बीकानेर, जयपुर.आदिवासी क्षेत्रों में बीटीपी की बढ़ती लोकप्रियता के बीच मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने जनजाति समुदाय के उत्थान के लिए जनजाति भागीदारी योजना को मंजूरी दी है. मुख्यमंत्री अशोक गहलोत विश्व आदिवासी दिवस यानी 9 अगस्त को योजना का शुभारंभ करेंगे. मुख्यमंत्री के इस निर्णय के पीछे आदिवासियों को लुभाने की कवायद मानी जा रहा है. परंपरागत तौर पर आदिवासी समाज कांग्रेस का वोट बैंक का है, लेकिन बीटीपी के बढ़ते प्रभाव से कांग्रेस का वोट बैंक खिसक रहा है. योजना के तहत जनजाति समुदाय के समावेशी विकास के लिए उनकी आवश्यकता के अनुरूप कार्य करवाए जा सकेंगे.इनमें संपत्तियों का निर्माण एवं मरम्मत, संवर्धन और संरक्षण के साथ-साथ रोजगार सृजन कौशल प्रशिक्षण, डेयरी, पशुपालन आदि क्षेत्रों से संबंधित कार्य शामिल होंगे.
योजना के तहत ये कार्य होंगे
उदाहरण के तौर पर विद्यालय छात्रावास, चिकित्सा केंद्र, आंगनबाड़ी केंद्र, मां-बाड़ी केंद्र, सड़क-पुलिया, जल संग्रहण ढांचे, एनिकट, पेयजल योजना, सामुदायिक शौचालय, बस स्टैण्ड आदि के निर्माण एवं मरम्मत, बल्क कूलर की स्थापना, हैचरी प्लांट, विभिन्न प्रकार के कोचिंग एवं प्रशिक्षण जैसे कार्य इस योजना के तहत हो सकेंगे. योजना के तहत वे कार्य ही अनुमत होंगे, जिनके माध्यम से लाभान्वित होने वाली जनसंख्या का कम से कम 50 प्रतिशत भाग जनजाति समुदाय का हो.
30 प्रतिशत हिस्सा जन सहयोग
योजना में किए जाने वाले कार्य एवं गतिविधियों के लिए जरूरी राशि का कम से कम 30 प्रतिशत हिस्सा जन सहयोग, स्वयंसेवी संस्थाओं, दानदाताओं या अन्य किसी सरकारी योजना, कार्यक्रम अथवा फंड से उपलब्ध कराना होगा. योजना के तहत 10 लाख रुपए तक के कार्यों की स्वीकृति जिला कलक्टर, 10 लाख से अधिक और 25 लाख रूपए तक के कार्यों की स्वीकृति आयुक्त जनजाति क्षेत्रीय विकास तथा 25 लाख रूपए से अधिक की स्वीकृतियां जनजाति क्षेत्रीय विकास विभाग के स्तर से जारी की जाएंगी.
राज्य सरकार के उपक्रम से होंगे कार्य
योजना में कराए जाने वाले कार्यों का क्रियान्वयन राजकीय विभाग या राज्य सरकार के उपक्रम, निगम, बोर्ड आदि से कराया जाएगा तथा सृजित होने वाली परिसंपत्तियों का स्वामित्व राज्य सरकार का होगा.
निजी भूमि पर योजना के तहत अनुमत नहीं होगा. साथ ही भूमि अधिग्रहण के बदले मुआवजे का भुगतान, धार्मिक स्थलों का निर्माण, जातिगत या धार्मिक आधार पर सामुदायिक भवनों का निर्माण भी अनुमत नहीं होगा और आवृत्ति व्यय के लिए कोई राशि स्वीकृत नहीं की जा सकेगी. योजना में मुख्यतः नवीन कार्य और गतिविधियां संपादित की जाएंगी. विशेष परिस्थितियों में अन्य योजनाओं के अपूर्ण कार्यों को वित्त पोषित किया जा सकेगा.