
बीकानेर,राजकीय सार्वजनिक मंडल पुस्तकालय बीकानेर के तत्वावधान में भारतीय सामाजिक और धार्मिक सुधारक राजा राममोहन राय की जयंती के अवसर पर गुरुवार को पुस्तकालय परिसर मे राजा राम मोहन राय एवं भारतीय पुनर्जागरण विषय पर विचार गोष्ठी का आयोजन किया गया ।
गोष्ठी की अध्यक्षता वरिष्ठ साहित्यकार कवि -कथाकार राजेन्द्र जोशी ने की। तथा मुख्य अतिथि वरिष्ठ साहित्यकार राजाराम स्वर्णकार थे। विशिष्ट अतिथि रश्मि लाटा रही।
प्रारंभ में अतिथियों ने राजा राममोहन राय के चित्र पर पुष्पांजलि कर उन्हें श्रद्धासुमन अर्पित किए। इस अवसर पर अध्यक्षीय उद्बोधन में राजेन्द्र जोशी ने कहा कि राजा राममोहन राय ने ब्रिटेन में संगठित मानवतावाद के विकास से जुड़े कई महत्वपूर्ण व्यक्तियों की सोच को अपने सुधारात्मक विचारो से प्रभावित किया। जोशी ने कहा कि उन्होंने कई धार्मिक वाद- विवाद, हिंदू अंधविश्वासों और एक ईश्वर में विश्वास रखने के वैज्ञानिक तर्क दुनिया के सामने रखें। जोशी ने कहा कि उन्होंने ज्ञान चर्चा और शिक्षा की खोज का भी समर्थन किया, जाति व्यवस्था एवं सती प्रथा की निंदा करते हुए राजा राममोहन राय ने बाल विवाह को समाप्त करने की शुरुआत की ,उन्होंने महिलाओं की शिक्षा ,विधवाओं के पुनर्विवाह और बाल विवाह की रोकथाम सहित सुधार के लिए महत्वपूर्ण कार्य किया। हमें उनके स्वतंत्र और प्रगतिशील विचारों से सीखना चाहिए।
मुख्य अतिथि राजाराम स्वर्णकार ने कहा कि की उन्होंने अनेक भाषाओं का अध्ययन किया एवं वेद, उपनिषद और हिंदू दर्शन का भी गहन अध्ययन किया, उन्होंने कहा कि भारतीय समाज को प्रगति की राह पर आगे बढ़ाने में राजा राममोहन राय का महत्वपूर्ण योगदान रहा है। स्वर्णकार ने कहा कि सामाजिक सुधारो तक की सीमित नहीं रहे बल्कि राजनैतिक शैक्षिक और साहित्य के क्षेत्र में भी राजा राममोहन राय ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।
रश्मि लाटा ने उनके व्यक्तित्व और कृतित्व पर विस्तार से पत्र वाचन किया।
कार्यक्रम का संयोजन करते हुए मंडल पुस्तकालयध्यक्ष विमल शर्मा ने कहा उन्होंने ब्रह्म समाज की स्थापना कर एकेश्वरवाद और समाज सेवा को बढ़ावा दिया। विमल शर्मा ने कहा कि उन्होंने संस्कृत के साथ अंग्रेजी शिक्षा और विज्ञान को भी बढ़ावा देने का कार्य किया। संगोष्ठी में अनेक वक्ताओं ने अपने विचार व्यक्त किए।