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बीकानेर,जूलाई 2020 में राजस्थान के तत्कालीन डिप्टी सीएम सचिन पायलट अपने गुट के विधायकों के साथ बगावत कर गए जिसके बाद सरकार बाड़ेबंदी में चली गई और जमकर हाई-वोल्टेज ड्रामा चला, जून 2018 में बीजेपी में आलाकमान को धता बताकर वसुंधरा की मर्जी से नए प्रदेशाध्यक्ष मदनालल सैनी चुने गए, खूब हंगामा हुआ और अब सितम्बर 2022 में अशोक गहलोत के अध्यक्ष बनने की चर्चाओं के बीच 25 सितम्बर को विधायक दल की बैठक से बगावत…ये कुछ राजस्थान के सियासी गलियारों के घटनाक्रम है जिन्होंने देश का ध्यान खींचा.प्रदेश में बीजेपी और कांग्रेस दोनों ही दलों में गुटबाजी एक बड़ी चुनौती बनी हुई है. वहीं राज्य का सियासी क्षत्रप इतना मजबूत है कि विधायकों के बूते आलाकमान को चैलेंज करने से भी पीछे नहीं हटता है.

राजस्थान में सियासी हलचल कभी शांत होने का नाम नहीं लेती है. कांग्रेसी खेमे में गहलोत-पायलट की अदावत जगजाहिर है तो वहीं बीजेपी खेमे में ताकत और शक्ति प्रदर्शन के बल पर सीएम फेस पर रस्साकश्शी चल रही है. राजस्थान में दो पार्टियों की मजबूत पकड़, मजबूत लीडरशिप और प्रभावशाली चेहरे जैसे कई फैक्टर हैं जिनके चलते राजस्थान का सियासी पारा चढ़ने के साथ ही आलाकमान के सिर में दर्द बढ़ जाता है.

मजबूत लीडरशिप बनती है बड़ी वजह

राजस्थान में बीजेपी और कांग्रेस दोनों ही दलों में लीडरशिप मजबूत मानी जाती है जहां कांग्रेस में सीएम अशोक गहलोत और बीजेपी में पूर्व सीएम वसुंधरा राजे सरीखे नेता जिनका जनता से सीधा कनेक्शन माना जाता है. ऐसे में आलाकमान इन्हें दरकिनार नहीं कर सकता है.

वहीं दोनों ही नेता विधायकों के बूते राज्य का सियासी पारा बदलने में सक्षम हैं जिसके चलते यह आलाकमाना को चुनौती दे पाते हैं. दोनों ही नेताओं के साथ वफादारों की एक लंबी लिस्ट हैं जिसके चलते यह सियासी ताकत का प्रदर्शन करते हैं और आलाकमान को असमंजस में डाल पाते हैं.

दो पार्टियों का मजबूत वर्चस्व

वहीं राजस्थान में दो राजनीतिक दलों का ही बोलबाला है जहां सालों से जनता बीजेपी और कांग्रेस में से सरकार चुनती है. पिछले दो चुनाव से लगातार 25-25 सांसद जीतने के बावजूद बीजेपी 2018 में कांग्रेस से हार गई. देश के कई राज्यों में कांग्रेस साफ हो गई लेकिन राजस्थान में फिलहाल कांग्रेस मजबूत दिखाई देती है. वहीं अगर पार्टी की गुटबाजी को किनारे कर दें तो कांग्रेस सरकार रिपीट करने का पुरजोर दावा कर रही है.

इसके अलावा राजस्थान में थर्ड फ्रंट भी तेजी से मजबूत हो रहा है लेकिन बेहद बिखरा हुआ है. हनुमान बेनीवाल की आरएलपी, आम आदमी पार्टी, ओवैसी की एआईएमआईएम से लेकर आदिवासी क्षेत्रों में भारतीय ट्राइबल पार्टी है जो चुनावी मैदान में उतरेगी.दोनों दलों में है कई जनता के नेता

वहीं राजस्थान की दोनों ही पार्टियों में कई प्रभावशाली और जनता के बीच अपनी धाक रखने वाले चेहरे हैं. फिलहाल लोकसभा स्पीकर ओम बिड़ला राजस्थान से आते हैं. वहीं बीजेपी ने जगदीप धनखड़ को उप-राष्ट्रपति बनाया जो राजस्थान के रहने वाले हैं. इसके अलावा युवाओं में सचिन पायलट देशभर में छाए हुए रहते हैं.

वहीं महिलाओं में देखें तो वसुंधरा राजे देशभर की महिला नेताओं में सबसे प्रभावशाली नेताओं में मानी जाती है. इसके अलावा दोनों पार्टियों में मजबूत चेहरों के अलावा पैरेलल लीडरिशप को लेकर कमी है जिसके चलते पार्टियों में अस्थिरता बनी रहती है.

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