल में बंद थे. इत्तेफाक से ओमा ठेठ के बहनोई जयप्रकाश और रामप्रकाश भी बीकानेर की जेल में बंद थे. एक साजिश रची गई और बदला लेने के लिए उन दोनों को जेल में हथियार पहुंचाए गए. फिर 24 जुलाई 2014 को बलवीर बानूड़ा और आनंदपाल पर हमला किया गया. जिसमें आनंदपाल तो बच गया, लेकिन बलवीर बानूड़ा मारा गया.

साल 2017
बलवीर बानूड़ा की मौत से ठेठ गैंग का हौंसला बढ़ गया था. लेकिन दोनों गैंग अब भी एक-दूसरे को मारने के लिए लालायित थे. इस दौरान आनंदपाल सिंह का आतंक और खौफ काफी बढ़ गया था. वो लगातार पुलिस के लिए सिर दर्द बना हुआ था. हालांकि साल 2017 में आनंदपाल सिंह एक एनकाउंटर में मारा गया. इसके बाद राजू ठेठ को खुला मैदान मिल गया था. उसका दुश्मन गैंग लगभग खत्म होने का कगार पर पहुंच गया था.

3 दिसंबर 2022
शेखावटी की गैंगवार भले ही ठंडी पड़ चुकी थी लेकिन लॉरेंस बिश्नोई गैंग धीरे-धीरे राजस्थान में पैर पसार रहा था. इसी बीच राजू ठेठ को कोर्ट ने पैरोल दे दी और 3 दिसंबर, शनिवार को सीकर के उद्योग नगर में राजू घर के पास ही गोली मारकर उनकी हत्या कर दी गई. हत्या की जिम्मेदारी लॉरेंस बिश्नोई गैंग के सदस्य रोहित गोदारा ने ली. उसकी फेसबुक आईडी पर इस हत्या की जिम्मेदारी लेते हुए पोस्ट लिखी गई कि आनंदपाल और बलबीर बानूड़ा की हत्या का बदला पूरा हो गया है. दरअसल, आनंदपाल एनकाउंटर के बाद इस गैंग के सदस्य लॉरेंस बिश्नोई गैंग में शामिल हो गए थे.

हत्यारोपियों की पहचान
गैंगस्टर राजू ठेठ की हत्या में शामिल 4 आरोपियों की पहचान पुलिस ने कर ली. चारों शूटर्स हरियाणा के रहने वाले हैं. पुलिस सूत्रों ने बताया कि दो आरोपियों हिमांशु और सतीश ने राजू ठेठ के घर के सामने मौजूद सीएलसी कोचिंग में रजिस्ट्रेशन कराया था. सीकर की इस गैंगवार में शामिल चार आरोपियों की पहचान हिमांशु, सतीश, जतिन और नवीन उर्फ बॉक्सर के रूप में हुई है.

सामने आया वारदात का वीडियो
इस सनसनीखेज हत्याकांड का वीडियो भी सामने आया है, जिसमें साफ तौर पर देखा जा सकता है कि बदमाश खुलेआम फायरिंग कर रहे हैं. वीडियो में चार आरोपी दिखाई दे रहे हैं. चारों के हाथ में हथियार हैं. आरोपी जैसे ही राजू ठेठ पर गोलियां बरसाते हैं, वहां भगदड़ मच जाती है. गोलियों की तड़तड़ाहट सुनकर लोग भागने लगते हैं. वारदात को अंजाम देने के बाद आरोपी बड़े आराम से आगे की ओर बढ़ते हैं. इस दौरान एक आरोपी हवाई फायर भी करता है.

रोहित गोदारा ने ली हत्या की जिम्मेदारी
इस हत्याकांड की जिम्मेजदारी रोहित गोदारा नामक फेसबुक आईडी से ली गई. जिसमें पोस्ट लिखा गया कि आनंदपाल और बलबीर बानूड़ा की हत्या का बदला लिया है. आगे लिखा है कि मैं हत्या की जिम्मेदारी लेता हूं. बदला पूरा हुआ. वारदात की जिम्मेदारी लेने वाला रोहित गोदारा फिलहाल अजरबैजान से लॉरेन्स बिश्नोई और गोल्डी बराड़ की क्राइम कंपनी को ऑपरेट करता है. रोहित भारत में वांटेड है. दीपक टीनू को फरारी के दौरान शेल्टर और ग्रेनेड देने में रोहित का ही हाथ था.

23 फरवरी 2022 को मांगी थी सुरक्षा
इस हत्याकांड के बाद पता चला है कि जेल से छूटने के बाद राजू ठेठ को जान से मारने की धमकियां मिल रही थीं. जिसके चलते उसने 9 महीने पहले यानी 23 फरवरी को राजस्थान पुलिस के आला अफसरों को ईमेल भेज कर सुरक्षा मांगी थी. इतना ही नहीं, राजू ठेठ ने ईमेल पर भेजे प्रार्थना पत्र में साफ कहा था कि उसकी जान को खतरा है और चार विचाराधीन केसों की तारीख पर आते-जाते वक्त उसके साथ अनहोनी हो सकती है. उसने राजस्थान पुलिस से दो सुरक्षा गार्ड मुहैया करवाने का आग्रह किया था.

गैंगवार में किसान की मौत
बता दें कि इस गैंगवॉर में प्राइवेट कोचिंग संस्थान में कोचिंग करने आई छात्रा के पिता की भी मौत हो गई थी. छात्रा नागौर जिले के छोटी खाटू थाना इलाके की रहने वाली है. वह सीकर में एक निजी कोचिंग संस्थान में NEET की तैयारी कर रही थी. और यहां एक निजी हॉस्टल में रहती थी. उसके पिता छात्रा से मिलने के लिए सीकर आए थे और उन्होंने कोचिंग संस्थान के पास अपनी गाड़ी खड़ी कर रखी थी. गोली बारी में उनकी गोली लगने से मौत हो गई थी.

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