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जयपुर। राजस्थान फिर बिजली संकट के दौर से गुजर रहा है। वजह- ऊर्जा विभाग के अफसरों का कुप्रबंधन। खामियाजा भुगत रहे हैं प्रदेश के करोड़ों उपभोक्ता। कोयला संकट और ओपन मार्केट में रेट ज्यादा होने से अगले 10 दिन तक बिजली संकट रहेगा। अब गांव-कस्बों के साथ शहरों में भी बिजली कटौती की मार होगी। कई गांव-कस्बों में 5-6 घंटे की अघोषित कटौती शुरू हो चुकी है।
प्रदेश में 3 दिन की छुट्टियों व जन्माष्टमी के कारण उद्योगों व बाजारों में डिमांड कम रहने से लोड कंट्रोल में रहा, लेकिन मंगलवार से कामकाज सामान्य होने से डिमांड 15 हजार मेगावाट से ज्यादा होने की आशंका है। वहीं, सरकार ने मानसून की बेरुखी और ओपन मार्केट में महंगी बिजली का बहाना करके हाथ खड़े कर दिए हैं। अब बारिश होने पर ही राहत मिल सकती है।
बारिश कम होने से घरेलू, अघरेलू व कृषि क्षेत्र में बिजली की डिमांड बढ़ी। हर साल अगस्त में बिजली की खपत 20 करोड़ यूनिट प्रतिदिन रहती है, इस बार 31 करोड़ यूनिट पहुंच गई है। 19 अगस्त को लोड भी 14690 मेगावाट रहा, जो कि अब तक का सबसे ज्यादा है। कई यूनिट वार्षिक मेंटीनेंस पर हैं। विभाग ने बिजली सप्लाई प्रबंधन के लिए ठीक से प्लानिंग नहीं की, जिसकारण आज ये बिजली संकट खड़ा हो गया।
कोयला नहीं होने से 3400 मेगावाट के पावर प्लांट ठप है। सूरतगढ़ की 6 यूनिट (प्रत्येक 250 मेगावाट), कालीसिंध की दो यूनिट (प्रत्येक 600 मेगावाट) व कवाई स्थित अडानी थर्मल प्लांट की 600 मेगावाट की यूनिट बंद है। वहीं कोटा थर्मल पावर प्लांट की 6 यूनिट भी 70 प्रतिशत क्षमता पर ही चल रही है। प्रदेश के कई बिजलीघरों में सिर्फ 3-4 दिन का ही कोयला बचा है। ऐसे में आगे संकट और गहरा सकता है।
हल भी मुश्किल…क्योंकि एक्सचेंज में बिजली महंगी है और ओवर ड्रा की भी मंजूरी नहीं
दावा किया जा रहा है कि सामान्य दिनों में एक्सचेंज में बिजली रेट 6-7 रुपए प्रति यूनिट होती है, लेकिन अब 20 रुपए तक पहुंच गई है। वहीं एक्सचेंज से खरीद की औसत दर 3-4 रुपए से बढक़र 10 रुपए हो गई। लेकिन एक्सचेंज में बिजली कमी से नॉर्दन ग्रिड की सुरक्षा के लिए नेशनल लोड डिस्पैच सेन्टर ने ओवर ड्रा की अनुमति नहीं दी है। हालांकि, इस बीच राहत की बात ये है कि उत्पादन निगम की सूरतगढ़ सुपर क्रिटिकल थर्मल पावर प्लांट की 660 मेगावाट की यूनिट शुरू हो गई है। अब कोयले की सप्लाई शुरू होने के बाद तेजी से स्थिति सुधरेगी। इससे राजस्थान को रोजाना 1.584 करोड़ यूनिट बिजली मिल सकेगी।
ऊर्जा मंत्री बीडी कल्ला का कहना है कि पावर प्लांट्स के लिए कोल इंडिया (एनसीएल एवं एसईसीएल) से 170 लाख मीट्रिक टन वार्षिक कोयला सप्लाई का एग्रीमेंट है, जिसकी रोजाना 11.5 रैक मिलनी चाहिए, लेकिन प्रतिदिन केवल 3 रैक ही मिल रही है। ऐसे में केंद्र सरकार से कोयला सप्लाई नियमित करने की डिमांड की है। एक दिन पहले ही बीडी कल्ला ने ट्रकों से कोयला खदानों लाने का इंतजाम करने की बात कही थी। और कहा था कि एक हफ्ते में हालात सामान्य हो जाएंगे।

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