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बीकानेर, सादुल राजस्थानी रिसर्च इंस्टिट्यूट के तत्वावधान में इटली मूल के राजस्थानी भाषा के विद्वान डॉ.एल.पी.तैस्सितोरी की 103 वीं पुण्यतिथि  पर मंगलवार को म्यूजियम परिसर स्थित डाॅ. एल.पी. तैस्सितोरी की प्रतिमा पर पुष्पांजलि एवं भावांजलि का कार्यक्रम आयोजित किया गया ।

कार्यक्रम में मुख्य अतिथि उत्तर पश्चिम रेलवे के पूर्व  एडीआरएम एवं गीतकार निर्मल कुमार शर्मा ने कहा कि

डॉ.एल.पी.तैस्सितोरी वसुधैव कुटुंबकम् एवं विश्व बंधुत्व के प्रतीक थे । उन्होंने कहा कि स्व. तैस्सितोरी राजस्थानी भाषा और संस्कृति के महान साधक थे । निर्मल ने तैस्सितोरी की विरासत को अक्षुण्ण बनाए रखने का आह्वान किया । कार्यक्रम में विशिष्ठ अतिथि डॉ. विमला डुकवाल ने कहा कि तैस्सितोरी की राजस्थानी भाषा साहित्य संस्कृति एवं पुरातत्व के प्रति सेवाओं और योगदान को नई पीढ़ी तक पहुंचाने की आवश्यकता है । डॉ. डुकवाल ने सादुल राजस्थानी रिसर्च इंस्टिट्यूट में राजस्थानी के प्राचीन ग्रंथो से युवा पीढ़ी को रूबरू कराने की आवश्यकता बताई ।

कार्यक्रम अध्यक्ष प्रो. डॉ. अजय जोशी ने कहा कि शिक्षा पाठ्यक्रमों में राजस्थानी भाषा साहित्य की धरोहर को शामिल करना चाहिए । कार्यक्रम में लेखक अशफाक कादरी ने कहा कि स्व तैस्सितोरी ने बीकानेर क्षेत्र में पुरातात्विक कार्य कर प्राचीन धरोहरों को खोजा । उन्होंने कहा कि स्व. तैस्सितोरी की स्मृति में बीकानेर और उदीने (इटली) दुनिया में जुड़वा शहर के रूप में सामने आए । कवि कथाकार राजाराम स्वर्णकार ने स्व तैस्सितोरी के व्यक्तित्व कृतित्व पर प्रकाश डाला ।कार्यक्रम में वरिष्ठ रंगकर्मी बी एल नवीन, कवि जुगल किशोर पुरोहित, डॉ. मोहम्मद फारुख चौहान, शिव शंकर शर्मा, गोविन्द जोशी, मंडल पुस्तकालयाध्यक्ष विमल कुमार शर्मा ने भी श्रद्धा सुमन अर्पित किए । संस्कृतिकर्मी प्रेमनारायण व्यास ने धन्यवाद ज्ञापित किया ।

कार्यक्रम संयोजक राजाराम स्वर्णकार ने बताया कि सात दिवसीय कार्यक्रम आयोजन की श्रृंखला  के अंतिम दिवस , गुरुवार की शाम 4:15 बजे सादुल राजस्थानी रिसर्च इंस्टिट्यूट, म्यूजियम परिसर में काव्य गोष्ठी का आयोजन होगा जिसमें हिंदी- राजस्थानी-उर्दू के कवि-शायर अपनी रचनाओं का वाचन करेंगे।

 

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