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बीकानेर,जेल नियमों को लागू न कराने को लेकर राजस्थान उच्च अदालत ने नाराजगी जताई है. साथ ही निर्देश दिए हैं कि जेल नियम, 2022 यदि 15 दिसंबर तक लागू नहीं होते हैं तो 16 दिसंबर को मुख्य सचिव, डीजीपी और अतिरिक्त गृह सचिव पेश होकर अपना स्पष्टीकरण दें.

जयपुर. राजस्थान हाईकोर्ट ने कहा है कि यह बड़े दुख की बात है कि राज्य सरकार अदालती आदेशों की पालना नहीं कर रही हैं, और वो भी तब जबकि मामला जीवन और स्वतंत्रता से जुड़ा हुआ है . इसके साथ ही अदालत ने कहा है कि जेल नियम, 2022 यदि 15 दिसंबर लागू नहीं होते हैं तो 16 दिसंबर को मुख्य सचिव, डीजीपी और अतिरिक्त गृह सचिव पेश होकर अपना स्पष्टीकरण दें. सीजे पंकज मित्थल और जस्टिस समीर जैन की खंडपीठ ने यह आदेश कैदियों के कल्याण को लेकर लिए स्वप्रेरित प्रसंज्ञान पर सुनवाई करते हुए दिए.

अदालत ने इस बात पर भी दुख जताया है कि विधानसभा के मानसून सत्र में भी जेल नियमों को पारित कराने के लिए पटल पर नहीं रखा गया. अदालत ने कहा कि विशेष परिस्थितियों के अलावा सभी कैदियों को वीडियो के जरिए ही अदालत में पेश किया जाए. इसके साथ ही संबंधित कोर्ट के मजिस्ट्रेट भी सिर्फ विशेष मामलों में ही कारण बताते हुए कैदी को व्यक्तिगत रूप से बुलाए

सुनवाई के दौरान महाधिवक्ता ने कहा कि चालानी गार्ड की भर्ती जल्द करने के संबंध में निर्देश दिए जा चुके हैं. इसके अलावा कैदियों को वीसी के जरिए पेश किया जा रहा है. एजी की ओर से बताया गया कि जेल नियम, 2022 का फाइनल ड्राफ्ट तैयार है और वह अप्रूवल के लिए संबंधित प्राधिकारी को भेजा जाएगा. एजी ने बताया कि विधानसभा का सत्र नहीं होने के चलते अभी तक जेल नियम पारित नहीं हुए हैं. अदालत ने कहा कि यह दुख की बात है कि अब तक आदेश की पालना नहीं हुई है.

हर बार सरकार ये बात दोहरा देती है कि नियम बन चुके हैं, लेकिन पारित नहीं हुए हैं. अदालत ने कहा कि वीसी की सुविधा कई जगह उपलब्ध नहीं है या फिर वहां नई तकनीक नहीं है. ऐसे में राज्य सरकार सुनिश्चित करे कि सभी अदालतों और जेलों में वीसी की उचित व्यवस्था हो. गौरतलब है कि हाईकोर्ट ने वर्ष 2012 में जेल के हालातों को लेकर स्वप्रेरित प्रसंज्ञान लिया था. वहीं 27 जनवरी 2016 को अदालत ने 45 बिन्दुओं पर राज्य सरकार को विस्तृत दिशा निर्देश दिए थे.

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